Sep 19, 2022

बधाई का मेसेज


बधाई का मेसेज  



आज तोताराम हमेशा से कुछ जल्दी आ गया, बोला- बना लें क्या प्रोग्राम ? 

हमने कहा- किस बात का प्रोग्राम ? बैंक चलने का ? तो समझ ले हम पेंशन चार दिन पहले ही ला चुके हैं, २०% प्रतिशत बढ़कर आने वाली पेंशन अब अक्तूबर पर गई. त्योहारों पर बढ़े हुए डी.ए. का समाचार लोग रोज नेट पर चला रहे हैं लेकिन हाथ में आ जाए तब जानना. अभी 'सरस' डेयरी से दूध लायेंगे तब चाय बनेगी. और कोई प्रोग्राम है नहीं. 

बोला- वही रोज रोज का रोना-गाना. सारी दुनिया बल्ले बल्ले हो रही है और तुझे चाय से आगे कुछ दीखता ही नहीं. आज मोदी जी का जन्म दिन है. कुछ तो प्रोग्राम बनाना ही पड़ेगा.

हमने कहा- कल से हमारा नेट नहीं चल रहा है. बीएसएनएल का ऑफिस खुलते ही शिकायत करेंगे. जब ठीक हो जाएगा तब ट्विटर पर उन्हें बधाई दे देंगे. 

बोला- तू पता नहीं किस नेहरुयुगीन गुलाम मानसिकता में फंसा हुआ है. अरे, जियो वाला ले. और कर ले दुनिया मुट्ठी में. 

हमने कहा- दुनिया तो मुट्ठी में अम्बानी-अडाणी और मोदी जी की ही हो सकती है. शक्तिशाली का क्य . दुनिया तो दुनिया आसमान मुट्ठी में कर ले. हमारी मुट्ठी से तो समय रेत सा फिसलता जा रहा है. निराला की तरह- स्नेह निर्भर बह गया है. रेत ज्यों तन रह गया है. 

हाँ, यदि मोदी जी को लिख दिया तो बीएसएनएल को तो एक दिन में ही बंद कर देंगे. वे जनता की ऐसी बातें तत्काल सुनते हैं. जैसे जनता ने कहा- 'राजीव गाँधी खेल रत्न' का नाम  'ध्यानचंद खेल रत्न' कर दो उन्होंने कर दिया लेकिन सोचते हैं जितने दिन बीएसएनएल चल रहा है चलने दें अन्यथा एक न एक दिन तो इसे किसी अम्बानी-अडानी के हाथों बिकना ही है. हम क्यों अपने सिर अपयश लें. 

बोला- बीएसएनएल जब बिकेगा जब बिकेगा, तू जियो जब लेगा तब लेगा लेकिन फिलहाल तो मोदी जी को बधाई देना बहुत ज़रूरी हैं. वे भी तो हमें हमेशा सभी बातों की जानकारी देते हैं. हमेशा दिवाली, होली तक की बधाई देते हैं. चले चलते हैं. दो-तीन हजार का ही खर्चा तो है. ट्विटर का क्या ? आमने सामने की बात और होती है. 

हमने कहा- लेकिन वे तो समरकंद गए हुए हैं शी जिन पिंग से हाथ का शकरकंद बनाने के लिए . देखा नहीं, किस शान से 'इण्डिया वन' से उतर रहे थे. 

बोला- वहाँ से तो रात को ही आगये .

हमने कहा- तो फिर थोड़ा आराम करने दे, थके हुए होंगे. 

बोला- ये मोदी जी हैं, थकते नहीं. राम काज कीन्हें बिना मोहि कहाँ विश्राम. दोपहर तक पहुँच जाएँ तो शायद घर पर  मिल जाएँ. 

हमने कहा- उससे पहले तो वे सुबह सुबह नाश्ता करते ही मध्यप्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान चले जायेंगे जहां वे नामीबिया से आये मंगवाए को छोड़ेंगे.   

बोला- हाँ, पढ़ा तो था. एक बड़े अखबार के पत्रकार ने एक स्टोरी चलाई थी कि नेहरू जी के समय में १९६१ में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने सवाईमाधोपुर के जंगलों में चीते का शिकार किया . शेष डरकर भाग गए थे शायद मोदी जी के समय में सुरक्षित वातावरण पाकर वे ही चीते अब लौट रहे हों.  

हमने कहा- इन पत्रकारों को शेर, बाघ, चीता, तेंदुआ में ही कोई फर्क पता नहीं है. जब महारानी ड्यूक से साथ भारत आई थीं और रणथम्भोर के जंगलों में जयपुर की महारानी और महाराजा के साथ शिकार पर गई थीं तब हम सवाईमाधोपुर में ही थे. सवाईमाधोपुर रेलवे स्टेशन से शहर की तरफ जाते हुए रास्ते में जयपुर महाराजा की कोठी पड़ती है. उसमें वे शिकार के लिए आते-जाते रुकते थे और वहां उनके द्वारा शिकार किये जानवरों के खालें, अवशेष, फोटो और भुस भरे हुए शरीर रखे रहते थे. तब उन्होंने बाघ का शिकार किया था चीते का नहीं. 

लेकिन भारत के अंतिम तीन चीतों का शिकार वर्तमान छतीसगढ़ की कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने  १९४८ में किया था, एलिजाबेथ ने नहीं. उसके बाद १९५२ में भारत को चीताविहीन घोषित कर दिया गया.    

बोला- अब बस कर यह चीता-चर्चा. दिमाग का दही कर दिया. जब नेट ठीक हो जाएगा तब मोदी जी को जन्म दिन की बधाई का मेसेज कर देंगे. वैसे मोदी जी सर्वव्यापी हैं. यदि सच्चे मन से मौन रहकर भी उन्हें कुछ मेसेज देंगे तो वह उन तक पहुँच ही जाएगा. 

लेकिन २६ सितम्बर से पहले पहले एक बार दिल्ली चलना तो ज़रूर है. 

हमने कहा- ऐसा क्या ज़रूरी काम आ गया ?

बोला- कुछ तो संस्पेंस रहने दे. इस विषय पर कल चाय के समय अगला कार्यक्रम घोषित किया जाएगा. 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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