2024-12-30
कुम्भ-स्नान
आज कल से भी ज्यादा ठंड है । हवा तेज है गई है तथा कोहरा और घना । जैसे कोई चीज लुढ़कने लगती है तो फिर चाहे वह नीयत हो या पारा बड़ी तेजी से गिरते चले जाते हैं । बाहर निकलने का तो सवाल ही नहीं । तोताराम भी सीधा ही अंदर चला आया ।
हमने कहा- एक चाय के लिए क्यों खुद को संकट में डालता है । ठंड लग गई तो सीधा निमोनिया ही होगा । हमारे लिए कोई सी जी एच एस स्कीम नहीं है । मोदी जी की 70 पार वालों के लिए फ्री इलाज वाली स्कीम का भी अपने राजस्थान में कुछ पता नहीं । भजनलाल भी कोई ढंग का काम करने की बजाय कांग्रेस के प्रभाव वाले इलाकों में बनाए गए नए जिलों को समाप्त करने का कीर्तन करने में लगे हैं । ऐसे में ऐसी ठंड में मुफ़्त की एक चाय के लिए प्राणों को संकट में डालना ठीक नहीं ।
बोला- जब दिल में धर्म का जोश और राष्ट्र-प्रेम की गरमाहट न हो तभी तक ठंड लगती है अन्यथा देख नहीं रहा लोग कैसे मौज-मौज में कुम्भ की तैयारी में लगे हुए हैं ।
हमने कहा- अब वह पहले वाला वह सहज,सरल और आस्था का कुम्भ नहीं रह गया है । अब तो कुछ कुम्भ के नाम से धंधा करने में लगे हैं तो कुछ मेले के हजारों करोड़ के बजट में से कुछ कुतरने के जुगाड़ में हैं और कुछ बसे सेवक कुम्भ के सहारे अगला चुनाव जीतने का गणित बैठा रहे हैं । तू बिना बात क्यों फुदक रहा है ।
बोला- मैं तो तुझे पूछने आया हूँ कि कुम्भ जाने का प्रोग्राम बना लें ? अस्सी पार हो गए, क्या ठिकाना । सुना नहीं-
संवत सोरह सौ असी, असी गंग के तीर ।
असी बरस की उमर में तुलसी तज्यो शरीर ॥
मतलब अस्सी के बाद शरीर का अधिक मोह नहीं करना चाहिए । कभी भी प्रभु मिलन हो सकता है । इसलिए बना ले प्रोग्राम ।
हमने कहा- तोताराम,तू ने दोहा गलत पढ़ा है ‘असी बरस की उमर में’ की जगह ‘तुलसी तज्यो शरीर’ होना चाहिए । खैर, हमने इतने भी पाप नहीं कर रखे हैं जिन्हें धोने लिए गंगा को गंदा करना पड़े । यहीं एक बाल्टी पानी गरम करवाकर हर हर गंगे बोलकर नहा लेंगे । हो गया कुम्भ का गंगा-स्नान । यहाँ मरेंगे तो चार भाई फिर भी मिल जाएँगेे । वहाँ उस रेले-मेले में कहीं पुलिस की नौकरी से निकाले गए सूरजपाल उर्फ साकार हरि नारायण के भक्तों की तरह मर गए तो बड़ी दुर्गति होगी और मुआवजा पता नहीं कौन जनसेवक हड़प जाएगा ।
बोला- नहीं, ऐसा नहीं होगा, डबल इंजन की सरकार है और फिर योगी जी का सुशासन !
हमने कहा- योगी जी सुशासन और न्याय तो हम रोज देख रहे हैं । उनके पास लाखों दीये जलवाने, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मस्जिद के सामने पुलिस चौकी बनवाने के लिए समय और साधन हैं लेकिन हाथरस में पुलिस द्वारा रात में परिजनों के बिना ही गन्ने के खेत में जला दी गई बलात्कारित लड़की के परिजनों से मिलने का समय नहीं है । कहीं मर-मरा गए और पुलिस ने लावारिस बताकर कोरोना काल वाली लाशों की तरह गंगा में फेंक दिया तो ?
बोला- तो क्या बुराई है । तत्काल मोक्ष । ऐसा सुयोग कहाँ मिलता है ।
हमने कहा- हममें इतनी भक्ति नहीं है । वैसे क्या तुझे निमंत्रण-पत्र देने योगी जी आए थे जो इतना दबा जा रहा है ?
बोला- योगी जी अकेले अब क्या-क्या करें ? 20 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या वाला राज्य, बुजडोज़र-न्याय के एकमात्र
मुख्यन्यायाधीश, शहरों के नाम बदलने, लाखों दीये जलवाने, बँटने-कटने की व्यवस्था, प्रेम करने वालों की संस्कार, शालीनता,और जात-धर्म की पड़ताल और अब ऊपर से यह कुम्भ मेले मे निमंत्रण-पत्र बाँटने का काम और आ पड़ा ।
हमने कहा- कूरियर से भी तो भिजवा सकते हैं ।
बोला- इतना महत्वपूर्ण काम किसी को भी कैसे दिया जा सकता है ? दिल्ली में पार्टी नेताओं को ही नहीं मुंबई में अनंत अंबानी तक को निमंत्रणपत्र देने गए हैं । मेरा क्या है ? हम तो एक पार्टी-परिवार के हैं । हम पर निमंत्रणपत्र की औपचारिकता लागू नहीं होती ।
हमने कहा- वैसे हमने तरह तरह के निमंत्रणपत्र सुने लेकिन कुम्भ मेले का निमंत्रण आजतक किसी को नहीं दिया गया । स्वतः स्फूर्तता ही तो कुम्भ की विशेषता है । इसे भी औपचारिक बना दिया । और जब औपचारिक बना दिया है तो फिर श्रेणियाँ भी होंगी । हम किस श्रेणी का स्नानार्थी होंगें ?
बोला- मतलब ?
हमने कहा- मतलब एक तो वे जिन्हें योगी जी खुद निमंत्रण देने गए, दूसरे वे जिन्हे उनके मंत्री निमंत्रण देने गए, तीसरे वे जिनके लिए रेलवे स्टेशन पर होर्डिंग लगे हैं- कुम्भ मेले में आपका स्वागत है । चौथे तेरे जैसे जो बादशाह के महल के दीये को देखकर रात काट देते हैं ।
बोला- और पाँचवें वे भी तो हैं जिनके लिए योगी जी ही नहीं शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद तक ने कह दिया है ।
हमने पूछा- क्या कह दिया ?
बोला- कहा है कि जब गैर मुसलमानों को मक्का से 40 किलोमीटर दूर ही रोक दिया जाता है तो मुसलमानों को भी इस मेले से दूर रहना चाहिए ।
हमने कहा- लेकिन हम तो हिन्दू हैं ।
बोला-अगर मेले में जनेऊ चेक की गई तो तेरा क्या होगा ? 50 साल से जनेऊ निकाले घूम रहा है । वहीं पुलिस त्वरित न्याय कर देगी ।
हमने कहा- मतलब अब गंगा भी धरती माता की तरह सबकी माता नहीं रही । वह भी हिन्दू मुसलमान हो गई । अब सूरज-चाँद बाकी बचे हैं ।
बोला- नहीं, सूरज हिन्दू है तभी तो मुसलमान सूर्य नमस्कार नहीं करते । चाँद भी तो तरह के होते हैं - एक करवा चौथ का चाँद और दूसरा ईद का चाँद ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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