सेन्ट्रल विष्ठा !
हमने पूछा- तोताराम, यह सेन्ट्रल विष्ठा क्या है ?
बोला- अपना उच्चारण तो सुधार. अच्छे भले अंग्रेजी शब्द को कहाँ शौचालय में ले जाकर पटक दिया. यह तो भला हो संस्कृत का जो इस शब्द में बदबू कम आ रही है. यदि तू 'गू' या 'नरक' कहता तो सारा बरामदा गंध मारने लगता. तेरी हर बात का ज़वाब दूंगा लेकिन पहले चाय तो सामान्य वातावरण में पी लेने दे. यह गू-मूत बाद में कर लेना.
हमने कहा- इतनी संस्कृत तो हम भी जानते हैं. विष्ठा हमने जानबूझकर ही बोला है. शरीर के केंद्र में पेट होता है और पेट में क्या होता है ? मल-मूत्र. एक बार मुंह में जाने के बाद सब कुछ मल मूत्र बनने की प्रक्रिया में आ जाता है. यदि 'विष्ठा' बनने को अग्रसर भोजन प्रक्रिया पूरी करके उचित समय पर, उचित मार्ग से निकले तो यह अच्छे स्वास्थ्य का प्रमाण हैं. यदि भोजन करने के बाद पाचन और निष्कासन अर्थात मल त्याग या विष्ठा- विसर्जन की प्रक्रिया किसी कारण से बाधित होने लगती है तो यह बीमारी का लक्षण है. सारी बीमारियाँ पेट से ही शुरू होती हैं. महानायक की पूरी फिल्म 'पीकू' की मूल समस्या 'विष्ठा-विसर्जन' में व्यवधान ही है.
शास्त्रों में 'धन' की श्रेष्ठ गति 'दान' कही गई है. यदि भाव रूप में देखें तो यह दान एक प्रकार से अतिरिक्त धन का 'विष्ठा-विसर्जन' ही तो है.
तोताराम हाथ जोड़ते हुए बोला- प्रभु, आपका भी ज़वाब नहीं. जैसे सभी किसानों को उनके सभी उत्पादों के वाजिब मूल्य 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' की सीधी सी बात को मोदी जी के मंत्री और प्रज्ञा ठाकुर व कंगना जैसी चंडिकाएं तोड़-मरोड़ कर चीन, पाकिस्तान, आतंकवाद और खालिस्तान तक पहुंचा देते हैं वैसे ही आप भी अपनी कुंठा रूपी विष्ठा से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं.
मेरा तो इतना ही कहना है कि 'विष्टा' एक अंग्रेजी शब्द है जिसे मोदी जी ने देश की संसद, सर्वोच्च सेवकों और प्रशासकों के लिए बनने वाले एक परिसर के लिए दिया है.
हमने कहा- लेकिन दुनिया में एक नहीं सैंकड़ों संसदें हैं जिनमें बहुतों के नाम संसद, असेम्बली, कांग्रेस आदि ही ज्यादा है. अपना तो पहले से ही 'संसद' है तो उसे ही चालू रखने में क्या परेशानी है. यदि सभी कार्यालय और महाप्रभुओं के लोकों को भी समाहित करना है तो 'संसद परिसर' नाम रख देते.वैसे नई ईमारत बनवाने की ज़रूरत ही क्या है ? दुनिया में अमरीका से लेकर नीदरलैंड तक की २००-२५० साल से लेकर ८०० साल तक की पुरानी इमारतों में सरकारें चल रही हैं. तो अपने संसद भवन को तो सौ साल ही हुए हैं.
बोला- इस स्थान और नाम से ही बहुत सी बुरी यादें जुड़ी हुई हैं. यहाँ बैठने वालों के सिर पर गाँधी, नेहरू जैसे देश के असली दुश्मनों की आत्माएं मंडराती हैं. वे एक पवित्र और धार्मिक भारत का निर्माण करने में बाधा डालती हैं. इसलिए नाम और स्थान सब बदलना ही उचित है.
हमने कहा- यदि किसी डिक्शनरी में देखेगा तो 'विस्टा' के कई अर्थ मिलेंगे जैसे- दृश्य, परिदृश्य, सिंहावलोकन, अनुदर्शन, प्रत्याशा, संदर्श आदि. और जब इन शब्दों के और आगे के अर्थ देखेगा तो पता चलेगा कि वायु पुराण और विष्णु पुराण में भी कई नरककुंडों का उल्लेख है जैसे- वसाकुंड, तप्तकुंड, सर्पकुंड और चक्रकुंड आदि। इन नरककुंडों की संख्या 86 है। इनमें से सात नरक पृथ्वी के नीचे हैं और बाकी लोक के परे माने गए हैं। उनके नाम हैं- रौरव, शीतस्तप, कालसूत्र, अप्रतिष्ठ, अवीचि, लोकपृष्ठ और अविधेय हैं। हालांकि नरकों की संख्या पचपन करोड़ है; किन्तु उनमें रौरव से लेकर श्वभोजन तक इक्कीस प्रधान माने गए हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं- रौरव, शूकर, रौघ, ताल, विशसन, महाज्वाल, तप्तकुम्भ, लवण, विमोहक, रुधिरान्ध, वैतरणी, कृमिश, कृमिभोजन, असिपत्रवन,कृष्ण, भयंकर, लालभक्ष, पापमय, पूयमह, वहिज्वाल, अधःशिरा, संदर्श, कालसूत्र, तमोमय-अविचि, श्वभोजन और प्रतिभाशून्य अपर अवीचि तथा ऐसे ही और भी भयंकर नर्क हैं।
इस प्रकार सिद्ध होता है कि 'विस्टा' (VISTA) का मतलब संदर्श और संदर्श २१ प्रमुख नरकों में से एक. इसलिए यदि हमने विस्टा को 'विष्ठा' कह दिया तो क्या अनर्थ हो गया. शुक्र मना कि हमने लोक भाषा में 'गू' नहीं कहा.
बोला- आज पता चला है कि तेरे जैसे महान व्यक्ति चाहें तो ज्ञान देकर भी किसी के प्राण ले सकते हैं जैसे कि महान सेवक सेवा करते-करते भी लोगों की जान ले सकते हैं. अब सोचता हूँ कि तुझसे ज्ञान लेने की बजाय तो किसानों के साथ जबरिया कल्याण के तीन कानूनों की वापसी के लिए आन्दोलन करते हुए पुलिस के डंडे या ठंडे पानी की बौछार खाकर मर जाऊं.
हमने कहा- हम ज्योतिष में विश्वास नहीं करते. राम के विवाह का मुहूर्त वशिष्ठ जैसे पंडित ने निकाला था लेकिन क्या हुआ- वनवास, दशरथ का मरण, सीता-हरण और अंततः सीता का राम द्वारा त्याग. फिर भी मोदी जी तो सच्चे भारतीय और प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान में घोर विश्वास करने वाले हैं. उन्हें तो कम से कम सही मुहूर्त में काम करने चाहियें. लेकिन देखा, ५ अगस्त २०२०को राम मंदिर का शिला पूजन पंचकों में दोपहर १२ से डेढ़ बजे के बीच दुर्मुहूर्त योग और राहु काल में किया. और संसद का शिलान्यास १२.३५ बजे दोपहर के अभिजित मुहूर्त को टाल कर १२.५५ बजे किया.
बोला- मोदी जी एक धाँसू और दबंग नेता हैं. वे जो करें वही सही, जब करें वही मुहूर्त.
वैसे सच कहूँ तो मुझे अब तेरी इस विष्ठा वाली बात में दम नज़र आने लगा है. तभी तो कुछ बड़े देशों के नेता जब किसी दूसरे देश का दौरा करते हैं तो अपने साथ अपना मोबाइल शौचालय ले जाते हैं और अपना अमूल्य मल उस देश में छोड़ने की बजाय अपने साथ ही वापिस ले आते हैं. व्हेल की उलटी भी तो एक प्रकार से उसका मल ही तो है. वह बहुत महँगी बिकती है. गड़करी जी ने भी एक बार कहा था कि मनुष्य के मल में सोना पाया जाता है लेकिन यह नहीं बताया कि किस मनुष्य के मल में. दिनकर जी ने भी एक स्थान पर लिखा है- मूल्यवती होती सोने की भस्म यथा सोने से.
इसका भी शायद यही अर्थ होता हो. पेट में जाने के बाद भक्षित पदार्थ चाहे ऊपर से निकले या नीचे से वह मल ही होता है. जब भक्षित पदार्थ ऊपर से निकलता है तो उसमें अकी गुना अधिक बदबू आती है. व्हेल मछली की की उलटी बहुत कीमती मानी जाती है. बिल्ली को कॉफ़ी के बीजा खिलाये जाते हैं. बाद में कुछ बीज बिन पचे साबुत ह उसके मल में आ जाते हैं. उन बीजों को पीसकर जो कॉफ़ी बनती है वह बहुत महँगी होती है. उसे 'सिवेट' कहते हैं. यह कॉफ़ी कर्णाटक के कुर्ग में बनती है और उसका भाव २०-२५ हजार रूपए किलो होता है.
'विस्टा' (VISTA) का अर्थ संदर्श होता है और संदर्श नामक एक नरक होता है. इस नरक में पराई स्त्री और पराये अन्न का सेवन करने वाले जाते हैं. और संसद में भी कम से कम एक तिहाई अपराधियों में या तो पराई स्त्री का सेवन करने वाले हैं या पराये अन्न अर्थात भ्रष्टाचार-रिश्वत की कमाई खाने वाले हैं. इस स्थिति में भी हमारे ख़याल से 'विष्ठा' नाम उचित ही है.
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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