Aug 7, 2015

संसद का डैडलॉक

  संसद का डेडलॉक 

घर में आजकल दो प्राणी और बढ़ गए हैं जो हर काम के लिए और अपनी हर आवश्यकता की पूर्ति के लिए हम पर ही निर्भर हैं | रोटी दें तो खा लें, पानी दें तो पी लें और अन्य प्राकृतिक आवश्यकताओं जिन्हें अंग्रेजी में नेचुरल कॉल कहा जाता है के लिए भी |हाँ, यदि प्रेशर रोक पाने की क्षमता समाप्त हो जाए तो जहाँ बँधे हैं वहीं निबट लें |ये दो प्राणी कोई विकलांग मानव नहीं बल्कि हमारे दो पालतू हैं- एक तीन साल की कुतिया 'मीठी' और दूसरा नौ महीने का बिल्ला 'स्मोकी' |

ब्रह्ममुहूर्त में संध्या वंदन की बजाय सबसे पहला काम होता है उन्हें बाहर ले जाना- लघु और दीर्घ शंकाओं के समाधान के लिए |यदि विलंब हो जाए तो दोनों घर में ही अपने आस-पास निबट लेते हैं |इनके लिए शौचालय (अटेच्ड लेटरीन ) जो नहीं है | हमारे ख्याल से किसी राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री के कुत्ते-बिल्लियों के लिए भी संभवतः यह प्रावधान नहीं है |और यदि किसी के पास यह गुप्त सूचना हो तो हमें पता भी नहीं है | अभी तो इनके खुले में शौच करने पर सरकार का प्रतिबन्ध नहीं है और न ही यह राष्ट्रीय या व्यक्तिगत  शर्म की बात भी मानी जा रही है |कल को विकास के नाम पर क्या हो जाए, पता नहीं |

जब भी बाहर लेकर निकलते हैं तो हर नया मिलने वाला सबसे पहले यही प्रश्न पूछता है- क्या ये दोनों आपस में लड़ते नहीं ? क्योंकि कुत्ते-बिल्ली का शाश्वत बैर माना जाता है | लेकिन ये कभी नहीं लड़ते |यह तो आदमी ही है जो रोटी निश्चित हो जाने के बाद अधिक लड़ता है |इनमें हमेशा सहमति रहती है जैसे वेतन भत्ते बढ़ाने के मुद्दे पर सभी दलों के सांसदों में | 

आज जैसे ही हम दोनों को लेकर निकले तोताराम मिल गया और हमारे साथ-साथ चलने लगा | अब यह तो होता नहीं कि जैसे ही कमांड दें वैसे ही ये नित्यकर्म निबटा लें | कभी-कभी तो बहुत देर लग जाती है | पता नहीं, ये हमारी भाषा समझते हैं या नहीं लेकिन हम इनसे बतियाते रहते हैं- मीठी, छी-छी कर लो | 
आज ज़रूरत से ज्यादा ही समय लग गया |खैर, अंततः मीठी ने दो-चार बार इधर-उधर सूँघा, फिर पिछले पैरों को थोड़ा झुकाया, फिर उठ खड़ी हुई | यही क्रिया तीन-चार बार हुई लेकिन अंततः निबट ही ली |हमने भी राहत की साँस ली और हमारी यह साँस कपालभाती की तरह इतनी लम्बी और सघोष थी कि तोताराम ने भी उसे सुन लिया  | 

बोला- क्यों क्या हुआ ?

हमने कहा- काम निबटा |अब इसे निश्चिन्त होकर घर में खुला छोड़ सकेंगे अन्यथा जब तक यह काम न हो तब तक एक अजीब सा टेंशन बना रहता है |

सच मनो तोताराम, जब ये दोनों निबट जाते हैं तो ऐसा सुकून मिलता है जैसे कश्मीर की समस्या हल हो गई हो या संसद का डेड लॉक ख़त्म हो गया हो |

बोला- धीरे बोल | यदि किसी ने सुन लिया संसद की अवमानना के आरोप में तलब कर लिया जाएगा |



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