तोताराम चिढ़ कर बोला- तेरे जैसे मनहूस आदमी पर गुस्सा तो बहुत आता है पर क्या करें- 'न तो कूँ और न मो कूँ ठौर' । खैर, कुर्सी तो मँगवा, आज मैं जूट के इस सड़े कट्टे पर नहीं बैठूँगा । आज तो हालत यह हो रही है कि 'आज मैं ऊपर, आसमाँ नीचे' ।
हमने फिर छेड़ा- कभी-कभी ज्यादा शीर्षासन करने से ऐसे हो जाता है ।
तब तक पोता कुर्सी ले आया था । तोताराम हमें घूरता हुआ कुर्सी पर बैठ गया और बोला- आज केवल चाय से काम नहीं चलेगा । पकौड़े भी बनवा ले । खबर ही ऐसी लाया हूँ कि उछल पड़ेगा ।
पूछा- ऐसी क्या खबर है ? क्या भारत को सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिल गई या २-जी स्पेक्ट्रम का पैसा रिकवर हो गया या पाकिस्तान ने आतंकवादी शिविर नष्ट कर दिए या स्विस बैंक का काला पैसा देश वापिस आ गया या प्याज फिर से पच्चीस रुपए पर आ गया ?
तोताराम ने कहा - नहीं, ऐसी कोई छोटी-मोटी खबर नहीं है । सचिन ने दक्षिणी अफ्रीका के खिलाफ अपना पचासवाँ टेस्ट शतक बना कर इतिहास रच दिया ! बता, किस खिलाड़ी ने बनाए हैं इतने शतक ? ब्रेडमैन ने भी नहीं । अभी टाइम्स मैगजीन के मुखपृष्ठ पर सचिन का फोटो आया है और उसके वन डे में दोहरे शतक को सबसे बड़ी खेल घटना माना गया है ।
-और पचासवाँ शतक बनाने के बाद भारत आउट हो गया होगा ।
-क्या तूने मैच देखा था ?
-नहीं, मगर जब किसी की केवल रिकार्ड पर ही निगाह होती है तो ऐसा ही होता है । देखा नहीं, द्रविड के भी जैसे ही बारह हज़ार रन पूरे हुए तो वह भी आउट हो गया । पर पारी की हार से तो भारत को कोई नहीं बचा सका, न सचिन, न द्रविड ।
-पर दक्षिणी अफ्रीका की ६२० रन की पारी की चमक तो सचिन के ५० वें शतक से कम हो ही गई ।
-तू चमक को लिए फिरता है । बात तो परिणाम की है । और परिणाम यह है कि भारत एक पारी और २५ रन से हारा और दक्षिणी अफ्रीका जीता । सचिन कितने भी रिकार्ड बना ले पर जब तक भारत वर्ल्ड कप नहीं जीतता तब तक कोई भी चमक कपिल से ज्यादा नहीं हो सकती ।
तोताराम ने कहा- मास्टर, तेरी यही सबसे बड़ी खराबी है कि तू खुश होना जानता ही नहीं ।
हमने कहा- तोताराम, ऐसी बात नहीं है । हमें भी सचिन की उपलब्धि से खुशी है मगर क्या तुझे नहीं लगता कि किसी महल का दीपक देखकर कब तक जमना-जल में खड़े रहकर पूस की रात काटी जा सकती है ? मुकेश अम्बानी ने पाँच हज़ार करोड़ का घर बनवा लिया मगर अपने घर की टपकती छत को इसी आधार पर कैसे भूला जा सकता है ? मुकेश ने 'दुनिया मुट्ठी में कर ली' मगर आम आदमी के हाथ से तो दाल-प्याज तक फिसल गए । करोड़ों बच्चों को क्रिकेट क्या, स्कूल, खेल के मैदान तो दूर, पूरा सा भोजन नहीं मिलता । किसान आत्महत्या कर रहे हैं तो ९ प्रतिशत जी.डी.पी. पर क्या गर्व करें ? मनमोहन जी के ईमानदार होने पर गर्व करें या उनकी नाक के नीचे होने वाले लाखों करोड़ के घोटाले पर सिर पीटें ? गाय बहुत सुन्दर है मगर दूध नहीं देती तो क्या उसे चाटें ? गाँधी जी ने कहा था कि किसी देश की प्रगति उस देश के सबसे गरीब आदमी की हालत से नापी जानी चाहिए । खेल-तमाशे, मेले-उत्सव, नाच-गाने, दो रोटी मिलने के बाद ही अच्छे लगते हैं । सच तो यह है तोताराम, कि यदि आज कोई मृत्यु का सरल, बिना दर्द का साधन निकल आए और सरकार उसे जनता को उपलब्ध करवादे तो सच मान, इस देश के करोड़ों लोग तत्काल तैयार हो जाएँगे । जीवन के प्रति इतनी निराशा हमें तो इस उनहत्तर साल के जीवन मे आज पहली बार दिखाई दी है ।
किस रिकार्ड और किस चमक को देखकर इस सूचीभेद्य अंधकार को काटें । कहते हैं 'रात भर का है मेहमाँ अँधेरा, किसके रोके रुका है सवेरा' मगर जब रात खत्म होगी तभी तो सवेरा आएगा ।
कहते-कहते हमारी आँखों गीली हो गईं, हमने कंधे पर रखे गमछे से उन्हें पोंछा । तोताराम ने हमारे कन्धे पर हाथ रख दिया, बोल वह भी कुछ नहीं सका । बोलने को था भी क्या ?
इस बीच पता नहीं कब चाय ठंडी हो गई ? पत्नी को फिर से चाय गरम करने के लिए कहने का भी मन नहीं हुआ ।
प्रिय पाठको, हम आपकी खुशी से जलते नहीं है बल्कि यही सोच कर खुश हैं कि चलो कोई तो खुश है, भले ही गफलत में ही सही ।
२०-१२-२०१०
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
सटीक व्यंग्य। बधाई।
ReplyDeleteआपके व्लाग पर यह मेरी पहली हाज़िरी है अच्छा व्यंग्य पढने को मिला ,धन्यवाद
ReplyDeleteगफलत में ही खुश हो सकते हैं आज के भारत में..
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