Dec 26, 2010

२-जी घोटाला या सब्सिडी?


 हम तो जब २००० में पहली बार अमरीका गए थे तो रास्ते में खीरे छीलने के लिए एक छोटा सा चाकू ले गए थे तो चेकिंग वालों ने उसे खतरनाक मान कर रखवा लिया था । अब तो ९/११ के बाद हो सकता है सेफ्टी पिन भी नहीं ले जाने देते होंगे । आज के अखबार में भ्रष्टाचार पर महासंग्राम पर एन.डी.ए. की रैली में कई छोटे-बड़े नेताओं को मंच पर तलवारें लहराते हुए देखा तो अजीब नहीं लगा क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है । जब-तब कार्यकर्ता नेताओं को तलवारें देकर अभिनन्दन करते हैं तो क्या वह ऐसे ही है ? कभी न कभी तो उन तलवारों का प्रयोग होना ही चाहिए ।

जब यह समाचार पढ़ रहे थे तो तोताराम आ गया । हमने कहा- तोताराम, अब भ्रष्टाचार को कोई नहीं बचा सकता । देख, जन-सेवक तलवारें लहराते हुए निकल पड़े हैं ।

तोताराम ने कहा- मास्टर, यह विरोध बिना बात किया जा रहा है । राजा, जिनके नाम से सरकार पर निशाना साधा जा रहा है, वे बेचारे कह रहे हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया । वे तो 'पहले आओ : पहले पाओ' की परम्परा का निर्वाह कर रहे थे । यह परंपरा हमारे देश में वैसे भी बहुत पुरानी है । जब किसी राज्य में राजा के बारे में फैसला नहीं हो पाता था यही तरीका अपनाया जाता था । जो भी अगले दिन नगर के मुख्यद्वार पर मिलता था उसी को राजा बना दिया जाता था । उस समय का किसी के भी विरोध करने का प्रमाण नहीं मिलता । फिर आज ही विरोध क्यों ?

हमने कहा- विरोध क्यों नहीं । इससे सरकार को एक लाख छियत्तर हज़ार करोड़ का नुकसान हुआ है ।


बोला- कोई नुकसान नहीं हुआ है । जिसे तुम नुकसान कह रहे हो उसे सब्सिडी क्यों नहीं मान लेते । इस सब्सिडी के कारण ही तो फोन काल इतने सस्ते हुए हैं । यदि फोन कंपनियों को यह स्पेकट्रम सस्ता नहीं मिलता तो फोन काल इतने सस्ते कैसे होते ? इन्हें राजा ने दिया और इन कंपनियों ने प्रजा को दे दिया । ये तो बिजली के तार हैं । उत्पादक और उपभोक्ता तो कोई और हैं । यह एक प्रकार की अप्रत्यक्ष सब्सिडी है । किसानों को सब्सिडी दी जाती है, हज के लिए सब्सिडी दी जाती है तो यह भी देश में फोन सेवा के विस्तार के लिए दी गई सब्सिडी ही है । इसके लिए बेचारे राजा और प्रधान मंत्री को इतना हड़काने की क्या ज़रूरत है ? पहले भी तो, पहले आने वालों को स्पेक्ट्रम पहले दिया गया था । अब इस बात का कोई क्या करे कि इस घोषणा के समय कुछ लोग पहले से ही टेबल के नीचे घुसे बैठे थे । तुझे चाहिए तो चल तुझे भी दिला देते हैं कोई न कोई स्पेक्ट्रम । मगर लेना-देना तो कुछ है नहीं और बिना बात टाँग अड़ाता है ।

तुझे पता है अमरीका में मक्के पर किसानों को सब्सिडी दी जाती है । किसान गायों को मक्का खिलाते हैं तो उनका मांस सस्ता पड़ता है । उस सस्ते मांस से मेकडोनाल्ड सस्ते मीट-बर्गर जनता को बेचता है । अंततः तो यह सब्सिडी जनता को ही मिली ना ? अब बेचारे मोबाइल का धंधा करने वालों को बिना बात लतियाने से क्या फायदा ? वे तो सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुँचा रहे थे । दूत, कुटनी और दलाल अवध्य होते हैं । सरकार और भी तो पैसा जनता में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से बाँट ही रही है । और यह बता, क्या इस तथाकथित घोटाले से क्या सरकार का बजट घाटा बढ़ा ? यदि नहीं, तो फिर कैसा और किसका नुकसान ?

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई । एक युवक अंदर आया और बोला- तोताराम जी कौनसे हैं ? तोताराम ने उत्तर दिया- कहिए, हमीं है ।

युवक ने कहा- टाटा, अम्बानी, राजा और राडिया ने अपना केस लड़ने के लिए आपको याद किया है ।


२३-१२-२०१०


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

2 comments:

  1. .

    जोशी जी ,
    इतनी सहज शैली में इतना सुन्दर व्यंग पहले कभी नहीं पढ़ा था। अगर घोटालेबाज सरकार ने आपका लेख पढ़ लिया तो यकीन मानिए, यही दलील देगी वो अपने बचाव में।

    आपकी फोलोवर बनने में हर्ष की अनुभूति हो रही है। आपको एवं आपके परिवार को नव वर्ष की शुभकामनाएं।

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