Sep 25, 2015

मुसलमानों का उद्धार

  मुसलमानों का उद्धार

अब तक तोताराम हिंदुत्त्ववादियों की आलोचना-निंदा किया करता था कि ये लोग मुसलमानों से घृणा करते हैं, उन्हें पाकिस्तान भगा देना चाहते हैं | बयानों को देखते हुए तोताराम की बात को काटने के लिए हमारे पास कोई तर्क भी तो नहीं था |

दो दिन पहले समाचार पढ़ा-संस्कारित करने के लिए हरियाणा के मेवात इलाके के फिरोजपुर में देश भर के मुसलमान गौपालकों का एक अखिल भारतीय सम्मलेन किया जा रहा है |हमें बड़ी ख़ुशी हुई | जैसे ही तोताराम आया हमने अखबार उसके सामने रखकर कहा- कि तू जिनकी आलोचना किया करता था वे किस तरह सर्व धर्म और सर्व संप्रदाय समभाव से अपने मुसलमान भाइयों को संस्कारित करने की सोच रहे हैं |

बोला- लगता है,  कोई हिन्दू गाय पालता ही नहीं ?  इसीलिए तो आज तक कोई हिन्दू गौपालक सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया | 

हमने कहा- वे तो प्राचीन काल से गाएं पालते-पालते इतने संस्कारित हो चुके हैं कि उन्हें फिर संस्कारित करने की आवश्यकता नहीं है |  वे अब गौपालन की बजाय गौसेवा करते हैं |मुसलमान अभी इतने संस्कारित नहीं हैं कि उन्हें गौशाला अध्यक्ष का पद या गौसेवा का काम दिया जाए | 

और इसके पीछे अपने पिछड़े मुसलमान भाइयों की आर्थिक स्थिति सुधारने का भी महान उद्देश्य छुपा हुआ है |तुझे पता होना चाहिए कि एक गाय अपने सारे जीवन में अपने पालक को २५ लाख रुपए कमा कर देती है |अब यदि विदेश से काला धन नहीं भी आता है तो कोई बात नहीं |एक गाय अधिक से अधिक २५ साल जीती होगी |इस तरह एक गाय मतलब एक लाख रुपया प्रतिवर्ष | एक मुसलमान पाँच गायें पाले और पाँच लाख रुपया प्रति वर्ष कमाए | सड़कों पर गायों फिरते रहने की समस्या भी ख़त्म |और फिर गाय के हर अंग में किसी न किसी देवता का वास है सो पुण्य फ्री में |

बोला-- तो फिर हर हिन्दू विशेषरूप से विश्व हिन्दू परिषद के सदस्य और स्वयंसेवक दो-दो,चार-चार गायें क्यों नहीं पालते ?  

हमने कहा- हम इतने स्वार्थी नहीं है | हम पहले अपने पिछड़े भाइयों का कल्याण करना चाहते हैं |

बोला- तो एक काम तो किया ही जा सकता है कि सरकार गौशालाओं का अनुदान बंद कर दे और प्रति गाय एक लाख रुपए प्रतिवर्ष के हिसाब से आमदनी मानते हुए उनसे टेक्स वसूले | पुण्य को टेक्स फ्री किया जा सकता है | 

इससे सरकार को जनसेवा के लिए इतने अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे कि हमें किसी देश के सामने निवेश के लिए हाथ नहीं  फैलाना पड़ेगा  | 

हमने कहा- तोताराम, यदि हमारे वश में होता तो हम तुझे देश का वित्तमंत्री बना देते |लेकिन यह पद इतना महत्त्वपूर्ण है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी तक आस लगाए बैठे हैं |बेचारे को आश्वासन (पता नहीं किसने ) भी दे दिया और अब कोई पूछता नहीं |




No comments:

Post a Comment