Sep 7, 2015

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

आज तोताराम ने आते ही कहा-आज एक और जुमले का हस्र सुन | 
हमने कहा- बन्धु, आजकल  तो सभी तरह से समाचार देने के बावजूद कुछ अखबार 'नो निगेटिव न्यूज' का जुमला जोड़ने लगे हैं तो तू क्यों हमारे दिन की शुरुआत 'भ्रम-भंजन' से करना चाहता है ? कम से कम चाय तो शांति से पी लेने दे | 

बोला- चाहे रस्सी हो या साँप,  जितना जल्दी पता चल जाए, ठीक है | बिना बात का टेंशन तो ख़त्म हो |बात एक तरफ हो जानी चाहिए | अपने राजस्थानी में कहावत है- के तो सीता सतवंती, के फरड़क राण्ड |घिचपिच नहीं |

हमने  कहा- यदि भ्रम दूर हो गया तो फिर न तो लम्पट बाबाओं को कोई भगवान मानेगा, न नेताओं को सेवक और रक्षक | जन्नत का अस्तित्त्व भी तो भ्रम के बल पर ही  है | सुंदरी भी तभी तक सुंदरी है जब तक मेकअप का भ्रम है | भ्रम नहीं रहेगा तो कौन शादी के बूर (चोकर ) के लड्डू कौन खाएगा ?

फिर भी मजबूरन, लगभग ठंडी होने को आ रही चाय एक तरफ रखते हुए, हमने तोताराम को  कविता में स्वीकृति दी-
हे भ्रम-भंजक, हे लघु भ्राता |
जुमला-सत्य सुनावहु ताता |

कहने लगा- शायद तुमने समाचार नहीं पढ़ा | समाचार,  विश्वसनीयता का दावा करने वाले एक अखबार ने छापा है |स्थान का नाम तो नहीं दिया लेकिन केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गाँधी के अनुसार दुष्कर्म, छेड़छाड़ और महिलाओं के साथ मारपीट की घटनाएँ तब तक होती रहेंगी जब तक  दुनिया में मर्द और औरत हैं |जैसे कि कभी गृहमंत्री होते हुए अडवाणीजी ने कहा था- आतंकवाद तो ग्लोबल फिनोमिना है |सो इन्होंने भी एक ग्लोबल फिनोमिना बता दिया | अब जो अटल सत्य है उसके लिए इनको कुछ दोष भी तो नहीं दिया जा सकता |

हमने कहा- और यह कभी संभव नहीं हो सकता कि किसी देश या समाज में केवल मादा ही रहें या नर ही नर रहें | और मान ले यदि ऐसा संभव हो भी गया इन सत्कर्मों के लिए तो देश के न्यायालयों तक ने विपरीत लिंगी होने की बाध्यता भी ख़त्म कर दी है | लेकिन मंत्री हैं, सेवक है, विकास और सुशासन के मुद्दे पर चुने गए हैं तो यह नहीं हो सकता कि कोई उपाय नहीं बताया हो |

बोला- बताया है ना | कहा है- देश के हर गाँव में बारहवीं पास और इक्कीस वर्ष के अधिक की आयु की एक लड़की को पुलिस की ट्रेनिंग दी जाएगी | फिर यह लड़की उस गाँव की लड़कियों को सेल्फ डिफेन्स (आत्म-रक्षा )की ट्रेनिंग देगी |

हमने कहा- यह तो ज़िम्मेदारी से बचने वाली बात हुई जैसे कि खुद में तो रोजगार के अवसर सृजित करने की क्षमता है नहीं सो विदेशी उद्योगपतियों को बुला लो | वे लोगों को कम वेतन देंगे, हाड़-तोड़ काम लेंगे और जब जी चाहेगा निकाल देंगे |और श्रेय ये ले लेंगे कि देखो बेरोजगारी कम कर दी | 

कहने लगा-देश में कम से कम पाँच लाख गाँव  हैं  | सो  पाँच लाख लड़कियों को नौकरी तो मिलेगी | उसके बाद भी सफलता नहीं  मिली तो हर छेड़ी जा सकने योग्य लड़की को सरकारी सब्सीडी से एक-एक बंदूक दिलवा दी जाएगी |यह  बात और है कि  वे गोलियाँ और बंदूकें काम करेंगी या नहीं जैसे कि मध्य प्रदेश में परिवार नियोजन शिविर वाली दवाइयों ने जान बचाने की बजाय  महिलाओं जान  ही ले ली |लेकिन  'मेक  इन  इण्डिया'  के  तहत  विदेशी निवेश तो आ जाएगा |

हमने कहा- वैसे तोताराम, हमें लगता है- सरकार  ने  बहुत सफाई से अपने नारे में ही सब कुछ स्पष्ट लिख दिया है जैसे चतुर  कम्पनियां 'कंडीशन्स अप्लाई' के बहाने पतली गली निकल लेती हैं | 
 'बेटी बचाओ' का अर्थ है- हे अभिभावको, बेटी को बदमाशों से बचाने की ज़िम्मेदारी आपकी ही है |सरकार के भरोसे मत रहना  |सरकार को और भी बहुत से महत्त्वपूर्ण काम हैं |
और  'बेटी पढाओ' का अर्थ है- हे अभिभावको, अपनी बेटी को पढ़ाओ भी तुम खुद ही  क्योंकि हमने  परीक्षा और भर्ती घोटाले  करके  जो अध्यापक लगवाए हैं  उनके वश का पढ़ाना नहीं है  |

No comments:

Post a Comment