Sep 28, 2015

व्हिस्की के अवशेष

  व्हिस्की के अवशेष

आज आते ही तोताराम ने बड़े उत्साह से एक समाचार सुनाया- मास्टर, अब इस दुनिया की सभी समस्याएँ सुलझने वाली हैं और इसके बहाने सब के अच्छे दिन आने वाले हैं |

हमने कहा- सेवकों को चिढ़ाने के लिए तू हमेशा 'अच्छे दिन' को बीच में क्यों लाता है ? और किसी तरीके से भी तो बात कही जा सकती है | कह दे महँगाई, बेकारी  कम होने वाली है,अपहरण,चोरियाँ और वहां दुर्घटनाएँ कम होने वाली हैं |

तोताराम ने हमें रोकते हुए कहा- मुझे आगे भी तो कुछ बोलने दे |मैं कह रहा था कि अब इंग्लैण्ड के वैज्ञानिकों ने व्हिस्की के अवशेषों से कार चलाने की तकनीक विकसित कर ली है |

हमने कहा- हमारी तरफ से कार हवा से चले या सरसों के तेल से |हमारे पास कौन सी कार है |और मान ले कहीं कबाड़ में फेंकी हुई कोई कार उठा भी लाएँ तो करेंगे क्या ? हमें कौनसा कहीं जाना है |और अगर कभी निकल भी पड़े तो ज्यादा से ज्यादा जिला पुस्तकालय | और इस बीच में भी किसी वीर जाति के युवक के बाइक भिड़ा देने का खतरा रहेगा | इसलिए यही चबूतरा, तू और चाय भले | भारत की औसत आयु तो जी चुके |अब तो बोनस चल रहा है और फिर इसमें कौन सा तीर मार लिया, तोताराम | व्हिस्की के तो अवशेष ही क्या, 'बस नाम ही काफी है' | ड्राइवर को खाली बोतल दिखा दो तो उसकी कार की स्पीड बढ़ जाती है |ये विदेशी लोग दारू बनाने में भी इतने नाटक करते हैं जैसे चाँद पर कोई अंतरिक्ष यान भेज रहे हों |तो फिर उनकी व्हिस्की का अवशेष भी तो विशेष ही होगा | 

बोला- लेकिन लोग भी तो विदेशी माल के दीवाने हैं अन्यथा तकनीक की अपने यहाँ भी कौन सी कमी है | लोग बिना गाय, भैंस के दूध और घी का धंधा चलाते हैं | बिना भवन, कॉलेज के सीधे-सीधे डिग्री बाँटते देते हैं | बीस-तीस हजार के विदेशी रिवाल्वर जैसे  एटा, इटावा के कट्टे की पाँच हजार में होम डिलीवरी दे देते हैं |  दो मिनट मैगी से भी तेज़ | जैसी चाहे- व्हिस्की, रम, जिन, बोद्का या शैम्पेन माँगो;  दो मिनट में स्पिरिट मिलाकर, लेबल चिपकाकर फटाफट दे देते हैं |मगर कोई चांस तो दे |
कल ही एक सज्जन मिले थे |बता रहे थे कि अपने झुंझुनू जिले के महनसर में एक ठाकुर साहब ऐसी दारू बनाते थे कि पानी के एक ड्रम में उस दारु की एक सींक मिला दो; बस काफी है | उसी के अवशेषों के बल पर आज तक इस देश का लोकतंत्र चल रहा है | किसी चुनाव क्षेत्र में ले जाकर ज़मीन में गाड़ दो तो मतदाता टुन्न होकर जिसे कहो वोट दे देते हैं | ऐसी दारू की पूरी बोतल तो पंचायत से लेकर सबसे बड़ी विधायिका तक के सभी माननीयों के लिए इस पूरी शताब्दी तक पर्याप्त है |

तोताराम ने हमारे चरण-कमल पकड़ते हुए कहा- भ्राता श्री, छोड़िये व्यर्थ की बातें |यदि जिंदा हों तो आप तो उन ठाकुर साहब का पता बताइए |

 

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