Jun 28, 2019

नाराधिकार



 नाराधिकार  

भले ही हम एकादशी या जन्माष्टमी का व्रत न रखें लेकिन जब से सरकार ने क्रिकेट को इस देश का धर्म घोषित किया है, हम किसी भी क्रिकेट मैच की कमेंट्री सुनना नहीं भूलते | हालांकि कल रात का मैच कोई भारत पाकिस्तान के मैच की तरह देश भक्ति से जुड़ा हुआ मामला नहीं था |फिर भी जब एक ओर मैच का मेज़बान तथा संभावित दावेदार इंग्लैण्ड और दूसरी ओर प्रथम दो विश्व कप का विजेता और कभी दुनिया की नंबर एक टीम रहा वेस्ट इंडीज़ हो तो देखना बनता है |

उठने में देर हो गई |दरवाजे पर जोर-जोर से 'जय श्रीराम' के नारों ने जगाया जैसे धर्म-प्राण लोग मुसाफिर के प्राण लेने तक उसे जगाकर ही मानते हैं - उठ जाग मुसाफिर भोर भई...'भले ही बेचारा मुसाफिर रात की ड्यूटी करके चार बजे सोया हो |

हमने गुस्सा होते हुए कहा- तोताराम, अब कौनसा राम-रावण का युद्ध हो रहा है जिसके लिए वानर-सेना में जोश भरने के लिए इतनी जोर से नारा लगाया जा रहा है |

बोला- 'जय श्री राम' का नारा लगाना मेरा जन्म मौलिक अधिकार है |अब तो पार्थ घोष नाम के एक वकील ने कोलकाता उच्च न्यायालय में इसके लिए के याचिका भी दायर कर दी है |

हमने कहा- ठीक है लेकिन नारा लगाने के इस अधिकार का उपयोग अपने शयन-कक्ष में कर और इतने ही जोर से कर कि दूसरों की नींद हराम न हो |राम को सुनाना है या दुनिया को ?

बोला- नारा धीरे लगाने से कोई फायदा नहीं |न तो अड़ोस-पड़ोस पर धार्मिकता का कोई प्रभाव पड़ता और न ही जोश आता है |

हमने कहा- जोश किसलिए चाहिए ? नारा लगाने के लिए ? अरे, जोश पैदा कर सफाई के लिए, देश के संसाधनों का सदुपयोग करने के लिए, भाईचारे के लिए |नारा अपने आप में कोई काम नहीं है |

बोला- काम क्यों नहीं है ? इससे एकता आती है |

हमने कहा- क्या ख़ाक एकता आती है ? इन नारों के चक्कर में ही तो लोग लड़ रहे हैं, एक दूसरे का सिर फोड़ रहे हैं |

बोला- तो 'जय श्रीराम' का नारा लगाने के लिए क्या पकिस्तान जाएं ? 'जय श्रीराम' का नारा भारत में नहीं लगेगा तो कहाँ लगेगा ? 

हमने कहा- एक राम ही क्यों ? भारत में हिन्दुओं के ही ३३ करोड़ देवी-देवता हैं |इसके अतिरिक्त विभिन्न सम्प्रदायों और जातियों के भी गुरु, आराध्य और गोद फादर होंगे | धर्मों के भी कुछ होंगे ही |तो क्या यह देश नारे ही लगाता रहेगा ? 

बोला-  जिस देश में गाँधी के मुकाबिल गोडसे का नारा लगाया जा सकता है, उसका मंदिर बनाने के इंतज़ार में राजधानी में उसका अस्थि-कलश  प्रतीक्षा कर रहा है तो 'जय श्रीराम' का नारा तो उसके सामने कुछ भी नहीं है |

हमने कहा- तोताराम, तुम्हारे इस तर्क के सामने तो कुछ भी अनुचित नहीं है |वैसे नारा लगाना बुरा नहीं है बशर्ते कि वह किसी को चिढ़ाने के लिए न हो |गाली निकालने वाले एक तोते की कहानी तो तुझे पता ही है जिसकी शिकायत उसके मालिक से करने पर अगले दिन तोते ने उस आदमी से क्या कहा ?

 'तू समझ तो गया ही होगा कि मैं क्या कहने वाला था' |

वैसे यदि इस 'नाराधिकार' का भविष्य समझना है तो  कल का संसद का शपथ-ग्रहण समारोह देख ले |

पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)


(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment