Jun 30, 2019

डरना और डराना



 डरना और डराना


कल योग-दिवस था | सभी भक्तों, मंत्रियों, कृपाकांक्षियों,  भावी सेवकों, सरकारी अधिकारियों,  कर्मचारियों ने योग के बहाने अपनी देशभक्ति और कार्यकुशलता का प्रमाण देने के लिए जल-थल-नभ जहां भी संभव हुआ 'योगा' किया | जैसा भी आया,  फोटो भी ऊपर-नीचे भिजवाया, छपवाया | हमारे पास यह सुविधा नहीं है | हम तो पिछले सतत्तर वर्षों से शीर्षासन कर रहे हैं लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया, फोटो छापना तो दूर की बात है | सरकार हमारा सातवें पे कमीशन का ३१ महिने का बकाया दबाए हुए है |क्या पता, योगा-दिवस की उपेक्षा करने के दंडस्वरूप सरकार भविष्य में पेंशन में ही कोई अड़ंगा न डाल दे इसलिए मोदी जी को देख-देखकर सच्चा-झूठा अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन भी किया | सो हलकी-सी थकान हो गई थी |कहते हैं इस आसन से तोंद नहीं बढ़ती |हमें इस आसन की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि हमारा तो निराला जी वाले भिक्षुक की तरह 'पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक' वाला हाल है |हाँ, फटी-पुरानी झोली का मुंह फ़ैलाने की नौबत अभी नहीं आई है | 

कल ही इंग्लैण्ड और श्रीलंका का क्रिकेट मैच भी था |कुछ भी हो श्रीलंका है अज़ब टीम |अपना भला हो या न हो लेकिन बांग्लादेश की तरह किसी का भी खेल ज़रूर बिगाड़ सकती है |आखिर तक रोमांच बना रहा और हमारी धारणा के अनुसार उसने इंग्लैण्ड का खेल बिगाड़ ही दिया |

कुल मिलाकर दिनचर्या और रात्रिचर्या दोनों ही अस्त-व्यस्त हो गईं | सुबह समय पर आँख न खुलना |खुली भी तब जब तोताराम ने जोर से हमारे कान के पास आकर नारा लगाया- 'जय श्रीराम' |

सुनते ही हम अपना प्लास्टिक का अढ़ाई फुट का सफ़ेद पाइप संभालते हुए उठ बैठे- क्या बात है, युवराज अंगद, महाराज सुग्रीव, घबराना नहीं | हम आ रहे हैं | 'जय श्रीराम' |

तोताराम ने हँसते हुए कहा- भाई साहब, शांत | कोई चिंता की बात नहीं है | यह तो मैंने आपको विश करने के लिए 'गुड मोर्निंग' के जैसा ही कुछ कह दिया |

हमने कहा- तोताराम, यह 'गुड मोर्निंग जैसा कुछ' नहीं है |यह सुबह-सुबह का, सामान्य 'राम-राम' नहीं है | यह युद्धघोष है | और तुझे पता होना चाहिए कि रामचरितमानस में तो 'जय श्रीराम कहीं आया ही नहीं है |राम और रावण की दुहाई भी केवल युद्ध के समय ही आती है- 

इत रावण उत राम दुहाई 
जयति जयति जय परी लराई  |

आधुनिक काल में भी जब अशोक सिंघल ने अयोध्या कूच का नारा दिया था तब पहली बार  'जय श्रीराम' सुनने को मिला था |

बोला- लेकिन तुझे इससे परेशानी क्या है ?

हमने कहा- तोताराम परेशानी न राम से है, न रहीम से है | परेशानी उस वातावरण से है जो इन नारों के द्वारा बन रहा है | लगता है किसी युद्ध के लिए हम एक दूसरे को तैयार कर रहे हैं |नारों से एक दूसरे जो मरने-मारने का जोश दिला रहे हैं |और याद रख जब आदमी अपने विवेक से, पूरे होशोहवास में अपनी लड़ाई नहीं लड़ रहा होता है तो वह किसी और के नाम का नारा लगाता है |अन्यथा जब आमने-सामने दोनों का युद्ध होता है तो रावण और राम तो किसी के नाम का कोई नारा नहीं लगाते | किसी भी पशु-पक्षी को प्राणान्तक झड़प करते हुए भी कोई नारा लगाते हुए देखा है ? डरे हुए लोग दूसरों को डराने के लिए नारा लगाते हैं |

बोला- तो फिर तूने मेरा नारा सुनकर उठते ही प्लास्टिक का अपना अढ़ाई फुट वाला पाइप क्यों उठाया ?

हमने कहा- तोताराम, हम सुबह जब अपनी कुतिया मीठी को घुमाने, खुद थोड़ा-सा घूमने और दूध लाने के बहाने एक पंथ तीन काज करने जाते हैं तो हमें खुद गली के कुत्तों से डर लगता है इसलिए हम उन्हें डराने के लिए यह पाइप रखते हैं |वैसे हमें पता है कि बहुत पुराना है, कभी भी टूट सकता है |

बोला- तो फिर संसद में अपने 'माननीय' गण क्यों जय काली, जय भीम, जय श्रीराम, अल्ला हो अकबर, हर-हर महादेव आदि के नारे लगा रहे थे ? क्या वहाँ कोई युद्ध होने वाला था ? क्या एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश की संसद में भी कोई डर इन सब के अन्दर समाया हुआ है ? 

हमने कहा- बिलकुल | सब डरे हुए हैं | सबके मन में चोर है | यदि ऐसा नहीं है तो यदि कोई नारा ही लगाना था तो वही नारा लगाते जिसे इस देश ने अपने संविधान का ध्येय वाक्य स्वीकार किया है- 'सत्यमेव जयते' और जिस संविधान के प्रतीक के रूप में मोदी जी ने संसद-भवन की सीढ़ियों पर माथा टेका था |


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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