Jan 19, 2023

2023-01-19 संस्कार, भूल और उत्साह


संस्कार, भूल और उत्साह 


जैसे ही तोताराम आया, हमने कहा- तोताराम, यह तेजस्वी सूर्या क्या पहली बार प्लेन में बैठा है ? 

बोला- कौन ? वह तेजवंत सूर्य जो दक्षिण दिशा से उदय हुआ है ? 

हमने कहा- और कौन हो सकता है ? मोदी जी हैं तो सूर्य दक्षिण से भी उदय हो सकता है . वैसे अब तो उत्तरायण का समय हो गया है फिर भी यह सूर्य तो दक्षिणायन ही रहेगा क्योंकि चुनाव जो हैं . 

बोला- लेकिन तूने यह क्या बात कही ? क्या यह तेजस्वी सूर्य पहली बार प्लेन में बैठा है ? यह तो उगता हुआ तेजस्वी सूर्य है . सारे आकाश को निरंतर नापता रहता है, निरंतर हवा में ही रहता है .  बूढ़े और चुके हुए नेता ही कौन बस में चलते हैं ? फिर यह तो सत्ताधारी दल के युवा मोर्चे का राष्ट्रीय अध्यक्ष है . इसका तो ज़मीन पर चलना एक समाचार हो सकता है, प्लेन में बैठना नहीं . फिर भी तुझे यह सूर्या की औकत को कम करके नापने की हिम्मत कैसे हुई कि क्या यह प्लेन में पहली बार बैठा है ?

हमने कहा- हमें क्या पता ? हमने तो नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया के हवाले से एक समाचार पढ़ा है कि तेजस्वी सूर्या ने भूल से प्लेन की आपात खिड़की खोल दी जिससे प्लेन लेट हो गया . 

बोला- तो क्या किसी निजी हवाई कंपनी के इन छोटे-मोटे दैनिक कार्यक्रमों में भी संबंधित मंत्री इन्क्वायरी काउंटर पर बैठकर लोगों के सवालों के जवाब देंगे ?

हमने कहा- और क्या ? अब मंत्रियों के पास काम ही क्या रह गया है ? अधिकतर तो मोदी जी कर ही लेते हैं. सबसे बड़े नदी क्रूज़ को हरी झंडी भी जल परिवहन मंत्री की बजाय मोदी जी ने दिखाई तो ऐसे में मंत्री यही काम करेंगे. और तो और जब कल परसों यह क्रूज बीच रास्ते में रुक गया तो कारण बताने भी सरकार को ही सामने आना पड़ा. लगता है ये सब निजी कंपनियों के पे रोल पर आ गए हैं . वैसे अघोषित रूप से तो हैं ही . 

लेकिन सूर्या द्वारा यह आपात खिड़की खोलने की बात समझ नहीं आई .

बोला- भाई, युवा है, जिज्ञासा रहती ही है . मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बनाने के लिए जाने किस-किस खिड़की को खोलने के लिए जोर लगाना पड़ेगा . युवा है, जोर लगा दिया और खुल गई खिड़की . चलो इस बहाने टेस्ट भी हो गया कि सिस्टम काम कर रहा है या नहीं ? 

हमने कहा- यह भी तो हो सकता है कि बन्दे ने गुटखा खा रखा हो और थूकने के लिए खिड़की खोल दी हो . 

बोला- वे संस्कारी हैं, बिलकिस बानो केस वालों की तरह . पहले तो गुटखा खायेंगे ही नहीं और यदि खायेंगे तो 'कमलापसंद' ही खायेंगे क्योंकि कमला को 'कमल' पसंद है और कमल हमारा निशान . 

हमने कहा- इसमें भी एक लोचा है. सूर्या शुद्ध संस्कारी और सुसंस्कृत हैं . कमला तो ठीक है लेकिन 'रिवाज़' की तरह वे उर्दू शब्द 'पसंद' को कैसे पसंद कर सकते हैं. हो सकता है 'गणेश खैनी' प्रिय हो . या 'तुलसी डबल जीरो' .लेकिन इनमें भी क्या 'डबल जीरो' से  'भावना आहत' होने का खतरा नहीं हो सकता ?

बोला- शायद इसमें कोई खतरा न हो क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले अपने नाथद्वारा में शिव की ३६९ फुट ऊंची मूर्ति 'मिराज़' खैनी वाले ने बनवाई है . हिन्दू भक्ति और आस्था का बड़ा प्रताप है, सभी पाप धुल जाते हैं .  



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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