Nov 3, 2018

नेताजी की वापसी



 नेताजी की वापसी 





LIVE: आजाद हिंद फौज का 75वां साल, PM ने फहराया झंडा




स्वतंत्रता प्राप्ति के कोई तीस-पैंतीस साल बाद तक कभी-कभार अखबारों में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से मिलती-जुलती शक्ल वाले किसी बाबाजी को किसी आश्रम में देखे जाने की खबरें पढने को मिल जाया करती थीं |चूँकि सुभाष एक बुद्धिमान, साहसी, सुन्दर और युवा नेता थे |जोशीले भाषण और रोमांचक काम |  सेना बनाना, अंग्रेजों से युद्ध करना | ऐसे में विमान दुर्घटना में उनकी दुखद मृत्यु का समाचार लोगों को पच नहीं रहा था | हम युवा उनके लौट आने की कल्पना मात्र से रोमांचित हो जाते थे |अब चूँकि उनके जन्म को एक सौ से भी अधिक  वर्ष हो चुके हैं तो उनके जिंदा न होने को स्वीकार कर लिया गया |

आज अचानक उत्साह से भरा तोताराम आया और हमारे सामने अखबार रखते हुए बोला- नेताजी लौट आए हैं |देख,  लाल किले में तिरंगे को सलामी दे रहे हैं |

हमने फोटो देखा और कहा- क्या बात करता है ? लगता है तेरे चश्मे का नंबर बदल गया है |ये नेताजी नहीं हैं  | नेताजी दाढ़ी थोड़ेे ही रखतेे थे अफगानिस्तान के रास्ते फरार हुए थे तो उनकी दाढ़ी काली थी |इनकी दाढ़ी तो एकदम सफ़ेद है |

बोला- सौ बरस से भी ज्यादा के हो गए इसलिए दाढ़ी सफ़ेद हो गई |

हमने कहा- जब जिंदा थे तो इतने वर्षों तक आ क्यों नहीं गए ?

बोला- १९४७ में  जब वे कलकत्ता आए तो उन्हें पता चला कि यदि वे दिल्ली गए तो नेहरू परिवार उनको मरवा देगा |इसलिए पैदल ही गुजरात चले गए और वहाँ छुपकर रहते रहे |अब जब देशभक्तों का शासन आया है तो कुछ हिम्मत पड़ी | बूढ़े आदमी हैं |बड़ी मुश्किल से पैदल चलकर किसी तरह साढ़े चार साल में पहुंचे हैं |

हमने कहा- लेकिन ये नेताजी नहीं है |ये मोदी जी ही हैं |ठीक है, मोदी जी ने नेताजी की आत्मा की शांति के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना के ७५ वर्ष पूरे होने का उत्सव लाल किले में मनाया |
बहुत अच्छा किया लेकिन यदि किसी भी रूप में इस अवसर पर तकनीकी की सहायता से ही सही,नेताजी को , सलामी लेते हुए  दिखाते तो अधिक सुंदर लगता वैसे भी सुभाष में मिशन में मोदी जी की मातृसंस्था का कोई योगदान नहीं रहा |

बोला- लेकिन नेताजी की फोटो वगैरह में क्या मज़ा आता ? मुझे तो वैसे कोई फर्क नज़र नहीं आता | बिलकुल नेताजी लग रहे हैं |वही चमकता चेहरा, वही चश्मा, वही टोपी |

हमने कहा- यह तो मानना पड़ेगा |जब इन्होंने चरखा चलाया था तब भी बहुत से लोगों को गाँधी जी का धोखा हो गया था |
















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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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