साधारण कलाम
एक समाचार पढ़ा जिसमें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले अब्दुल कादिर खान ने कहा-भारत रत्न अब्दुल कलाम में कोई असाधारण बात नहीं थी |वे एक साधारण वैज्ञानिक थे |
हम तो उन्हें एक महान व्यक्ति मानते रहे हैं सो हमें बहुत बुरा लगा |
वैसे हम जानते हैं कि अब्दुल कादिर को परमाणु बम बनाने की तकनीक की चोरी के अपराध में कई दिनों जेल में रखा गया था वैसे ही जैसे पाकिस्तान दुनिया को दिखाने के लिए खूँख्वार आतंकवादियों को पाँच सितारा सुविधाओं के साथ जेलों में रखता है | बाद में उनकी रिहाई के लिए उनके वकील ने जो दलीलें दीं उनमें बताया गया था कि उन्होंने परमाणु बम बनाने की यह तकनीक पत्रिकाओं और बारहवीं कक्षा की किताबों से नक़ल की थी | हालाँकि उन्हें इसके बदले में पकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान और बहुत से पदक प्रदान किए गए थे |पता नहीं, यह कादर खान की असाधारणता थी या साधारणता ?
कुल मिलाकर हमें उनकी यह बात हाजमोला खाने पर भी हजम नहीं हुई तो हमने बात तोताराम से कही |
तोताराम बोला- हाँ, कलाम साहब साधारण ही तो थे | सृष्टि में सब कुछ साधारण ही तो है |एक आदमी नाम का जीव ही है जो अपने वस्त्रों, बनावटी बातों और परनिंदा के बल पर असाधारण बनने की कोशिश करता है |जो साधारण नहीं है वही असाधारण बनने का नाटक करता है | जिसे अपनी कम ऊँचाई की कुंठा होती है वह आसमान में देखता हुआ चलता है | सूरज,चाँद,तारों का उगना, वर्ष,धरती से अंकुर फूटना, हवा का चलना, जन्म और मृत्यु सब साधारण रूप से ही होता है, बिना किसी सापेक्षता के |ईश्वर भी साधारण ही है, किसी को फ़रियाद के लिए नहीं बुलाता |जहाँ जो उसे सच्चे दिल से बुलाता है, पहुँच जाता है |जब कि मंत्री तो दूर, एक वार्ड पञ्च भी अपने बाप तक को मिलने के लिए , मीटिंग या पूजा में होने के बहाने इंतज़ार करवाता है |और बड़ों की तो बात ही मत पूछ- वे तो अकबर महान की तरह जनता-दर्शन का कार्यक्रम रखते हैं |
हमने पूछा- तो फिर पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के जनक 'अब्दुल कादर खान' भी फिल्मों वाले कादर खान की तरह साधारण ही हैं |
बोला- नहीं, वे न साधारण हैं,न असाधारण; वे तो कुंठित हैं |अपराधी कभी- 'मैं मूरख,खल कामी...' नहीं गाएगा |यह तो पवित्र ह्रदय- भक्त ही गा सकता है | असाधारण ही अपने को साधारण कहेगा और सहज-सामान्य आचरण करेगा | जो किसी भी तरह से बेहतर नहीं, वही अपने अंतिम संस्कार तक में किराए की भीड़ जुटवाएगा |वरना कलाम जैसे संत के लिए तो अपने आप लोग आँखों में आँसू लिए सुबह से ही अंतिम दर्शन के लिए खड़े हो जाते हैं |वही कह सकता है कि मेरे निधन पर कोई छुट्टी न की जाए, सब अपना-अपना काम करें |वरना तो उत्साही कार्यकर्ता अपने तथाकथित नेता के लिए ज़बरदस्ती दुकाने बंद करवाते फिरते हैं |
छोड़, कहाँ कलाम और कहाँ कादिर | |गाँधी के साथ गोडसे का नाम लेकर उसे व्यर्थ सम्मान क्यों दे रहा है |
जैसे ही तोताराम आया हमने
एक समाचार पढ़ा जिसमें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले अब्दुल कादिर खान ने कहा-भारत रत्न अब्दुल कलाम में कोई असाधारण बात नहीं थी |वे एक साधारण वैज्ञानिक थे |
हम तो उन्हें एक महान व्यक्ति मानते रहे हैं सो हमें बहुत बुरा लगा |
वैसे हम जानते हैं कि अब्दुल कादिर को परमाणु बम बनाने की तकनीक की चोरी के अपराध में कई दिनों जेल में रखा गया था वैसे ही जैसे पाकिस्तान दुनिया को दिखाने के लिए खूँख्वार आतंकवादियों को पाँच सितारा सुविधाओं के साथ जेलों में रखता है | बाद में उनकी रिहाई के लिए उनके वकील ने जो दलीलें दीं उनमें बताया गया था कि उन्होंने परमाणु बम बनाने की यह तकनीक पत्रिकाओं और बारहवीं कक्षा की किताबों से नक़ल की थी | हालाँकि उन्हें इसके बदले में पकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान और बहुत से पदक प्रदान किए गए थे |पता नहीं, यह कादर खान की असाधारणता थी या साधारणता ?
कुल मिलाकर हमें उनकी यह बात हाजमोला खाने पर भी हजम नहीं हुई तो हमने बात तोताराम से कही |
तोताराम बोला- हाँ, कलाम साहब साधारण ही तो थे | सृष्टि में सब कुछ साधारण ही तो है |एक आदमी नाम का जीव ही है जो अपने वस्त्रों, बनावटी बातों और परनिंदा के बल पर असाधारण बनने की कोशिश करता है |जो साधारण नहीं है वही असाधारण बनने का नाटक करता है | जिसे अपनी कम ऊँचाई की कुंठा होती है वह आसमान में देखता हुआ चलता है | सूरज,चाँद,तारों का उगना, वर्ष,धरती से अंकुर फूटना, हवा का चलना, जन्म और मृत्यु सब साधारण रूप से ही होता है, बिना किसी सापेक्षता के |ईश्वर भी साधारण ही है, किसी को फ़रियाद के लिए नहीं बुलाता |जहाँ जो उसे सच्चे दिल से बुलाता है, पहुँच जाता है |जब कि मंत्री तो दूर, एक वार्ड पञ्च भी अपने बाप तक को मिलने के लिए , मीटिंग या पूजा में होने के बहाने इंतज़ार करवाता है |और बड़ों की तो बात ही मत पूछ- वे तो अकबर महान की तरह जनता-दर्शन का कार्यक्रम रखते हैं |
हमने पूछा- तो फिर पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम के जनक 'अब्दुल कादर खान' भी फिल्मों वाले कादर खान की तरह साधारण ही हैं |
बोला- नहीं, वे न साधारण हैं,न असाधारण; वे तो कुंठित हैं |अपराधी कभी- 'मैं मूरख,खल कामी...' नहीं गाएगा |यह तो पवित्र ह्रदय- भक्त ही गा सकता है | असाधारण ही अपने को साधारण कहेगा और सहज-सामान्य आचरण करेगा | जो किसी भी तरह से बेहतर नहीं, वही अपने अंतिम संस्कार तक में किराए की भीड़ जुटवाएगा |वरना कलाम जैसे संत के लिए तो अपने आप लोग आँखों में आँसू लिए सुबह से ही अंतिम दर्शन के लिए खड़े हो जाते हैं |वही कह सकता है कि मेरे निधन पर कोई छुट्टी न की जाए, सब अपना-अपना काम करें |वरना तो उत्साही कार्यकर्ता अपने तथाकथित नेता के लिए ज़बरदस्ती दुकाने बंद करवाते फिरते हैं |
छोड़, कहाँ कलाम और कहाँ कादिर | |गाँधी के साथ गोडसे का नाम लेकर उसे व्यर्थ सम्मान क्यों दे रहा है |
जैसे ही तोताराम आया हमने
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