ज्ञान-पिपासु
विदेशों के कई समाचार पढ़ने को मिलते रहते हैं कि नब्बे वर्ष की एक महिला ने बीस कोशिशों में मेट्रिक की परीक्षा पास की, एक महिला ने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने के लिए अपनी डाक्टरी की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और अब आगे की पढाई पूरी करने के लिए फिर कॉलेज में प्रवेश लिया है | जब प्रौढ़ शिक्षा शुरु हुई थी तो अपने यहाँ भी बहुत से वृद्ध रात्रि पाठशाला में जाने लगे थे | हमने और तोताराम भी मध्याह्न भोजन के चक्कर में जुलाई में प्रवेशोत्सव में गए लेकिन पार नहीं पड़ी |
आज कल तो खैर, विश्व विद्यालय ही डिग्रियां बेचने लगे और नेता लोग ऐसे लोगों की सरकारी मास्टरी में भर्ती भी कराने लगे तो न पढ़ने की ज़रूरत रही और न ही नौकरी की फ़िक्र | दो-दो साल की तनख्वाह अग्रिम दो, डिग्री और नौकरी लो | बी.एड. का यह हाल है कि फीस दो और प्रशिक्षित शिक्षक बन जाओ | प्रशिक्षु कोई और नौकरी कर रहा है और कॉलेज के पास कक्षाएँ लगाने के लिए भवन ही नहीं |दोनों को बिना हर्र फिटकरी अच्छा रंग आ रहा है |
आज जब हम और तोताराम सुबह-सुबह घूम कर आ रहे थे तो एक बालक फ्रेंच कट दाढ़ी में स्कूल ड्रेस में आता दिखा | हमने तोताराम से कहा- बन्धु, क्या तुम्हें यह महानायक जैसा नहीं लग रहा ?
बोला- लगता तो वैसा ही है लेकिन उन्होंने भले ही वरिष्ठ नागरिक बनने के बाद फिल्मों में जवानी से भी ज्यादा इश्किया हरकतें की हैं लेकिन कभी किसी फिल्म में निक्कर नहीं पहना और धर्मेन्द्र या सलमान की तरह कमीज़ भी नहीं उतारी तो फिर अब निक्कर क्या पहनेंगे ?
हमने कहा- फिर भी पूछने में क्या हर्ज़ है ?
आगे बढ़कर तोताराम ने नमस्ते की और पूछा - बेटे, तुम्हारी वेशभूषा तो विद्यार्थी जैसी है लेकिन दाढ़ी अमिताभ बच्चन जैसी है | क्या तुम महानायक अमित जी तो नहीं है ?
बच्चा बोला- और क्या तुम्हें अनुपम खेर लगता हूँ ? दाढ़ी तो अब किसी भी हाल में नहीं कटा सकते क्योंकि यदि कटा दें घर वाले ही नहीं पहचानेंगे |और निक्कर पहनकर स्कूल में इसलिए जा रहे हैं कि हम अब भी कला के जिज्ञासु हैं |ज्ञान कभी ख़त्म नहीं होता |और हमारा तो धंधा ही ऐसा है कि नए से नए लटके न करो तो काम नहीं मिलता |
हम तो स्कूल जा रहे हैं डांस और एक्टिंग की नई टेकनीक सीखने के लिए |
हमने कहा- लेकिन अब तो अखबारों में स्कूलों के विज्ञापन आने बंद हो गए, प्रवेशोत्सव समाप्त हो चुके |मतलब कि सीज़न बीत गया |
महानायक बोले- नहीं, अभी तो आलिया भट्ट ने डांस और एक्टिंग टीचर बनने की इच्छा भर जताई है | और उसके तत्काल बाद हमने उसके विद्यार्थी बनने की इच्छा ज़ाहिर कर दी है |क्योंकि चालू होते ही तो लाइन लग जाएगी |इसलिए निराशा से बचने के लिए हम अभी से लाइन में लगने के लिए जा रहे हैं |
तोताराम ने बात का सिरा पकड़ा और महानायक से प्रश्न किया- लेकिन लाइन तो वहीं से शुरु होती है जहां आप खड़े हो जाते हैं |
बोले- ये सब 'अच्छे दिनों' वालों की तरह जुमले हैं | ज़िन्दगी की असलियत कुछ और होती है |जैसे जीतने वाली पार्टी का पूर्वानुमान लगाकर दूरदर्शी और अनुशासित सिपाही नेताओं की आत्मा समय से पूर्व 'आवाज़' दे देती है |इसलिए हम भी धंधे में बने रहने के लिए तकनीक में पिछड़ना नहीं चाहते |
हम दोनों सोच रहे थे- क्या नितांत फ़िल्मी अनुभवहीन लोगों के लिए भी एडमीशन का कोई चांस हो सकता है ?
विदेशों के कई समाचार पढ़ने को मिलते रहते हैं कि नब्बे वर्ष की एक महिला ने बीस कोशिशों में मेट्रिक की परीक्षा पास की, एक महिला ने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने के लिए अपनी डाक्टरी की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और अब आगे की पढाई पूरी करने के लिए फिर कॉलेज में प्रवेश लिया है | जब प्रौढ़ शिक्षा शुरु हुई थी तो अपने यहाँ भी बहुत से वृद्ध रात्रि पाठशाला में जाने लगे थे | हमने और तोताराम भी मध्याह्न भोजन के चक्कर में जुलाई में प्रवेशोत्सव में गए लेकिन पार नहीं पड़ी |
आज कल तो खैर, विश्व विद्यालय ही डिग्रियां बेचने लगे और नेता लोग ऐसे लोगों की सरकारी मास्टरी में भर्ती भी कराने लगे तो न पढ़ने की ज़रूरत रही और न ही नौकरी की फ़िक्र | दो-दो साल की तनख्वाह अग्रिम दो, डिग्री और नौकरी लो | बी.एड. का यह हाल है कि फीस दो और प्रशिक्षित शिक्षक बन जाओ | प्रशिक्षु कोई और नौकरी कर रहा है और कॉलेज के पास कक्षाएँ लगाने के लिए भवन ही नहीं |दोनों को बिना हर्र फिटकरी अच्छा रंग आ रहा है |
आज जब हम और तोताराम सुबह-सुबह घूम कर आ रहे थे तो एक बालक फ्रेंच कट दाढ़ी में स्कूल ड्रेस में आता दिखा | हमने तोताराम से कहा- बन्धु, क्या तुम्हें यह महानायक जैसा नहीं लग रहा ?
बोला- लगता तो वैसा ही है लेकिन उन्होंने भले ही वरिष्ठ नागरिक बनने के बाद फिल्मों में जवानी से भी ज्यादा इश्किया हरकतें की हैं लेकिन कभी किसी फिल्म में निक्कर नहीं पहना और धर्मेन्द्र या सलमान की तरह कमीज़ भी नहीं उतारी तो फिर अब निक्कर क्या पहनेंगे ?
हमने कहा- फिर भी पूछने में क्या हर्ज़ है ?
आगे बढ़कर तोताराम ने नमस्ते की और पूछा - बेटे, तुम्हारी वेशभूषा तो विद्यार्थी जैसी है लेकिन दाढ़ी अमिताभ बच्चन जैसी है | क्या तुम महानायक अमित जी तो नहीं है ?
बच्चा बोला- और क्या तुम्हें अनुपम खेर लगता हूँ ? दाढ़ी तो अब किसी भी हाल में नहीं कटा सकते क्योंकि यदि कटा दें घर वाले ही नहीं पहचानेंगे |और निक्कर पहनकर स्कूल में इसलिए जा रहे हैं कि हम अब भी कला के जिज्ञासु हैं |ज्ञान कभी ख़त्म नहीं होता |और हमारा तो धंधा ही ऐसा है कि नए से नए लटके न करो तो काम नहीं मिलता |
हम तो स्कूल जा रहे हैं डांस और एक्टिंग की नई टेकनीक सीखने के लिए |
हमने कहा- लेकिन अब तो अखबारों में स्कूलों के विज्ञापन आने बंद हो गए, प्रवेशोत्सव समाप्त हो चुके |मतलब कि सीज़न बीत गया |
महानायक बोले- नहीं, अभी तो आलिया भट्ट ने डांस और एक्टिंग टीचर बनने की इच्छा भर जताई है | और उसके तत्काल बाद हमने उसके विद्यार्थी बनने की इच्छा ज़ाहिर कर दी है |क्योंकि चालू होते ही तो लाइन लग जाएगी |इसलिए निराशा से बचने के लिए हम अभी से लाइन में लगने के लिए जा रहे हैं |
तोताराम ने बात का सिरा पकड़ा और महानायक से प्रश्न किया- लेकिन लाइन तो वहीं से शुरु होती है जहां आप खड़े हो जाते हैं |
बोले- ये सब 'अच्छे दिनों' वालों की तरह जुमले हैं | ज़िन्दगी की असलियत कुछ और होती है |जैसे जीतने वाली पार्टी का पूर्वानुमान लगाकर दूरदर्शी और अनुशासित सिपाही नेताओं की आत्मा समय से पूर्व 'आवाज़' दे देती है |इसलिए हम भी धंधे में बने रहने के लिए तकनीक में पिछड़ना नहीं चाहते |
हम दोनों सोच रहे थे- क्या नितांत फ़िल्मी अनुभवहीन लोगों के लिए भी एडमीशन का कोई चांस हो सकता है ?
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