Jun 10, 2019

पूड़ी-कचौड़ी की खुशबू



 पूड़ी-कचौड़ी की खुशबू


बरामदे में बैठे थे कि सिर पर भगवा पटका बाँधे, कंधे पर एक छोटा-सा एयर बैग लटकाए तोताराम प्रकट हुआ |हमने पूछा- किधर ?

बोला- दिल्ली और किधर ?

हमने कहा- तुझे दिल्ली में कौन पूछता है ? अब तो सेवकों का समय है |

तोताराम ने हमारा चेहरा उत्तर-पूर्व की ओर घुमाते हुए कहा- धीरे-धीरे एक लम्बी और गहरी सांस ले |

हमने कहा- हमें योग नहीं करना |

बोला- मैं योग नहीं करवा रहा हूँ |बस, तू लम्बी सांस ले |

हमने लम्बी सांस ली |तोताराम ने पूछा- कुछ अनुभव हुआ ?

हमने कहा- कुछ तेल जलने की गंध-सी आ रही है |

बोला- बस, इसी गंध की दिशा में चलना है |यह दिल्ली में जीत की ख़ुशी में तली जा रही पूड़ी-कचौड़ी की खुशबू है |

हमने कहा- हमें क्या ? जीतने वाले तो जश्न मनाएँगे ही | हम गंध लेकर क्यों बिना बात मन को ललचाएं |

बोला- केवल गंध ही नहीं है | वास्तव में ही पूड़ी-कचौड़ी मिलेगी |बस, सिर पर एक भगवा पटका बाँध ले |

हमने कहा- लेकिन हम तो सरकारी कर्मचारी रह चुके हैं | हम राजनीतिक प्राणी नहीं हैं ?

बोला- बहुत से सरकारी कर्मचारी होते हैं जो अपने सेवाकाल में ही किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ जाते हैं, उसके लिए काम करते हैं और रिटायर होने का बाद उसमें शामिल हो जाते हैं | यशवंत सिन्हा, जनरल वी.के. सिंह भी तो पहले सरकारी कर्मचारी ही थे |

हमने कहा- लेकिन हमारा तो ऐसा कोई कनेक्शन नहीं रहा |यदि पकड़े गए तो बड़ी भद्द होगी |

बोला- मूल और मातृसंगठन की बात और है | वहाँ सब नहीं जा सकते |और वहाँ पूड़ी-कचौड़ी बनती भी नहीं |वहाँ तो खिचड़ी और कढ़ी ही  बनती है |वहाँ वे ही जा सकते हैं जो अमृत चख चुके होते हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियों में तो सभी तरह के लोग आते-जाते रहते हैं |एक दिन पहले ही टिकट न मिलने पर उदित राज भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए |इसी तरह कोई भी अंतिम क्षण पर भाजपा में भी आ सकता है  | 

हमने कहा- फिर भी किसी ने पहचान लिया तो ?

बोला- दिल्ली वाले ऐसे घुसपैठियों के बारे में सब कुछ जानते हैं |वहाँ कोई भी किसी भी घोड़ी के आगे कमर-तोड़ नाच नाचने लग जाता है |लड़की वाले समझते हैं बाराती होगा |बाराती समझते हैं घराती होगा |इसी भ्रम में नाचने वाले जीमकर चलते बनते हैं |सो अपना भी वैसा ही करेंगे | भारत माता जी जय बोलेंगे |अधिक हुआ तो मोदी..मोदी... के नारे लगा देंगे |

पूड़ी-कचौड़ी पेलकर चले आएँगे |और सातवें पे कमीशन के एरियर की संभावना भी टटोल आएँगे |

एरियर के चक्कर में हम भी चले पड़े | देखें क्या होता है ?


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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