Nov 12, 2018

अपराधी पहचानने वाली गोली



 अपराधी पहचानने वाली गोली 

लखनऊ में देर रात को अपनी एक साथी को उसके घर छोड़ने जाते हुए एपल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी उत्तर प्रदेश के एक पुलिसमैन प्रशांत चौधरी की गोली से मारे गए |किसी भी व्यक्ति को संदेहास्पद पाए जाने पर उसे हिरासत में लेकर उस पर कार्यवाही की जाती है |पता नहीं, क्या हुआ कि सीधे गोली ही चला दी गई ?क्या और कोई उपाय नहीं था ? जब कि मृतक के पास कोई बंदूक भी नहीं थी |हालाँकि हम तो दिन में भी कम ही निकलते हैं |लेकिन अपने ही देश में, अपने ही राज में आदमी इतना असुरक्षित है ? किसी अपराधी द्वारा हत्या की बात और है लेकिन पुलिस के हाथों.......| बड़ी चिंता की बात है |

इसी उधेड़बुन में थे कि तोताराम आगया |हमने पूछा- तोताराम, क्या ज़माना आगया |कोई कुख्यात अपराधी तो कोर्ट और जेल में से भी भाग जाता है | बड़े राजनीतिक अपरधियों के लिए जेल में भी पुलिस अधिकारी जश्न की व्यवस्था करते हैं | उन्हें सलाम बजाते हैं | सामान्य आदमी कहीं भी लपेटे में ले लिया जाता है |

बोला- बेचारे पुलिस वाले भी क्या करें |'अर्द्ध सत्य' जैसे अपराधी नेताओं को सलाम बजाते-बजाते, उनके अंगरक्षक की भूमिका निभाते-निभाते घटिया से घटिया पुलिस वाले की आत्मा भी उसे कचोटती है |  ऐसे ही माननीयों के हाथों सरे आम पिटने पर कानून के इन रखवालों को कैसा लगता होगा ? वर्दी ही नहीं, सारी शख्सियत कीचड़ में सन जाती होगी |बस, पुलिस की यही कुंठा भले आदमियों पर निकलती है |

हमने कहा- अपनी कुंठा अपने जैसे ही सामान्य लोगों पर निकालने की बजाय पुलिस को बिना बात अपमानित और लज्जित करने वालों पर निकालनी चाहिए |जब अपनी प्राण रक्षा के बहाने की आड़ में किसी सामान्य नागरिक पर गोली चलाने में डर नहीं लगता तो अपनी बेइज्जती करने वाले इन नीच माननीय जी को भी अनावश्यक इज्जत नहीं देनी चाहिए |

बोला- लेकिन तुम कैसे कह सकते हो कि मारा गया विनय तिवारी अपराधी नहीं था ?

हमने कहा- लेकिन तुम भी कैसे कह सकते हो कि पुलिसमैन प्रशांत तिवारी की कोई गलती नहीं थी ?

बोला- क्या योगी सरकार में सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह झूठ बोलते हैं ?उनका नाम ही धर्म से शुरू होता है |वे अधर्म और अन्याय की बात न कह सकते हैं और न कर सकते हैं |उन्होंने स्पष्ट कह दिया है कि गोली उन्हीं को लग रही है जो अपराधी हैं |धर्म-प्राण सरकार ने ऐसी गोली का आविष्कार कर लिया गया है कि जिसे कोई किधर भी मुँह करके, कैसे भी चलाए लेकिन वह गोली लगती अपराधी को ही है |मतलब जिसे भी गोली लगे समझो वही अपराधी है |जैसे कम्प्यूटर से बना बिल गलत नहीं हो सकता, सत्ताधारी नेता का वक्तव्य कुटिलता से प्रेरित नहीं हो सकता वैसे ही धर्म-प्राण सरकार द्वारा निर्मित धर्म-प्राण गोली भी किसी निरपराध को नहीं लग सकती |

हमने कहा- तो फिर न्यायालय की क्या ज़रूरत है ? गोली चलाओ, जिसे भी लगे वही अपराधी |और अपराधी को दंड देना कोई गलत नहीं |

बोला- यही बात है | इन न्यायालयों के चक्कर में तो करोड़ों मुकदमे पेंडिंग पड़े हैं | न्यायालयों के चक्कर में तो चार सौ साल से रामलला अयोध्या के आउटर सिग्नल पर रुके हुए हैं | १९९२ में त्वरित-न्याय कर दिया वैसे ही कुछ करना पड़ेगा |






 



   


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