बन्दर भगाने का नुस्खा
हमारे घर के सामने टेलीफोन का एक टावर है |जब बादल उस पर से गुजरते हैं तो लगता है टावर हिल रहा है |वास्तव में टावर बदस्तूर जमा हुआ जैसे कि मोबाइल कम्पनियाँ जमी हुई हैं |दुनिया उनकी मुट्ठी में आगई है |बहुत सस्ता मोबाइल सेट और लगभग मुफ्त टॉक टाइम देकर भी रोज करोड़ों रुपए कमा रहे हैं |आसपास के कबूतर जो सुनसान हवेलियों और पेड़ों के अभाव में परेशान थे अब रात को टावरों पर रैन-बसेरा करते हैं |कभी-कभी काले मुँह वाले कई बन्दर एक साथ आकर टावर पर काफी ऊँचे चढ़कर इधर-उधर निगाहें दौड़ाते है जैसे कि अच्छे दिनों को आते हुए औरों से पहले ही देख लेना चाहते हों |अगली सुबह उतरकर दक्षिण दिशा की ओर प्रस्थान कर जाते हैं |वैसे उत्तर प्रदेश हमसे पूर्व दिशा में है |
कभी-कभी घूमकर लौटते हुए हमारा और तोताराम का समागम हो जाता है |आज भी ऐसा ही हुआ |लेकिन तभी देखा, कोई पचास कदम पर दो बलिष्ठ लंगूर टावर से उतरकर दीवारों और पेड़ों पर नहीं, निधड़क सड़क पर चहलकदमी करते हुए हमारी ओर आ रहे हैं | हमें देखकर वे और उन्हें देखकर हम रुक गए |लंगूर तो सहज थे लेकिन हमारी और तोताराम की टाँगें काँप रही थीं |
जैसे देश की हर समस्या का हल आजकल दो-चार विशिष्ट नेताओं के पास है वैसे ही तोताराम भी हमारे लिए संकटमोचक है |हमने तोताराम की ओर देखा और इशारे से पूछा- अब ?
बोला- अब क्या ? दिल्ली के बहुत से लोगों की तरह वेंकैया नायडू जी तक बंदरों से परेशान हैं |लेकिन इसमें केंद्र की भाजपा सरकार दखल नहीं दे सकती | इसके लिए तो केजरीवाल जिम्मेदार हैं | हाँ, उत्तर प्रदेश के बन्दर पीड़ितों के लिए योगी जी ने नुस्खा बताया है कि हनुमान जी की आरती उतारो |
हमने कहा- लेकिन यहाँ आरती, धूप-दीप की व्यवस्था कैसे हो ?
बोला- तो हनुमान चालीसा का पाठ कर |
डर के मारे ज़ोर से बोलने की हिम्मत नहीं हुई लेकिन जैसे ही हमने हनुमान चालीसा फुसफुसाना शुरू किया तो बड़े वाला लंगूर भी मुँह चलाने लगा मानों हमारी नक़ल उतार रहा हो |हम चुप हो गए और कहा- तोताराम, कहीं हमारे फुसफुसाने से यह नाराज़ हो गया तो मुश्किल हो जाएगी |हनुमान जी लाल मुँह वाले हैं और यह काले मुँह वाला है इसीलिए इस पर हनुमान चालीसा का असर नहीं हो रहा है |
बोला- वैसे तो लाल और काले मुँह वाले दोनों एक ही होते हैं |बस, परिस्थितिवश कुछ परिवर्तन आ जाते हैं जैसे शाखाओं पर रहने वाले बंदरों का मुँह काला और पूँछ लम्बी होती हैं |जब ये ही शाखाओं से उतरकर कुर्सी पर बैठ जाते हैं तो इनकी पूँछ छोटी और मुँह का रंग लाल हो जाता है |फिर भी रिस्क लेना ठीक नहीं | कहीं योगी जी के नुस्खे के चक्कर में ये आक्रामक न हो जाएँ |चल, वापिस चलने का नाटक करते हैं |
जैसे ही हम दोनों वापिस लौटे, वे लंगूर भी अगली गली में मुड़ गए |और हम अपने घर की ओर |
शिक्षा मिली कि वास्तविक खतरे से न सरकार बचा सकती है और न ही उसे चलाने वाले योगियों के मन्त्र |खतरों से बचने में ही भलाई है |
हमने पूछा- तोताराम, क्या योगी जी ने गायों से बचने का भी कोई मन्त्र बताया है ?
बोला- बताया होता तो पाटन से संसद सदस्य लीलाधर वाघेला आई सी यू में क्यों होते ?
हमने पूछा- उन्हें क्या हुआ ?
बोला- वाघेला जी सवेरे-सवेरे अपने गाँधीनगर स्थित आवास से घूमने निकले |वे अपने साथ कुछ रोटियाँ भी ले गए थे |जब वे एक गौमाता को रोटियाँ खिलाने लगे कि गौमाता ने उन पर हमला कर दिया |
हमने कहा- गाँधीनगर में तो गाय रखने पर भी प्रतिबन्ध है तो सड़क पर गाय कहाँ से आगई ? उसे तो किसी गौपालक के यहाँ या गौशाला में होना चाहिए था |
बोला- गौ पालक गाय से नहीं यूरिया से दूध बनाते हैं और गौशाला में गायें नहीं, गौशाला की ग्रांट के कागजात रहते हैं |
पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)
(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (26-11-2018) को "प्रारब्ध है सोया हुआ" (चर्चा अंक-3167) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक