Jan 15, 2023

मंझेश्वर महादेव


मंझेश्वर महादेव 



आज संक्रांति है.  वैसे संक्रांति तो हर महिने में ही होती है लेकिन संक्रांति कहलाने का अधिकार जनवरी में आने वाली संक्रांति, 'मकर संक्रांति' को ही है. पिछले तीन दिन से सूरज की आँख-मिचौनी चल रही थी. आज सूरज निकला है लेकिन धूप में गरमी नहीं है वैसे ही जैसे विकास की बात करने वाली सरकार के विदेशी निवेश के  मनमाने दावे हैं लेकिन जनता को तो विकास के नाम पर ठण्ड में ठिठुरती, 'धँसती'  देव भूमि ही दिखाई दे रही है . मतलब धूप के बावजूद हवा के कारण ठण्ड है. कहीं विकास की हवा उलटी तो नहीं बहने लगी ?

ठण्ड का मौसम है, ठण्ड होनी ही चाहिए . हमें कौन वोट माँगने जाना है ? कौन 'भारत जोड़ो' यात्रा का 'तोड़' निकालने के लिए मंथन करना है  ? कौन सर्दी और मावठ में हाफ बाजू की एक सफ़ेद टी शर्ट में २५ किलोमीटर चलना है . मियाँ की दौड़ मस्जिद तक, २०२४ का चुनाव जीतानार्थियों की दौड़ 'राम मंदिर' तक,  देशभक्तों की दौड़ नागपुर तक, विकासार्थियों की दौड़ मोदी जी तक और छिद्रान्वेषियों की दौड़ नेहरू तक, भागवत जी के अनुसार एक हजार साल से युद्धरत वीरों के लिए रसोई में सब्जी काटने के चाकू की धार तेज़ करने तक है, हमारी दौड़ सुबह दूध लाने, अपनी 'पेट' कूरो को घुमाने और बरामदे में बैठकर चाय पीने तक है . जहां तक 'जोड़-तोड़' का सवाल है, वह हमारे वश का काम नहीं है .हाँ, अब घुटने ज़रूर जुड़ने लगे हैं और कभी-कभी सांस भी टूटने लगी है . हमारे पास कौनसा अपने घुटने का ओपरेशन करने वाले डॉक्टर राणावत को देने के लिए पद्मश्री है या 'माननीयों' की तरह एम्स में भर्ती होकर घुटना बदलवाने का विशेषाधिकार है . 






बहू ने सूर्य के उत्तरायण होने के इस विशिष्ट पर्व के उपलक्ष्य में तिल का एक लड्डू और एक जलेबी खाने के साथ परोसी. हो गया उत्सव . हमें कौन  २०१४ का चुनाव जीतने से पहले मोदी जी की तरह किसी सलमान खान के साथ   पतंगोत्सव मनाना था . फिर भी न चाहते हुए हम इस सांस्कृतिक लपेटे में आ ही गए . जैसे ही अपनी 'पेट' कूरो को लेकर निकले दरवाजे के सामने पड़े कटी पतंगों में पैर उलझ गया . पजामी के कारण पैर तो बच गया फिर भी थोड़ी खरोंच लग ही गई . बैंड ऐड लगाकर रजाई में घुसे थे कि दरवाजे पर खटखटाहट हुई . वैसे दस्तक शब्द ठीक रहता लेकिन हम अपने 'हिंदुत्व' को खतरे में नहीं डालना चाहते . 

हम पैर में चोट के बहाने लेटे रहे . पत्नी ने ही दरवाजा खोला जैसे गंगापुत्र मोदी जी 'गंगा विलास' क्रूज़ के लोकापर्ण के कारण जोशीमठ की त्रासदी का कोई 'मुमकिन' हल निकालने के लिए नहीं जा सके . धामी को ही प्रतिघर एक लाख रुपए का आश्वासन देने के लिए भेज दिया .

तोताराम ने कमरे में घुसते हुए कहा- अरे, अधर्मी ! न जा सका मंडी के पास 'मंझेश्वर महादेव' की प्राण-प्रतिष्ठा और पौष-बड़ा महोत्सव में. कोई बात नहीं लेकिन कम से कम यहाँ तो उठकर आदरपूर्वक भोले बाबा का प्रसाद ले लेता .

हमने कहा- तोताराम, सरकार ने जो १८ महीने के महंगाई भत्ते का एरियर हजम कर लिया उसकी भरपाई इस तरह 'पौष बड़ों' से होने वाली नहीं है . 

बोला- पेंशनर के प्राण एरियर में . जो बीत गई उसे भूल जा .

हमने कहा- कौन भूलता है और कौन भूलने देता है . देश आज़ाद हो गया . एक न्यायपूर्ण संविधान लागू हो गया लेकिन भागवत जी अब भी एक हजार से युद्धरत हिन्दुओं से चाकू तेज़ करवा रहे हैं . अब भी आज़ादी के अमृत महोत्सव के शुभ दिन से पहले मोदी जी 'विभाजन विभीषिका दिवस' मनवाना चाहते हैं . 

तोताराम ने हमारे पैर के टखने के पास चिपके बैन ऐड की तरफ इशारा करते हुए कहा- भूतकाल को छोड़ और वर्तमान की बात कर . बता टखने पर यह क्या हो गया ?

हमने कहा- हो क्या गया . शाम को 'कूरो' को घुमाने के लिए निकले थे.  पैर घर के सामने पड़े मंझे में उलझ गया और लग गया कट . यह तो अच्छा हुआ जो गला नहीं फंसा .लेकिन ये मंझेश्वर महादेव कहाँ से आ गए ?

बोला- महादेव हैं. कहीं से भी प्रकट हो सकते हैं . ज्ञानवापी में फव्वारे से, सेन फ्रांसिस्को में रोड ब्लोकर से, कहीं से प्रकट हो जाते हैं बाबा. कोई सच्चे मन से पुकारे तो ! अब देश पर चीनी मंझे का जो दुर्निवार संकट आया है उसके लिए बाबा को अवतार लेना पड़ा है . यही हालत चलती रही तो हो सकता है अगले साल 'मंझा संकटमोचक हनुमान' भी प्रकट हो जायेंगे .

हमने कहा- लेकिन यह मंझा क्या कोई ऐसी आपदा है जिसके लिए भगवान् को अवतार लेना पड़े . ऐसे तो भगवान की आफत आ जायेगी . कितने अवतार लेंगे ?  मंझा क्या कोई अपने आप उड़कर चीन से आ जाता है ? भारत के व्यापारी भारत सरकार की मर्ज़ी से आयात करते हैं . बंद कर दें आयात . 

बोला- बंद कैसे कर दें. निर्यात से तीन गुना आयात करते-करते भी सीमा पर कुचरनी करता रहता है चीन . 

हमने कहा- तो फिर लाल आँख दिखा दो, ५६ इंच का सीना दिखा दो. भाग जाएगा दुम दबाकर . 

बोला- ये सब बातें यहाँ सभाओं में ताली पिटवाने के लिए चलती हैं. सीमा पर दमखम चाहिए . 

हमने कहा- अब दमखम में क्या कमी रह गई ? जी २० के अध्यक्ष बन तो गए . इससे बड़ा और कोई पद क्या होगा ?

बोला- ये फालतू बातें छोड़ और बाबा का प्रसाद खा . सब ठीक होगा. खैर मना, जो गला नहीं कटा . जब तक पतंग उड़ना बंद न हो तब तक रोज 'ॐ मंझेश्वराय नमः' की एक माला फेराकर . 

हमने कहा- हो सकता है अबकी 'मन की बात' में परीक्षा में मनोबल बढ़ाने के टिप्स की तरह मोदी जी चीनी मंझे से बचने का उपाय बताएं . 

बोला- वे गाँधी जी के अनुयायी हैं . उस बुरे चीन की ओर से उन्होंने आँख, कान, जुबान सब बंद कर रखे हैं . उसका तो नाम तक नहीं लेते . जब हमारे पास मंझे से बचने के लिए अपनी शुद्ध राष्ट्रीय तकनीक है 'बाबा मंझेश्वर महादेव का मन्त्र जाप' तो फिर क्यों किसी के मुंह लगना ? 

हमने कहा- तो यह भी किसने कहा है कि मकर संक्रांति  पर पतंग उड़ाना ज़रूरी है ? रजाई में घुसे राम नाम लेकर काट दो ठण्ड के दिन . 

बोला- ऐसे छोटे-मोटे संकटों से घबराकर संस्कृति को कैसे छोड़ दें . 

हमने कहा- लेकिन पतंग उड़ाना और मंझा जब दोनों ही चीन से आ रहे हैं तो इससे हिन्दू संस्कृति कैसे खतरे में पड़ जायेगी ?

बोला- अब मुझे क्या पता लेकिन जब बात हिन्दू संस्कृति की निकलेगी तो बहुत दूर तक जायेगी . क्या पता किसी 'मंझोपनिषद' में कोई वेद विज्ञानी किसी देवता का किसी अप्सरा के साथ पतंग उड़ाने का प्रसंग और उसका  आध्यात्मिक महत्त्व ढूँढ़ निकाले और उसका बहिष्कार करने का हिंदुत्व विरोधी षड्यंत्र करने के अपराध पर तपस्वी छावनी के महंत जगदगुरु परमहंस आचार्य की तरह तेरी जीभ काटने वाले के लिए १० करोड़ रुपए का इनाम घोषित कर दें .








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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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