Aug 29, 2020

जोर से बोल....



 ज़ोर से बोल ..........


हम बरामदे में बैठे थे |तोताराम आया लेकिन हमारे पास आकर नहीं बैठा ?

हमने कहा- क्या बात है ? हमें न तो कोरोना है और न ही होने की कोई संभावना है  |पहले जब कोरोना हिन्दू था तब तबलीगियों को हुआ करता था |अब कोरोना आम आदमी हो गया है इसलिए नेताओं को हो रहा है |अब किस-किस के नाम गिनाएं ?पञ्च से प्रधान तक किसी को नहीं छोड़ रहा है | हम न तबलीगी हैं और न नेता |इसलिए निर्भय होकर बरामदे में आ जा |

बोला- ज़ोर से बोल | 

हमने थोड़ा ज़ोर से बोलते हुए कहा- आ बैठ जा |

तोताराम फिर बोला- और ज़ोर से बोल |

हमने कहा- या तो तू नेता हो गया है या फिर भगवान | दोनों ही किसी की नहीं सुनते |जो मन आया बोलते हैं और जो मन आया करते हैं |अभी तो पेंशन आई हुई है कोई सस्ती सी हीयरिंग ऐड ले ले |

बोला- मुझे तो सब सुनता है |मैं तो तेरा कोरोना चेक कर रहा था |

हमने कहा- हम प्रज्ञा के पैदा होने से पहले से ही 'हनुमान चालीसा' का पाठ करते हैं और अर्जुन मेघवाल जी के बताने से पहले से अपनी भाभी के बनाए पापड़ खाते हैं |

बोला- वैसे तो तेरे ही क्या, इस देश के हर आस्थावान नागरिक के पास वैदिक ज्ञान का ऐसा भण्डार है जिसमें से नौकरी, खाना-पीना, कपड़े और मकान जैसी तुच्छ चीजों के अतिरिक्त सब कुछ मिल जाता है |लेकिन मैं तो परीक्षण के तौर पर तेरा कोरोना टेस्ट कर रहा था |

हमने कहा- फीस क्या लगेगी ?

बोला- यह फ्री वाला टेस्ट है |आवाज़ से ही हो जाता है |

हमने कहा- शायद कोई सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक जैसी तकनीक है  जिनके तहत आतंकवादियों को उनके कपड़ों, दाढ़ी और पायजामे से पहचान लिया जाता है |

बोला- तुझे टेस्ट करवाना है तो करवा |

हमने कहा- टेस्ट न करवाना ही ठीक है |तुलसी कहते हैं-

सबतें भले विमूढ़ जिन्हें न व्यापे जगत मति 

अच्छा है, अज्ञान अज्ञान में ही समय निकल जाए |नहीं तो अगर तूने गलती से भी  पोजिटिव बता दिया तो डर के मारे वैसे ही मर जाएंगे |हाँ, यदि उचित समझे तो इस तकनीक के बारे में कुछ ज़रूर बता दे |क्या है यह तकनीक ?


सांकेतिक तस्वीर

बोला-  बीएमसी ( वृहन्मुम्बई नगर निगम )  के एडिशनल  कमिश्नर सुरेश काकानी के मुताबिक आवाज की टेस्टिंग से आधे घंटे में पता चल जाएगा कि व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नेगेटिव है। कोरोना की वजह से फेफड़ों की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं। फेफड़ों की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है जिससे आवाज भी बदल जाती है।

हमने कहा- अडवानी जी और अमर सिंह जी की आवाज़ की बात और है |उनकी जैसी भी है मौलिक और स्वस्थ आवाज़ है | कई बार कुछ नेताओं की खनकती आवाज़ अचानक कमजोर पड़ जाती है तो उन्हें भी क्या कोई बीमारी हो सकती है ? 

बोला- नहीं, उसका कारण दूसरा होता है |या तो उनकी किसी घोटाले की फ़ाइल खुल जाती है या कोई लाभ का पद मिल जाता है |यह भी एक प्रकार का कोरोना ही है जिसमें शरीर का कम और आत्मा का अधिक नुकसान होता है |














 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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