Jun 4, 2019

तोताराम का नामांकन



 तोताराम का नामांकन

तोताराम आज फिर नहीं आया |

चुनाव के बाद आत्मशुद्धि के लिए साधना तो कल हो चुकी है |अब पता नहीं और कौनसा नाटक ले आया होगा भला आदमी ? हम आज लगातार दूसरे दिन तोताराम के घर गए | हमारी आशा के विपरीत घर पर ताला लगा हुआ था |समझ नहीं आया, कहाँ गए होंगे सब के सब |

सोचा, जब निकल ही पड़े हैं तो क्यों न 'स्मृतिवन' तक एक लम्बी घुमाई ही कर लें | इसलिए कुचामन सिटी और नागौर जाने वाले हाइवे पर तेज कदमों से चलने लगे |अधिक दूर नहीं जाना पड़ा |कोई दो-तीन सौ कदम पर ही तोताराम, उसकी पत्नी मैना और पोता बंटी मिल गए | हमें बड़ा आश्चर्य हुआ | आज के ज़माने में जब लोग बगल के मंदिर भी स्कूटर पर जाते हैं तो ये पदयात्री कहाँ के लिए निकल पड़े ?

पूछा- क्या बात है, तोताराम ? अब तो चुनाव हो चुके | अब तो जनसेवक तक सुस्ता रहे हैं, आत्मा की शांति के लिए साधना कर रहे हैं |परिणाम के बाद मंथन करेंगे |और एक तू है जो वन-गमन कर रहा है |

बोला- जब राम विलास पासवान और मायावती की पार्टी की एक भी सीट नहीं आई थी तब भी उन्होंने वन-गमन नहीं किया |१९८४ में जब भाजपा मात्र दो सीटों पर सिमट गई थी तब किसी ने वन-गमन नहीं किया था तो मुझे बिना चुनाव हारे ही वन-गमन की क्या ज़रूरत है ?

हमने कहा- तो फिर घर चल | चाय के साथ कल के चुनाव परिणामों का अनुमान लगाएंगे |

बोला- नहीं घर चलना संभव नहीं है |मैं नामांकन से पहले रोड शो के लिए निकला हूँ | 

हमने पूछा- तीन आदमियों का कोई रोड शो होता है !नामांकन के लिए असली रोड शो होता है मोदी जी जैसा |लाखों की भीड़, करोड़ों का खर्चा और घंटों में पूरी हुई १० किलोमीटर की यात्रा |ऊपर से हेलिकोप्टर से पुष्प-वर्षा | और फिर अभी कौन से चुनाव हो रहे हैं जिसके लिए नामांकन भरने जा रहा है ?

बोला- २०२४ वाले चुनाव के लिए वाराणसी से नामांकन भरने जा रहा हूँ |

हमने कहा- एक तो नए चुनाव में अभी पूरे पांच साल पड़े हैं | दूसरे मोदी जी के सामने तेरी औकात क्या है ? तीसरे तू जिस दिशा में जा रहा है वह वाराणसी से ठीक विपरीत दिशा में है |

बोला-  तेरे तीनों प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं- पहला मेरा रोड़ शो मोदी जी की तरह क्या मात्र १० किलोमीटर का होगा ? मैं पूरे विश्व में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता हुआ धरती का चक्कर लगाकर चीन की तरफ से वाराणसी में प्रवेश करूँगा |इसलिए कोलंबस की तरह विपरीत दिशा में जा रहा हूँ |दूसरे दूरी काफी है इसलिए पांच साल का समय ज्यादा नहीं हैं | तीसरे तब तक मोदी जी देश का पूर्ण विकास कर चुके होंगे, भारत को कांग्रेस-मुक्त बना चुके होंगे और उम्र में भी ७५ के लपेटे में आने वाले होंगे तो अडवानी जी की तरह संन्यास का भी मन बना चुके होंगे तो उनसे मुकाबला करने की नौबत भी नहीं आएगी |इसलिए सभी दृष्टियों से मेरे लिए संभावनाएँ बहुत प्रबल हैं | |

हमने कहा- लेकिन अभी तो चुनाव आयोग ने २०२४ के चुनावों की तारीख ही घोषित नहीं की है |

बोला- इससे क्या फर्क पड़ता है ? ट्रंप ने भी तो जनवरी २०१७ में राष्ट्रपति का कार्यभार सँभालते ही २०२० के चुनावों के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी थी |वैसे भी वाराणसी पहुँचते-पहुँचते अप्रैल २०२४ आ ही जाएगा |

हमने कहा- तो फिर अडवानी जी भाई साहब को भी अपने साथ ले जा, रास्ते में पाकिस्तान में कटासराज मंदिर में अंतिम बार भगवान शिव के दर्शन भी कर लेंगे |

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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