Sep 20, 2022

साहेब, मजा छे

साहेब, मजा छे


हम तो यथासमय ही जगे थे. कोई विलम्ब नहीं हुआ लेकिन पता नहीं तोताराम कब आकर हमसे पहले ही बरामदे में बैठ गया. जैसे ही बरामदे में पैर रखा तोताराम की खनकती हुई आवाज़ सुनी- मास्टर, इधर आ जा. अभी नो चाय, कंट्री फर्स्ट।

देखा, बरामदे में एक आसन पर बैठे तोताराम के पीछे मोदी जी का कहीं से कबाड़ा गया कोई पोस्टर लगा हुआ है,  खुद के बाएं हाथ में रूई की पूनी और दाएं हाथ में तकली। पता नहीं, तकली कहाँ से जुगाड़ लाया। यह कौशल विकास तो हमारे बचपन में हुआ करता था. आजकल तो बच्चों को यह भी पता नहीं कि जीवन में होम वर्क करने और गाइड रटने के अलावा भी कुछ होता है क्या।  

हमने पूछा- कौन सा कंट्री है यह ? यह कंट्री आज ही बना है क्या ? 

बोला- क्या बकवास कर रहा है ? भारत देश तो शाश्वत और सनातन है. दुनिया और ब्रह्माण्ड में जो कुछ है वह सब  इसकी कृपा से है और सब कुछ इसके बाद में बना है. मैं भारत की बात कर रहा हूँ.

हमने कहा- हमने तो हमेशा ही अपनी शक्ति के अनुसार देश को ही प्राथमिकता दी है. लाल किले पर झंडा फहराना ही देश प्रेम है क्या ? जो कहीं कूड़ा नहीं फैलाता और सबके साथ मिलकर प्रेम से रहता है, वह भी कोई कम देशभक्त नहीं है. वह भी कंट्री फर्स्ट ही है. लेकिन तुझे आज यह जुमला कहाँ से सूझा ? जुमलाबाजी तो हमारा नहीं, बड़े-बड़े सेवकों का काम है. 

बोला- जुमला नहीं, मैं तकली पर सूत कातकर एक महायज्ञ में शामिल हो रहा हूँ. लगता है मोदी जी ने अचानक कार्यक्रम बना लिया है, तभी कोई निमंत्रण नहीं दिया, घोषणा नहीं हुई, मन की बात में भी चर्चा नहीं की. 

हमने कहा- वैसे मोदी जी हैं बड़े क्रिएटिव। कुछ न कुछ अनोखा करते और सोचते ही रहते हैं. आज का क्या कार्यक्रम है ?

बोला- देख नहीं रहा पीछे अखबार की कटिंग में ? ७५०० चरखे। 

हमने देखा- अखबार की उस कटिंग में ७५०० के बाद किसी ने बॉलपेन से  +१ और लगा दिया था. तोताराम, यह क्या जालसाजी है. 

बोला- जालसाजी क्या ? करेक्शन है. इसमें ७५०० महिलाओं के साथ मैं भी तो यहां से प्रतीकात्मक रूप से शामिल हो रहा हूँ. इसलिए +१ किया है.  तू चाहे तो तू भी शामिल हो जा. 

हमने कहा- लेकिन तेरे इस प्रकार +१ करने से कविता की तरह कार्यक्रम में कुछ गति-यति का दोष तो नहीं आ जाएगा। यह कार्यक्रम आज़ादी के ७५ वें  वर्ष की समाप्ति पर हो रहा है और इसमें ७५ कलाकार रावणहत्थे बजाकर उनका स्वागत करेंगे।हो सकता है मोदी जी इस अवसर पर ७५ मिनट का भाषण भी दें.  ७५ के साथ यह +१ अजीब तो नहीं लगेगा। 

बोला- यह प्रेम का  मामला है. प्रेम में सब चलता है. मुझे कौन सी पद्म श्री चाहिए है. यह मोदी जी का खादी प्रेम है.और मैं इसमें 'मोदी-प्रेम' के कारण शामिल हो रहा हूँ. 

हमने कहा- लेकिन तोताराम, तिरंगा तो हमेशा खादी का ही बनता रहा है. खादी के साथ हमारे स्वतंत्रता संग्राम  का भावनात्मक संबंध रहा है. अब ये सिंथेटिक झंडे फहराने की छूट मोदी जी ने दे तो दी लेकिन वह खादी वाला मज़ा नहीं। लगता है हम तिरंगा नहीं फहरा रहे बल्कि कोई नाटक कर रहे हैं. 

बोला- खादी और सिंथेटिक के चक्कर में मत पड़. मोदी जी की भावना और उत्साह को देख. आज तक किसी को  एक साथ करोड़ों तिरंगे फहराने का ख़याल भी आया ? 

यह खादी-उत्सव मनाकर मोदी जी देश दुनिया का ध्यान खादी की ओर आकर्षित कर रहे हैं. यह एक अनोखा कार्यक्रम है. और संभवतः एक वर्ल्ड रिकार्ड भी.इससे सिंथेटिक तिरंगे वाला दुष्प्रभाव भी दूर हो जाएगा। बेलेंस बनाना बहुत  ज़रूरी है. 

हमने कहा- तोताराम, प्रतीकात्मकता का महत्त्व एक सीमा तक ही होता है. प्रतीकात्मकता से एल्बम  बन सकता है, ज़िन्दगी नहीं चलती। 

बोला- उनके कन्धों पर १४० करोड़ भारतीयों का भार है. ऊपर से सारी दुनिया के मार्गदर्शन का उत्तरदायित्त्व।  इतना कर लेते हैं, यही क्या कम है. 

हमने कहा- कभी चरखा चलाने वाली महिलाओं से एकांत में, वास्तव में, तसल्ली से इतना तो पूछ लें कि सारे दिन  चरखा चलाकर उनका जीवन कैसा चल रहा है ?

 सबके सामने तो वे यही कहेंगी- सब ठीक है. 

क्या कभी कोई कहता है- मज़ा नथी. सब यही कहेंगी- साहेब, मजा छे.  





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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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