Nov 6, 2018

प्रदूषण-प्रतिरोध-प्रन्यास



प्रदूषण-प्रतिरोध-प्रन्यास  

आज तोताराम ने आते ही हमारे चेहरे के सामने करके एक डिब्बा खड़खड़ाया |वैसे ही जैसे बस अड्डे पर या ट्रेन में बिना कुछ अतिरिक्त बोले भिखारी कुछ देने का संकेत करता है |

हमने कहा- भीख माँगते हुए शर्म नहीं आती ? क्यों एक तेज गति से विकास की छलाँग लगाते हुए देश की इमेज का कचरा कर रहा है |यदि पेंशन से पेट नहीं भरता तो कोई छोटा-मोटा बिजनेस कर ले |और नहीं तो सड़क के किनारे चाय-पकौड़े का ठेला ही लगा ले | यदि पकौड़े बनाने नहीं आते तो देख कर सीख ले- आमेर में बूथ अभियान कार्यक्रम के तहत अपने राजस्थान से सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़  एक दुकान पर पकौड़े तलने का डिमोंस्ट्रेशन दे रहे हैं |

बोला- पहली बात तो मैं भीख नहीं माँग रहा |दूसरे कबीर ने कहा है- 
मर जाऊँ, माँगूँ नहीं, अपने तन के काज |
परमारथ के कारणै मोहि न आवै लाज ||

जैसे मोदी जी को 'स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत' के लिए सेस (उपकर) लगाते हुए संकोच नहीं होता वैसे ही मुझे परमार्थ के लिए भीख भी माँगनी पड़े तो माँगूँगा |वैसे फिलहाल मैं 'प्रदूषण-प्रतिरोध-प्रन्यास' के लिए आर्थिक सहयोग जुटा रहा हूँ |अभी दिल्ली जा रहा हूँ अरविंद केजरीवाल और मोदी जी से शुभकामनाएं लेने |सोचा, शुभारम्भ तुझसे ही कर लूँ |लेकिन तू कभी भी, किसी भी शुभ काम में सहयोग नहीं करता और कम से कम मेरे साथ तो बिलकुल भी नहीं |

हमने कहा- तोताराम, और कुछ हो न हो लेकिन इस योजना का तेरे द्वारा दिया गया नामकरण वास्तव में बड़ा धाँसू है |आजकल देश में चल रही योजनाओं और यहाँ तक कि गाली-गलौज तक में जो संस्कृतनिष्ठता और सामासिकता आ गई है, तेरा यह नाम उसका एक श्रेष्ठ उदाहरण है |शब्द के उच्चारण से ही एक परिनिष्ठित वातावरण का निर्माण हो जाता है |भले ही गंगा गन्दी हो गई है पर तेरे इस शब्द से लगता है कहीं आसपास ही प्रसून जोशी के स्वच्छता गीत की तरह पवित्रता की नदी कल-कल, छल-छल करती बह रही है |

पता है डाक्टरों के अनुसार दिल्ली में इतना प्रदूषण है कि वहाँ रहने वालों के फेफड़ों में रोज १०-१५ सिगरेट जितना धुआँ चला जाता है |केजरीवाल खुद दिल्ली के प्रदूषण के कारण दमे से परेशान हैं |मोदी जी तो योग और देश सेवा करने की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण मेंटेन किए हुए हैं |अन्य देश सेवक भी बिचारे क्या करें ? देश सेवा के लिए संकट सहकर भी दिल्ली में रह रहे हैं |दिल्ली तो देश की राजधानी है |यदि सरकार वहाँ भी प्रदूषण नियंत्रण नहीं कर सकती तो देश के अन्य भागों का क्या रोना रोएँ ? 

बोला- सरकार कर तो बहुत कुछ रही है लेकिन गाँधी-नेहरू परिवार ने पिछले  सत्तर वर्षों से इतना प्रदूषण फैला दिया है कि कंट्रोल में ही नहीं आ रहा है | 

हमने कहा- तोताराम, कुछ लोग नब्बे वर्षों से देश की चार पीढ़ियों को यही सत्य और इतिहास पढ़ाते आ रहे हैं कि देश की हर समस्या की जड़ गाँधी-नेहरू परिवार है |पिछले चार साल से तो रोज ही हर सरकारी, गैर सरकारी कार्यक्रम में इस-उस बहाने से देश की हर समस्या के लिए एक ही परिवार को दोष दिया जा रहा है | अब तो गाँधी-नेहरू परिवार का शासन नहीं है फिर दिल्ली में इतना प्रदूषण क्यों है ? कहीं इस प्रदूषण का कारण लोगों के कुंठाग्रस्त विचार तो नहीं ? 

तोताराम ने अपनी जेब से स्मार्ट फोन निकाला |हम आश्चर्यचकित | यह क्या ? पूछा- कहाँ से मारा ? 

बोला- मारा नहीं | पार्टी ने पाँच सौ रुपए में दिया है |मुझसे तो वे भी नहीं लिए |रोज एक जी बी डाटा भी |सब कुछ मुफ्त |कहा गया है कि मैं देश में सकारात्मकता फ़ैलाने वाले वीडियो लोगों को दिखाऊँ |

ऐसा कह कर उसने अपना स्मार्ट फोन चालू किया |चालू करते ही उसमें नेहरू जी का सिगरेट का धुआँ छोड़ते हुए एक ब्लेक एंड व्हाईट फोटो दिखा | 

हमने कहा- यह तो कोई सत्तर साल पुराना फोटो है |क्या अभी तक उस सिगरेट का धुआँ दिल्ली, देश और तुम्हारे जैसों के दिलो-दिमाग पर छाया हुआ है ?

बोला- यही तो रोना है |पता नहीं, कितनी और कैसी सिगरेटें पीता था कि अब तक दिल्ली और दिल्ली में बैठे सेवक परेशान हैं |

हमने कहा- क्या नेहरू ने सिगरेट पीने अलावा कुछ किया ही नहीं ? 

बोला- किया क्यों नहीं ? 

और तोताराम ने वीडियो आगे चलाया |उसमें बताया गया था कि नेहरू जी के पूर्वज मुसलमान थे | नेहरू जी गाय और सूअर का मांस खाते थे |  

नेहरू जी के बारे में यह आविष्कार करने वाले सज्जन हैं -




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 राजस्थान के अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुने गए श्री श्री १०८ ज्ञानदेव आहूजा | ऋषि तुल्य, बड़ी सौम्य और विद्वत्तापूर्ण मुखाकृति |हालाँकि जिन दिनों का यह फोटो था उस समय उनका जन्म भी नहीं हुआ होगा लेकिन जब उनके नाम में ही ज्ञान जुड़ा हुआ है तो फिर शंका का प्रश्न ही नहीं |वैसे यदि कोई शंका करने का साहस करे भी उनकी मूँछों को देखकर संभव नहीं |

हमने पूछा- यह वीडियो तुझे कहाँ से मिला ?

बोला- मिला क्या ? देश के दिल्ली से निकालने वाले प्रतिष्ठित हिंदी समाचार पत्र की  ईपेपर साईट पर ११ अगस्त २०१८ से पड़ा हुआ |

हमने कहा- क्या नेहरू जी के बारे में सिगरेट पीने की एक नितांत और सामान्य बात देश के लिए इतनी महत्त्वपूर्ण जानकारी हो गई कि हटाई ही नहीं जा रही है या फिर ज्ञानदेव और उनके जैसे खोजी इतिहासकारों की मुहिम में अखबार भी अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर रहा है ?  

बोला- मुझे क्या पता ? मुझे तो देश हित में इसे प्रचारित करना है 

हमने कहा- ठीक है तोताराम |तेरी मर्ज़ी | हमारा तो यही मानना है कि कोई भी जीव पूर्ण नहीं है |क्या उनकी आलोचना करने वालों में कोई कमी नहीं है ? सभी मनुष्य धीरे-धीरे विकसित होते हैं |व्यक्ति का समग्र मूल्यांकन होता है |रामचरित मानस में 
'ढोल गँवार सूद्र पसु नारी' के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है ? और क्या यह अर्थ सही भी है ? अर्थ शब्दों का ही नहीं होता |उसकी ध्वनि और व्यंजना भी होती है |सब कुछ देश काल सापेक्ष भी होता है | सत्य-अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी ने भी अपने बचपन में मांस खाया था, बीड़ी भी पी थी |अटल जी भी मछली खाते थे, व्हिस्की पीते थे |उनका एक स्टेटमेंट है- मैं कुँवारा तो हूँ, ब्रह्मचारी नहीं |राजकुमारी कौल के लिए उनके मन में एक 'सॉफ्ट कोर्नर' था |लेकिन क्या यही सब कुछ अटल जी हैं |बुद्ध बिना बताए अपनी पत्नी को छोड़कर चले गए तो क्या पत्नी के प्रति अन्याय के अतिरिक्त बुद्ध कुछ भी नहीं है |हिटलर ने साठ लाख यहूदियों की हत्या करवा दी |वह क्या इसीलिए क्षम्य है कि वह कुँवारा, शाकाहारी और आस्तिक था |यह एक एकांगी और कुंठाग्रस्त मूल्यांकन है |
बोला- मैंने तुम्हारी बात सुन ली यह क्या कम है ? वैसे हम किसी की सुनते नहीं |और मानने का तो सवाल ही नहीं है |

हमने कहा- जिस भारत को जगद्गुरु कहा जाता है उसमें हर प्रकार की जिज्ञासा, प्रश्न, तर्क और संवाद की जगह थी |पता नहीं, तुम्हारा कैसा 'जगद्गुरु भारत' बनाने का इरादा है ?

5th November 2018 










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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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