मिनिस्टर की स्पेलिंग
आज तोताराम ने आते ही कहा- मिनिस्टर की स्पेलिंग क्या होती है ?
हमने कहा- देख, अब हमें न किसी मिनिस्टर से कोई मतलब है और न किसी प्रधान मंत्री से | पेंशन के पैसे निकालने के लिए दस्तखत करने पड़ते हैं सो कर ही देते हैं और दस्तखत की कोई स्पेलिंग नहीं होती है |जब हाथ में दस्तखत करने लायक दम नहीं रहेगा तब अँगूठा लगा देंगे |तुझे पता होना चाहिए कि अँगूठा दस्तखत से भी बड़ा होता है |जब नौकरी शुरु की थी तो तब सरकार ने दसों अँगुलियों के छापे लिए थे |दस्तखत बदल जाएँ लेकिन अँगूठे की छाप नहीं बदलती |और जहाँ तक सरकार या किसी अन्य से कोई लाभ की बात है तो हमें कुछ भी नहीं मिलने वाला |बिना बात आधार कार्ड और राशन कार्ड सँभाल-सँभाल कर रखते हैं | हम ब्राह्मण हैं और भारत में ब्राह्मण की स्थिति उस सती-साध्वी नारी के समान है जो- अंध, बधिर, क्रोधी, अतिदीना- पति को भी नहीं छोड़ सकती |यदि किसी दिन कोई वित्तमन्त्री पेंशन आधी भी कर देगा तो भी हम कुछ नहीं कर सकेंगे |
बोला- यह चुनाव सभा नहीं है जो बिना ब्रेक की बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ा जा रहा है |यदि चोंच बंद करे तो कुछ कहूँ | देख, तू ठहरा लेखक की दुम |कुछ न कुछ लिखता रहता है |और कुछ सार्थक नहीं तो किसी न किसी नेता के नाम पत्र ही लिख मारता है इसलिए तुझे बता रहा हूँ कि किसी के भी कर्म चाहे कैसे भी हों लेकिन स्पेलिंग और ड्रेस टिपटॉप होनी चाहिए |एक बार जब एक निमंत्रण पत्र में राबर्ट वाड्रा की स्पेलिंग किसी क्लर्क से गलत लिखी गई तो बेचारे को लेने के देने पड़ गए थे |
हमने कहा-हम अंग्रेजी में नहीं लिखते और स्पेलिंग गलत तो अंग्रेजी में होती है और वह भी भारतीयों से |अंग्रेज, अंग्रेजी में कुछ भी लिख दे सही माना जाता है |एक बार एक भारतीय ने चर्चिल की गलत अंग्रेजी की और इशारा किया तो चर्चिल ने कहा -वही अंग्रेजी सही है जो हम बोलते हैं |हम अंग्रेजों की अंग्रेजी को चेलेंज नहीं कर सकते |न ही पूछ सकते कि यदि कहीं किसी आर,पी आदि अक्षरों का उच्चारण होता ही नहीं तो उन्हें स्पेलिंग में शामिल करने की ज़रूरत ही क्या है ? अ,आ,इ,ई,उ आदि स्वरों को अलग-अलग तरह से क्यों लिखते और उच्चारित करते हो ? आज तक शेक्सपीयर की सही स्पेलिंग तय नहीं हो सकी है |स्मृति ईरानी वाले लेटर हैड में तो मिनिस्टर की स्पेलिंग MINSTER ही तो की है MONSTER तो की नहीं |यह तो बेचारी भली महिला है हालांकि बहुत से मिनिस्टर तो 'मोंस्टर' से भी खतरनाक होते हैं |
और जहाँ तक हिंदी की बात है तो वह हमारी मातृभाषा है उसका सत्यानाश करने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है | जैसे विदेश में गन्दगी फ़ैलाने में डर लगता है लेकिन अपने देश में कहीं भी कूड़ा डालने के लिए हम स्वतंत्र हैं | सौ में से नब्बे भाषण-वीर शुरु में ही 'भाइयों,बहनों' बोलकर गलती करते हैं जब कि संबोधन कारक में अनुस्वार नहीं आता | करोड़ों रुपए के सरकारी विज्ञापनों में गलतियाँ आती हैं |उनके लिए तो कोई हल्ला नहीं मचाता |एक छोटे से क्लर्क टाइप आदमी पर सब पिले पड़ रहे हैं | इसमें मंत्री का क्या गलती है |और फिर आजकल परीक्षाओं में स्पेलिंग मिस्टेक के नंबर नहीं कटते |वैसे इसी लेटर में 'संसाधन' की जगह 'संसाधान' छाप गया तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ा ? बात काम की है | 'पानी' को 'पानि' लिख दो तो भी यदि वह प्यास बुझाता है तो पानी ही है | एक शे'र सुन-
जो प्यासे की प्यास बुझा दे
कतरा वही समंदर भगतो |
और फिर आजकल मानव भी ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति नहीं रहा | जैसे बिल्डिंग बनाने के लिए ईंट, सीमेंट, सरिये 'संसाधन' है वैसे ही आदमी भी 'संसाधन' मात्र रह गया है जिसका काम वोट देना और इस-उस से शासित होना है |बस, इस मानव रूपी संसाधन में यही एक कमी है कि किसी काम में नहीं आते हुए इसे दोनों टाइम खाना चाहिए |
हो सकता है किसी दिन रोबोटों में इसका भी विकल्प खोज लिया जाए |
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