Aug 23, 2020

ढोली थारो ढोल बाजे



ढोली थारो ढोल बाजे 


आज तोताराम कूड़े में से पोलीथिन बीनने वाले बच्चों की तरह एक बड़ा-सा थैला अपनी पीठ पर लटकाए हुए हाज़िर हुआ |जिस सरलता से तोताराम थैले को उठाए हुए था उससे पता चल रहा था इसमें भी हलकी चीज ही रखी हुई है |फिर भी इतनी हलकी भी क्या कि तोताराम उसे ऐसे उठाए जैसे कि घर से भागते समय नायिका एक बड़ा-सा सूटकेस मज़े से हिलाती हुई चल रही होती है |  

हमने कहा- तोताराम लगता है इसमें तेरी तरह ही कोई बहुत हलकी चीज है |

बोला- तो तू मुझे हलका कहना चाहता है | चल, तेरा ही क्या रोना रोएँ |आजकल तो      सड़क से संसद तक,वाराणसी से वाशिंगटन तक सब कुछ हल्का ही हल्का नज़र आ रहा है |

हमने कहा- जब सब कुछ ही हवा में है तो हल्का तो होना ही है |वास्तविकता में कुछ हो तो वज़न भी हो |इसीलिए जब शरीर को पञ्च तत्त्वों से बना बताया जाता है तो सॉलिड माने पृथ्वी और पोला-खोखला माने आकाश |जब करने को कुछ नहीं होता या कुछ कारण ही नहीं है तो आकाशी, आभासी और हवाई बातों से ही काम चलाना पड़ता है |तभी हम हनुमान चालीसा से कोरोना मिटाना चाहते हैं तो ट्रंप अमरीकी गौरव और ग्रेटनेस से चुनाव जितना चाहते हैं |वैसे तेरे इस विराट थैले में कौनसी हवा भरी हुई है ?

बोला- इसमें ढोल है और उसमें हवा है |सुरक्षित हवा, गूँजने व गरजने वाली हवा |

हमने कहा- लेकिन ढोल में तो पोल भी तो होती है |


बोला- पोल का मतलब 'मतदान' और 'पोलिटिकल साइंस' भी होता है इसी समानता के कारण आज के तथाकथित लोकतंत्र में किसी न किसी प्रकार का ढोल और पोल जरूरी है |अपने लिए और केबिनेट में बने रहने के लिए ऊपर वाले का पीटने के लिए ढोल तो ज़रूरी है |

हमने कहा- तो तू आजकल किसका ढोल बजा रहा है ?

बोला- ढोल बजाना भी कोई सामान्य काम नहीं है |जब संकट आता है तो जिनके लिए बजाते हैं वे तो खिसक लेते हैं और चक्कर में आते हैं मेरे जैसे छोटे लोग |

Mark Zuckerberg's Facebook Profile Pic is Tricolour Camouflaged







हमने पूछा- यह क्या बेताल वाला प्रश्न है ?

बोला- तो ढोल की दो लघु कथाएँ सुन-

एक : 
एक बार कुछ चोर चोरी करने जा रहे थे |वे वास्तव में अपना धर्म-पालन कर रहे थे |सेवकों की तरह नहीं कि नौकरी हो चौकीदार की और करें चोरी |वे वास्तव में चोर थे और चोरी करने जा रहे थे |रास्ते में एक ढोली मिला |मज़े के लिए उन्होंने उसे साथ ले लिया |चोर एक बुढ़िया के घर में घुसे |घर में हँडिया में दूध था |चोरों को भूख भी लगी हुई थी |उन्होंने ढोली को खीर बनाने के लिए कह दिया |चोर सामान समेटने में लगे रहे |खीर बन गई |ढोली ने सोचा, सारा सामान बुढ़िया का है तो क्यों न इसे भी थोड़ी खीर दे दी जाए |उसने थोड़ी सी खीर बुढ़िया की खाट से नीचे लटकती हुई हथेली पर रख दी |खीर गरम थी |बुढ़िया चिल्लाई |ढोली सहित चोर भाग लिए |वे बाजरे के खेत में से छुपते हुए भाग रहे थे लेकिन बाजरे के सिट्टे ढोली के ढोल से लगकर आवाज़ करते जा रहे थे |सब पकड़ लिए गए |

इससे चोरों ने सीखा कि ढोली को अपने साथ नहीं रखना चाहिए |विशेषरूप से ऐसे ढोली को जिसकी ढोलक अपनी हो |बाद में उन्होंने ऐसे ढोलियों को नियुक्त किया जो उनका दिया ढोल, उनके अनुसार बजाते थे |


दो : 
एक बार दो सेनाओं में युद्ध हुआ |हारी हुई सेना के बहुत से लोग बंदी बना लिए गए |जीती हुई सेना के सेनापति द्वारा सब बंदियों से उनका परिचय पूछा जा रहा था |कोई किसी पद पर, कोई किसी पद पर |एक व्यक्ति ने कहा- मैं सैनिक नहीं हूँ |मुझे छोड़ दीजिए |

पूछा गया- तू क्या करता है ?

बोला- मैं ढोल बजता हूँ | ढोल सुनकर सैनिकों को जोश आ जाता है और वे लड़ने के लिए बेचैन हो जाते हैं |

सेनापति ने कहा- इन सैनिकों को छोड़ दो और इस ढोली को फाँसी पर लटका दो |यही सब खुराफात की जड़ है |

हमने कहा-  तोताराम, कहीं वह ढोली ही तो इस जन्म में फेसबुक वाले जकरबर्ग के रूप में अवतरित नहीं हो गया ? इसके फेस बुक से भी अपने यहाँ हिन्दू मुसलमानों में वैमनस्य और घृणा बढ़ाने वाली अफवाहें फैलाई जा रही हैं |इसे फाँसी पर चढाने का फरमान तो हम नहीं दे सकते फिर भी क्या इसे बुलाकर सेट नहीं किया जा सकता ? 

बोला- दंड सत्ता की खिलाफत करने पर मिलता है, सहयोग करने पर नहीं |सहयोग करने पर तो बिजनेस और प्रेम की झप्पी मिलती है | 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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