वर्तनी-विवाद
आज आते ही तोताराम हमारे सामने एक लिफाफा रखते हुए बोला- देखा, अभी-अभी 'विश्व हिंदी सम्मेलन' में सौ-दो सौ करोड़ को बत्ती लगाकर, हिंदी का हल्ला मचाकर निबटे हैं और यह 'हिंदी की हिंदी' नहीं, आज तेरे लघु भ्राता का जुलूस निकल गया |
हमने उसके हाथ से लिफाफा लेकर देखना चाहा तो कहने लगा- बस, यह समझ ले कि किसी सरकारी या अर्द्ध सरकारी विभाग से आया है | पते में मेरा नाम लिखा है- टोटाराम |मैंने ज़िन्दगी भर पूरा टेक्स चुकाया, कोई गलत बिल बनाकर भुगतान नहीं उठाया, कभी स्कूल का एक कागज़ या चाक तक घर नहीं लाया | और मुझे ही लिख दिया टोटाराम | क्या मेरे कारण ही इस देश में टोटा आ गया ? अरे, खेतों में बिजली नहीं और नेता जी के घर पर बीस-बीस ए.सी. चल रहे हैं- उन्हें तो कोई कुछ नहीं कहता |आठ लाख की घड़ी और चौबीस हजार के जूते पहनने वाले तथाकथित किसान नेता अपनी कॉलोनी काट चुके खेत पर फसल खराबे का मुआवजा उठा रहे हैं लेकिन कहलाते हैं जन-सेवक |
हमने कहा- बन्धु, हो सकता है संबंधित विभाग ने तुम्हें 'टोटाराम' लिख कर गरीब होने का प्रमाण-पत्र दे दिया हो जो आगे चल कर किसी सरकारी योजना के लाभ का आधार बने | फायदा ही है |
बोला- सरकार का इस बारे में गणित साफ़ है |अल्प संख्यक भले ही अढाई लाख रुपए वार्षिक से कम आय का प्रमाण-पत्र देकर बच्चों की पढ़ाई के लिए बिना ब्याज ऋण पाले लेकिन ब्राह्मण को एक लाख रुपए वार्षिक से कम होने पर भी बच्चों को पढ़ाने के लिए कम ब्याज पर भी ऋण नहीं मिलेगा | खैर, कर्ज़ा न दें, नाम की वर्तनी तो सही लिखें |
हमने कहा- लेकिन वर्तनी से क्या फर्क पड़ता है ? लड् डू में ह्रस्व उ लगा या दीर्घ- लड् डू तो लड् डू ही रहेगा |
कहने लगा- तो फिर यह 'मीणा/मीना विवाद क्या है ?
हमने कहा- यह वर्तनी का विवाद नहीं है | कोई मीणा लिखता है तो कोई मीना | और कोई मिना लिख दे तो भी न तो परीक्षा में नंबर कटते हैं और न ही तनख्वाह कम मिलती है |वैसे इसमें किसी अधिकारी या पार्टी को दोष देना उचित नहीं है |यह सारी गलती अंग्रेजों की है जिनकी लिपि में ण,ध,ढ,ढ़,ड़,ठ,त,ञ,ङ आदि ध्वनियाँ हैं ही नहीं, और न ही अ,आ,इ,ई,उ,ऊ स्वरों के लिए भी कोई निश्चित चिह्न |इसलिए ये सब चक्कर पड़ जाते हैं | यह शब्द 'मीणा' है और देवनागरी में 'मीणा' ही लिखा जाता है |किसी ने रोमन में लिखा तो mina/meena के अलावा और क्या लिखता ? लगता है, बात कुछ नहीं, किसी खुचड़ बाबू की गलती से यह तमाशा हुआ है |
बोला- वैसे 'मीणा' को 'मीना' लिखने में भी कोई गलती नहीं है क्योंकि मूल शब्द है- मीन | मीन का मतलब है -मत्स्य प्राचीन काल में मीणा राजाओं के ध्वज पर 'मीन' या 'मत्स्य' का निशान होता था | मीणा तो तद्भव है | 'मीना' तत्सम के अधिक निकट होने से अधिक शुद्ध है |
हमने कहा- शब्द का झगड़ा कहीं नहीं है | लाभ मिले तो ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य अपने नाम के आगे 'महादलित' लिखने को तैयार हैं |
वैसे मीना कुमारी ने तो कोई लाभ नहीं उठाया |
आज आते ही तोताराम हमारे सामने एक लिफाफा रखते हुए बोला- देखा, अभी-अभी 'विश्व हिंदी सम्मेलन' में सौ-दो सौ करोड़ को बत्ती लगाकर, हिंदी का हल्ला मचाकर निबटे हैं और यह 'हिंदी की हिंदी' नहीं, आज तेरे लघु भ्राता का जुलूस निकल गया |
हमने उसके हाथ से लिफाफा लेकर देखना चाहा तो कहने लगा- बस, यह समझ ले कि किसी सरकारी या अर्द्ध सरकारी विभाग से आया है | पते में मेरा नाम लिखा है- टोटाराम |मैंने ज़िन्दगी भर पूरा टेक्स चुकाया, कोई गलत बिल बनाकर भुगतान नहीं उठाया, कभी स्कूल का एक कागज़ या चाक तक घर नहीं लाया | और मुझे ही लिख दिया टोटाराम | क्या मेरे कारण ही इस देश में टोटा आ गया ? अरे, खेतों में बिजली नहीं और नेता जी के घर पर बीस-बीस ए.सी. चल रहे हैं- उन्हें तो कोई कुछ नहीं कहता |आठ लाख की घड़ी और चौबीस हजार के जूते पहनने वाले तथाकथित किसान नेता अपनी कॉलोनी काट चुके खेत पर फसल खराबे का मुआवजा उठा रहे हैं लेकिन कहलाते हैं जन-सेवक |
हमने कहा- बन्धु, हो सकता है संबंधित विभाग ने तुम्हें 'टोटाराम' लिख कर गरीब होने का प्रमाण-पत्र दे दिया हो जो आगे चल कर किसी सरकारी योजना के लाभ का आधार बने | फायदा ही है |
बोला- सरकार का इस बारे में गणित साफ़ है |अल्प संख्यक भले ही अढाई लाख रुपए वार्षिक से कम आय का प्रमाण-पत्र देकर बच्चों की पढ़ाई के लिए बिना ब्याज ऋण पाले लेकिन ब्राह्मण को एक लाख रुपए वार्षिक से कम होने पर भी बच्चों को पढ़ाने के लिए कम ब्याज पर भी ऋण नहीं मिलेगा | खैर, कर्ज़ा न दें, नाम की वर्तनी तो सही लिखें |
हमने कहा- लेकिन वर्तनी से क्या फर्क पड़ता है ? लड् डू में ह्रस्व उ लगा या दीर्घ- लड् डू तो लड् डू ही रहेगा |
कहने लगा- तो फिर यह 'मीणा/मीना विवाद क्या है ?
हमने कहा- यह वर्तनी का विवाद नहीं है | कोई मीणा लिखता है तो कोई मीना | और कोई मिना लिख दे तो भी न तो परीक्षा में नंबर कटते हैं और न ही तनख्वाह कम मिलती है |वैसे इसमें किसी अधिकारी या पार्टी को दोष देना उचित नहीं है |यह सारी गलती अंग्रेजों की है जिनकी लिपि में ण,ध,ढ,ढ़,ड़,ठ,त,ञ,ङ आदि ध्वनियाँ हैं ही नहीं, और न ही अ,आ,इ,ई,उ,ऊ स्वरों के लिए भी कोई निश्चित चिह्न |इसलिए ये सब चक्कर पड़ जाते हैं | यह शब्द 'मीणा' है और देवनागरी में 'मीणा' ही लिखा जाता है |किसी ने रोमन में लिखा तो mina/meena के अलावा और क्या लिखता ? लगता है, बात कुछ नहीं, किसी खुचड़ बाबू की गलती से यह तमाशा हुआ है |
बोला- वैसे 'मीणा' को 'मीना' लिखने में भी कोई गलती नहीं है क्योंकि मूल शब्द है- मीन | मीन का मतलब है -मत्स्य प्राचीन काल में मीणा राजाओं के ध्वज पर 'मीन' या 'मत्स्य' का निशान होता था | मीणा तो तद्भव है | 'मीना' तत्सम के अधिक निकट होने से अधिक शुद्ध है |
हमने कहा- शब्द का झगड़ा कहीं नहीं है | लाभ मिले तो ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य अपने नाम के आगे 'महादलित' लिखने को तैयार हैं |
वैसे मीना कुमारी ने तो कोई लाभ नहीं उठाया |
No comments:
Post a Comment