Sep 7, 2022

आज ५ सितम्बर है

आज ५ सितम्बर है 


हम अपनी 'पेट' कूरो को घुमाकर दरवाजे पर पहुंचे।  देखा,आज तोताराम समय से पूर्व ही हाजिर। 

हमने पूछा- मध्यावधि चुनाव की तरह समय से पूर्व ही कैसे ? यह चाय कहीं भागी तो नहीं जा रही थी। 

बोला- बात चाय की नहीं, रोमांच की है।  बात ही ऐसी है कि रुक नहीं सका।  

हमने कहा- ऐसी क्या बात है जिसने तुझे उत्कण्ठिता नायिका बना दिया। 

बोला- तुझे पता होना चाहिए कि आज ५ सितम्बर है। 

हमने कहा- यह ऐसा कौनसा रहस्य है, कौन सी अच्छे दिन की आमद हो गई जिसकी समस्त राष्ट्र उदग्र उत्कंठा से प्रतीक्षा कर रहा था।  कल ४ सितम्बर था और आज ५ सितम्बर है, इसी तरह कल ६  सितम्बर हो जाएगा। इसका कोई अर्थ नहीं है।  गिनो तो भी, न गिनो तो भी यह क्रम तो चलता ही रहेगा। 

बोला- मैं तो तुझे २० जून २०२२ की याद दिला रहा हूँ जब तूने कहा था- बस, ५ सितम्बर तक.......| 

हमने कहा- याद है. कहा था सितम्बर २०२२ में बेसिक पेंशन में २०% की वृद्धि हो जायेगी।और ५ सितम्बर तक तो पास बुक में एंट्री भी हो जायेगी। उसके बाद हमारी आत्मा शांत हो जायेगी। फिर हम झोला उठाकर कहीं भी चल दे सकते हैं।    

तोताराम ने अपने कुर्ते की जेब से एक झोला निकालकर हमें देते हुए कहा- और यह है झोला ! उठा और निकल जा किसी केदारनाथ की गुफा की तरफ.!  

हमने कहा- अभी संभव नहीं है.

बोला- तो तेरा भी वही हाल जिसके अंतर्गत मोदी जी ने कहा था- दो टर्म काफी नहीं है. 

हमने कहा- हम तो १ सितम्बर से ही दिन में दस-बीस बार पेंशन की स्लिप की पीडीऍफ़ ढूँढ़ रहे हैं।  जब तसल्ली नहीं हुई तो ३ सितम्बर को बैंक जाकर पूछ भी आये कि अगस्त की पेंशन में २०% जुड़ा कि नहीं ? बाबू ने बताया, नहीं जुड़ा। सो अब तुझे हमारे वनगमन के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। 

बोला-  तेरे जाने से मेरा क्या कोई प्रमोशन हो जायेगा ? उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति बनने की आशा रहती है. वेंकैया जी की तरह २०२४ के चुनाव में जाट वोट बैंक की भेंट चढ़ जाए वह बात और है. मेरा क्या होना है ? बरामदा संसद के 'छाया मंत्रिमंडल' के अडवानी जी, मुरलीमनोहर जी की अनंत प्रतीक्षा. मैं तो वैसे ही पूछ रहा था. खैर, इस बार के 'विशेष शिक्षक दिवस' पर विशेष बधाई। 

हमने पूछा- इस बार के 'विशेष शिक्षक दिवस'  में विशेष क्या है ? 

बोला- आज तय हो गया है कि एक शिक्षक की ४६ वर्षीय बेटी लिज ट्रस ब्रिटेन की प्रधानमंत्री होंगी। आज के दिन,  यह सूचना अध्यापक दिवस की ख़ुशी को दुगुना कर रही है. 

हमने कहा- हम तो इस बात से अभी तक ख़ुशी से लहालोट हुए पड़े हैं कि भारत के दो-दो राष्ट्रपति पहले शिक्षक थे।मुर्मू जी भी कुछ समय के लिए अध्यापिका रह चुकी हैं।फिर भी यदि कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति पद से अध्यापक बनाने के लिए इस्तीफा दे तो कोई बात है। फिर भी चलो अच्छा है अब ब्रिटेन के अध्यापकों का भी कल्याण हो जाएगा जैसे हमारे यहां रामनाथ जी कोविंद के राष्ट्रपति बन जाने से दलितों और अब द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से आदिवासियों का और लेटेस्ट धनकड़ जी के उपराष्ट्रपति बनने से जाटों का कल्याण होना शुरू हो गया है।  

बोला- कल्याण तो किसी का क्या होगा ? हाँ, २०२४ के चुनावों में वोटों का कुछ गणित बैठाने में ज़रूर मदद मिल सकती है। लेकिन ब्रिटेन वालों ने एक फाइनेंस वाले के स्थान पर एक टीचर की बेटी को क्या सोचकर चुना ?  क्या हम भी चाय वाले के स्थान पर किसी शिक्षक पुत्र को नहीं चुन सकते थे ?

हमने कहा- ब्रिटेन को ज्ञान की ज़रूरत है।  हमें ज्ञान की क्या ज़रूरत।  हमें तो पहले से ही ज्ञान का अजीर्ण हो रहा है। किसी सब्जी, दूध वाले से उलटे मुंह भी बात कर लो तो वह भी आत्मा, परमात्मा, धर्म और दर्शन की बात करने लग जाता है। मोदी जी की मन की बात में तुम्हें सृष्टि के समस्त ज्ञान-विज्ञान का सार मिलता है कि नहीं।  हमारे लिए तो कोई चाय वाला ही ठीक है। कल ही मोदी जी ने अपने चाय विक्रय और प्रबंधन के बल पर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पछाड़ दिया कि नहीं ? 

बोला- तो इन सभी उपलब्धियों के लिए कुछ सेलेब्रेशन हो जाए। 

कहते हुए हमारे सामने चिप्स का दस रूपए वाला पैकेट रख दिया।  

हमने कहा- तोताराम, यह देखने में तो बड़ा लगता है लेकिन चिप्स  निकलेंगी गिनकर दस। बाकी सब हवा ही हवा। 

बोला- और तू क्या समझ रहा है ?  यह विज्ञापन और आत्मप्रशंसा का युग है इसमें सब हवा ही हवा है फिर चाहे वह चिप्स के पैकेट में हो यह मुफ्त अनाज के फोटो-छपित थैले में हो या ब्रिटेन को पछाड़ने वाली हमारी अर्थव्यवस्था के गुब्बारे में हो।  

 

 


 




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