शपथ-ग्रहण समारोह
हमारे यहाँ ६ मई को मतदान हुआ |हमने वोट डाला और ७ मई को अमरीका के लिए रवाना हो गए |कैमरे वाला फोन न होने के कारण प्रमाणस्वरूप अमिट स्याही लगी अँगुली दिखाते हुए फोटो मोदी जी को नहीं भेज सके | इसे पढ़कर पाठकों को लगेगा कि जैसे हम वोट डालने के लिए ही अमरीका से यहाँ तशरीफ लाए थे |यह कोई बड़े आदमी की अमरीका यात्रा तो थी नहीं जो समस्त मिडिया प्रचार करता |इसलिए हमने रोब जमाने के लिए इस आलेख के बहाने से अपनी उपलब्धि प्रचारित कर दी | वैसे हम जानते हैं कि लाखों लोग रोज हवाई जहाजों से देश-विदेश आते-जाते रहते ही हैं |
हो सकता है कि हम देश की सुरक्षा की चिंता के कारण ही प्रायः यहीं बने रहते हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से सेवकों ने 'चौकीदार' का पदभार ग्रहण कर लिया तो सोचा अब देश चौकीदारों की निगहबानी में सुरक्षित है तो अमरीका ही घूम आएँ | हुआ यूँ कि हमें अमरीका की सबसे पुरानी हिंदीसेवी संस्था 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति' ने अपने १९ वें द्विवार्षिक अधिवेशन में 'हिंदी की वैश्विक चुनौतियां' विषय पर पत्रवाचन के लिए आमंत्रित किया था |
समिति के १० से १२ मई २०१९ तक के तीन दिवसीय अधिवेशन में भाग लेने के बाद और दस-पाँच दिन अपने कुछ अन्य परिचितों के साथ मिलकर लौट आए |रुकने को कुछ और भी रुक सकते थे लेकिन वहाँ पहुँचने के कुछ दिनों बाद ही पता चला कि मोदी जी ने चौकीदार का पद छोड़ दिया है तो देश की सुरक्षा के लिए लौट आना पड़ा |अब जब फिर साढ़े चार साल बाद ये लोग देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे तब फिर कहीं घूमने का मौका निकालेंगे |
२७ मई की शाम को एयर इण्डिया के विमान से दिल्ली पहुंचे |मोदी जी जितनी ऊर्जा तो हममें है नहीं |थक गए सो एक दिन वहीं आराम करके २८ मई की दोपहर को घर आ गए |
सोचा था तोताराम हमारे आते ही मिलने के लिए आएगा लेकिन नहीं |हमने भी रूठने का नाटक किया लेकिन अडवानी जी की तरह किसी ने हमारी ओर ध्यान नहीं दिया |आज ३० मई है |हम बरामदे में बैठे चाय पी रहे थे कि तोताराम हमारी ओर देखे बिना ही आगे से गुजरने लगा तो हमने पुकार लिया- क्या मोदी जी के शपथ-ग्रहण समारोह में जा रहा है ? एक नज़र इधर भी डाल ले |
बोला- मैं तो समझ रहा था कि तू २७ मई को दिल्ली पहुँच रहा है |उसके बाद दो-चार दिन वहीँ मजे मारेगा | इसलिए ध्यान नहीं दिया | अरे, जब २७ मई को दिल्ली में था ही तो नेहरू जी की ४५ वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में उनकी समाधि पर प्रणाम ही कर आता | गाँधी जी का १५० वाँ जन्म-जयंती वर्ष चल रहा है, लगे हाथ राजघाट भी हो आता | कहाँ बार-बार मौके मिलते हैं | और फिर आज ही तो मोदी जी का शपथ-ग्रहण समारोह भी था उसमें भी शामिल हो जाता |
हमने कहा- अब दिल्ली में नेहरू-गाँधी को कोई नहीं पूछता |अब तो गाँघी की जगह गोडसे को स्थापित करने का कार्यक्रम चल रहा है और नोटों पर सावरकर की फोटो छापने के प्रस्ताव भी आने लगे हैं | जहां तक मोदी जी के शपथ-ग्रहण समारोह की बात है तो हम निमंत्रण मिलने पर भी नहीं जाते |
बोला- देख मास्टर, यह भारतीय लोकतंत्र का एक महान क्षण है |यह सब के द्वारा है, सबका है और सब सबके लिए हैं |ऐसे ममता जी की तरह रूठना ठीक नहीं |
हमने कहा- क्यों ? जब बंगाल के कुछ लोगों को यह कहकर आमंत्रित किया गया कि इनके परिजनों की तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी है तो फिर यह क्षण अपनी महानता से स्खलित हो जाता है |यदि जयपुर या भोपाल में कांग्रेस के मुख्यमंत्री अपने शपथ-ग्रहण समारोह में केन्द्रीय विद्यालय के रिटायर्ड कर्मचारियों को इसलिए आमंत्रित करते कि मोदी जी की भाजपा सरकार ने इनके सातवें पे कमीशन का एरियर नहीं दिया तो क्या 'उस क्षण' की गरिमा नहीं घटती ?
लेकिन तू बता, तू क्यों नहीं गया ?
बोला- मास्टर, आजकल राजस्थान 'नौतपा' में ४४-४५ डिग्री गरमी में तप रहा है तो ऐसे में दिल्ली जाकर क्या मरना था ? वहाँ तो शालीन ड्रेस पहनकर जाना पड़ता |यह थोड़े ही है कि तृणमूल कांग्रेस की युवा सांसदों की तरह बेशर्मी से जींस पहनकर भारतीय संस्कृति को लज्जित करो |यदि मैं इस गरमी में नए कुरते-पायजामे और जैकेट पहनता तो दम ही घुट जाता | पता नहीं, कैसे लोग सूट, जैकेट आदि पहने हुए थे ?
हमने कहा- वे सब तेरी-मेरी तरह अशांत आत्मा नहीं हैं |जीत के कारण सब के कलेजे में ठण्ड पड़ी हुई है |तन-मन एयरकंडीशंड हो रहे हैं |वहाँ तक किसी आह की आँच नहीं पहुँचती |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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