आई लव भाभीजी
पोती चाय रख गई |हमने गिलास उठाया लेकिन तोताराम वैसे ही बैठा रहा |हमने कहा- किसका इंतज़ार कर रहा है ?
बोला- भाभीजी कहाँ है ?
हमने कहा-रसोई में है |
बोला- बट आई वांट हीयर |आई लव भाभीजी |भाभीजी सो स्पाइसी |नो भाभीजी, नो चाय |
हमें बड़ा अजीब लगा | हमारी पत्नी अर्थात 'तोताराम की भाभी' को लेकर तोताराम इतना मुखर तो कभी होली में भी नहीं हुआ था | उसने कभी न तो हमें और न ही कभी हमारी पत्नी को 'जी' लगाकर संबोधित किया था |हाँ, हमें ज़रूर कभी कोई चुभती बात कहनी होती थी तो 'आदरणीय' भ्राताश्री' इत्यादि जोड़ देता था |लेकिन आज यह 'आई लव भाभीजी' आदि !
हमने कहा- तेरा दिमाग तो ठिकाने है ? यह चाय किसने भिजवाई है ? वह रसोई में है | और वह कौन रोज तेरे साथ यहाँ चाय पीती है जो 'नो भाभीजी, नो चाय' लगा रखी है | तुझे पता है स्पाइसी का क्या मतलब होता है ? अब वही तुझे स्पाइसी लग रही है ?
बोला- मास्टर, बस ! अरे कभी तो चीन, ट्रंप और कोरोना के अतिरिक्त कुछ पढ़ लिया कर |मैं इम्यूनिटी बढ़ाने वाली भाभीजी की बात कर रहा हूँ |
हमने कहा- इम्यूनिटी कुछ अच्छा खाने से बढ़ती है |भाई साहब और भाभीजी से नहीं |उनका तो खुद का हाल ऐसे ही है |
हमने कहा- ठीक है, पापड़ खाने से मुँह खुल जाता है, बिगड़ा हुआ जायका ठीक हो जाता है लेकिन इसका कोरोना से कोई संबंध नहीं है |राजस्थान में पहले कहाँ हरी सब्जियाँ होती थीं |लोग पापड़, बड़ी आदि से ही काम चलाते थे |यदि इनसे ही कुछ होता तो राजस्थान में तो कोरोना होना ही नहीं चाहिए था |
बोला- इन्हीं पापड़ों के कारण तो राजस्थान के हालात यूपी, बिहार, कर्नाटक और गुजरात से ठीक हैं |और फिर जैसे खाना बने तब तक सलाद और पानी से काम चलाना चाहिए वैसे ही जब तक टीका विकसित हो तब तक अर्जुन जी वाले इस नुस्खे से दिल बहलाने में क्या बुराई है ? और उनका तर्क है कि वे तो 'लोकल के लिए वोकल' हो रहे थे |
हमने कहा- लेकिन उससे पहले यह तो देख लेते कि पापड़ पिछले साल के बने हुए थे जबकि कोरोना तो चार महीने से है |और उस पर इम्यूनिटी बढ़ाने वाली सूचना की एक चिप्पी चिपकी हुई थी |
यह भारत है यहाँ अब कुछ अवसर के अनुसार बन जाता है जैसे आजकल चप्पलें भी इम्यूनिटी बढ़ाने वाली आने वाली हैं |
आपदा में अवसर |सुना नहीं चोर डाक्टरों वाले पी पी ई किट में आए और चोरी कर ले गए |और एक महिला कोरोना का काढ़ा पिलाने के बहाने कुछ नशीला पदार्थ पिलाकर सामान उठा ले गई |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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