Jan 2, 2016

डूब मरने की बात

  डूब मरने की बात है 

आज तोताराम कुछ जल्दी ही आगया मतलब नौ बजे से पहले ही क्योंकि दिसंबर और जनवरी में हमारा दिन नौ बजे ही शुरू होता है |और आते ही बोलने लगा अशुभ |बोला- मास्टर, डूब मरने की बात है |
हमने कहा- बन्धु, इस मौसम में पानी इतना ठंडा है कि लाख शर्मिंदगी की बात हो, हम तुम्हारी यह इच्छा पूरी नहीं कर सकते और गरमी में इतना पानी नहीं आता |लोग तो देश के साथ धोखा करके भी डूबने की नहीं सोचते और बहाना बना देते हैं संसद के कुँए में पानी न होने का | हम क्यों डूब मरें |हमने तो चालीस वर्ष ईमानदारी से नौकरी की है और अब जो कुछ पेंशन जेतली जी दे रहे हैं उसी में जी रहे हैं | 

बोला- मैं तुम्हारी बात नहीं कर रहा हूँ |मैं तो उनकी बात कर रहा हूँ जो पैसा खर्च नहीं कर पाए |भारत पर ३.६६ लाख करोड़ का क़र्ज़ है जिसमें ६५% अर्थात २.३७ लाख करोड़ का एशियन डेवेलपमेंट बैंक, जापान, जर्मनी,इंटर नॅशनल बैंक ऑफ़ रीकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बैंक का सस्ते ब्याज का ऐसा क़र्ज़ है जिसे सही समय पर और एक निश्चित मात्रा में उपयोग न करने पर सामान्य से अधिक ब्याज देना पड़ता है | भारत ऐसा नहीं कर सका तो उसे १४०० करोड़ का ब्याज देना पड़ा है | 

है कि नहीं डूब मरने की बात |लोग पता नहीं, क्यों नेताओं को देश का धन गबन करके स्विस बैंकों में जमा कराने का आरोप लगते हैं | ये तो हाथ में था उसी को खर्च नहीं कर पाए |मैं होता तो दस-बीस वर्ष में खर्च किया जा सकने वाला एक साल में ही निबटा देता |

मनरेगा और गौशालाओं की तरह झूठी हाजरी दिखाता, सड़कों, शौचालयों, पुलों, मकानों के बिल बना देता; एक मुर्गी की आठ सौ रुए रोज की खुराक दिखा देता फिर किसी बीमारी में सब को मरवा देता, कोई चेकिंग करने आता  तो दस परसेंट उसे दे देता और हड़प जाता सब कुछ | और भले काम के लिए चाहे कोई साथ देने वाला न मिले लेकिन ऐसे शुभ काम में तो लाखो आ जुटते मेरे साथ |

हमने कहा- तोताराम, जब खाने को नहीं होता तो आदमी सोचता है कि यदि बादाम या पिस्ते की बरफी मिल जाए तो पाँच किलो खा जाऊँगा लेकिन जब उसके सामने सौ-दो सौ किलो बरफी रख दी जाए तो उसकी साँसें फूल जाती हैं |यदि तुझे इतना रुपया दे दिया जाए तो या देखकर की दिल का दौरा पड़ जाएगा या गिनते-गिनते ही मर जाएगा | सेवकों ने स्पेक्ट्रम, कामनवेल्थ गेम्स, खान घोटाला, लौह अयस्क निर्यात, क्रिकेट स्टेडियम आदि में बहुत खाया, किसी चीज की वास्तविक कीमत जितना एक रोज का किराया दिखाया तो भी पूरी राशि नहीं निबटा सके तो तू क्या चीज है ? 
अच्छा चल बता, एक लाख करोड़ में कितने जीरो आते हैं ? 

बोला- यह तो मैं ही क्या, एक राज्य का उप मुख्यमंत्री तक नहीं बता पाया |

तभी पत्नी चाय ले आई, बोली- कभी इनकम टेक्स का तो सही हिसाब लगा नहीं पाए और बातें करेंगे लाखों करोड़ की |अब चुप करो और चाय पिओ |








No comments:

Post a Comment