Jul 14, 2022

स्वतंत्र भारत का शेर


 2022-07-14 



स्वतंत्र भारत का शेर 



आज आंख देर से खुली इसलिए दूधवाले को फोन कर दिया कि जब भी समय मिले, दूध दे जाए. 


अजीब-सा आलस और सुस्ती अनुभव हो रहे थे..बरामदे में सुस्त बैठे थे कि तोताराम ने आते ही अपनी आदत के अनुसार छेड़ा- क्या यशवंत सिन्हा जी की तरह अलसाया हुआ बैठा है. 


हमने कहा- हमारी और यशवंत जी की स्थिति में फ़र्क़ है. उन्हें तो पहले से ही पता था कि वे जीतेंगे तो नहीं फिर भी कुछ दिन के लिए लाइम लाइट में तो आ जाएंगे. गाँधी जी के पौत्र ने तो इस निश्चित हार वाली दौड़ से बाहर रहना ही  उचित समझा. अगर विपक्ष वाले हमें ही अपना उम्मीदवार बनाते तो हम भी साफ़ मना कर देते. 


बोला- लेकिन इतनी बुरी हार के बारे में तो सिन्हा जी ने भी नहीं सोचा होगा. आदिवासी क्षेत्रों में वहाँ की जमीनें खनन के लिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों को सौंपने से ध्यान बटाने के लिए भाजपा ने आदिवासी प्रेम का यह कार्ड खेला है. हालांकि इससे किसी आदिवासियों का वैसा ही कल्याण होगा जैसा अब तक किसी अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति, महिला या किसी दलित को राष्ट्रपति बना देने से उन वर्गों का कल्याण हुआ. 


वैसे तेरी इस सुस्ती का क्या कारण है ?


हमने कहा- तोताराम, आज रात के अंतिम प्रहार में बड़ा अजीब सपना आया. देखा, हम दूध लेने जा रहे हैं.  कल जिस जगह ‘गली के उस मरियल शेर’ ने हमें आस्था आहत हो जाने की ऍफ़ आई आर दर्ज़ करवाने की धमकी दी थी वहीं अपने आपको शेर बताने वाले एक जीव ने पीछे से आकर हमारे पायजामे का बायां पांयचा आधा खींच लिया. 

भगवान की कृपा से पिंडली सुरक्षित बच गई. कुत्ते के काटने से तो कहते हैं, चौदह इंजेक्शन लगते हैं, शेर के काटने से कम से कम पचास इंजेक्शन तो लगते ही.  












बोला- क्या तूने ध्यान से देखा कि वह शेर ही था ? 


हमने कहा- डर के मारे थोड़ी बहुत भूल तो हो सकती है लेकिन इतनी भूल भी नहीं  हो सकती कि शेर और कुत्ते में ही भेद न कर सकें. 


बोला- आजकल देश में कई तरह के ऑपरेशन चल रहे हैं जिनके तहत कोई भी दल-बदल करके जब पावर में आ जाता है तो कुत्ते ही क्या, एक ही झटके में मेमने से सीधा बब्बर शेर बन जाता है. 


हमने कहा- हमने उससे पूछा भी था कि कहीं तुम भी ‘अपनी गली वाले शेर’ ही तो नहीं हो ? 

तो बोला- नहीं, हम असली जंगल वाले असली शेर हैं. अब अनुपम खेर ने हमें ‘स्वतंत्र भारत के शेर’ का दर्ज़ा दे दिया है. अब हम जंगल तक सीमित नहीं हैं. अब हम कहीं भी जा सकते हैं. किसी की भी पिंडली पकड़ सकते हैं. किसी को भी डरा सकते हैं. अब हमें शहर और जंगल दोनों जगह पूर्ण और स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो गया है.  


तोताराम ने पूछा- तो क्या ११ जुलाई २०२२ को संसद में नए अशोक स्तम्भ का उदघाटन होने से पहले अशोक और नेहरू के ज़माने में भारत परतंत्र था ? 


हमने कहा- यह तो पता नहीं लेकिन शेर का भी भारत की स्वतंत्रता के बारे में वही तर्क हो जो कंगना राणावत का २०१४ में भारत के स्वतंत्र होने में था.


तभी हमारी निगाह रास्ते की तरफ गई, देखा वही शेर !


तोताराम ने पूछा- क्यों प्रभु, क्या अब भी कोई हिसाब बाकी रह गया है ? कहें तो मास्टर के पायजामे का दूसरा पांयचा भी आपकी सेवा में अर्पित करवा दें. 


स्वतंत्र भारत का शेर बोला- बिलकुल,  ११ जुलाई २०२२ से पहले भारत क्या ख़ाक स्वतंत्र था. यदि होता तो शकुंतला का बेटा जबड़ा खोल कर हमारे दांत गिनने का साहस कर सकता था ? और आप लोग ये फालतू चकर -चकर  ज़रा कम ही क्या कीजिये. गांजा न पीने वाले शिव और शाकाहारी काली के भजन करें और परलोक सुधारें अन्यथा दोनों लोक बिगड़ते देर नहीं लगेगी. 


ध्यान रहे ई. डी. वाला विभाग भी आजकल हमारे पास ही है. 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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