Dec 3, 2020

सबसे बड़ा हितैषी और सबसे बड़ा मूर्ख


सबसे बड़ा हितैषी और सबसे बड़ा मूर्ख 


आज जैसे ही तोताराम आया, हमने उसके सामने उसी तरह फिटनेस चेलेंज फेंका जैसे विराट कोहली ने मोदी जी के सम्मुख निवेदित किया था. कहा- चाय तब मिलेगी जब मेरे दो प्रश्नों का सही-सही उत्तर दे देगा.

प्रश्न है, एक- संसार में सबसे बड़ा हितैषी कौन है ?  दो- संसार में सबसे बड़ा मूर्ख कौन है ?

बोला- ये बातें देश, काल, पार्टी, सरकार, भाग्य आदि सापेक्ष होती हैं. एक शब्द में उत्तर नहीं दिया जा सकता. जैसे हर कुत्ता अपनी गली में शेर होता है और दूसरे की गली में लेंडी कुत्ता. जैसे भाजपा शासन में कोई भी कंगना रानावत शेरनी और एक्टिविस्ट हो सकती है और सत्ता का समर्थन न हो तो अच्छी भली रिया चक्रवर्ती गोदी मीडिया द्वारा अपराधी बना दी जाती है. अस्सी साल के एक कवि को जेल में सड़ाया जा सकता है तो किसी को डेढ़ कविता पर पद्मश्री दी जा सकती है. वैसे ही देश-काल के अनुसार हितैषी, दुश्मन, मूर्ख और बुद्धिमान सिद्ध होते हैं. जैसे हवा का रुख पहचानने में रामविलास पासवान सबसे बुद्धिमान थे. सरकार किसी की रही पासवान जी उसके पास-पास ही पाए गए.  किसी ज़माने में १९६४ के बाद तारकेश्वरी सिन्हा जिस भी पार्टी में गई उसकी लुटिया डूबी. अब बता तू किसके सन्दर्भ में पूछ रहा है ?

हमने कहा- हमने तो सीधा सा प्रश्न पूछा था लेकिन तू भारतीय राजनीति का इतिहास सुनाने लगा. भूतकाल बीत गया. भविष्य ताली बजाने वाले देशभक्तों के अतिरिक्त सबका अंधकारमय है इसलिए आज के सन्दर्भ में ही बता.

बोला- सबसे बड़े हितैषी मोदी जी हैं और पंजाब के किसान तथा हिन्दू लड़कियां सबसे बड़ी मूर्ख.




हमने पूछा- कैसे ?

बोला- वे सबके मन की बात समझते हैं. लोग भले ही उनकी व्यस्तता और भलमनसाहत के कारण कुछ निवेदन नहीं करते लेकिन वे किसी न किसी तरह सब की आवश्यकता, इच्छा और भले के बारे में समझ जाते हैं. लोग मना करते रहते हैं तो भी वे उनका भला करके ही मानते हैं. जब तक भला नहीं कर देते तब तक न खुद चैन लेते हैं और न ही सामने वाले को चैन लेने देते हैं.

हमने कहा- मलतब सच्चे बालचर हैं, स्काउट. 

बोला- कैसे ?

हमने कहा- आजकल तो खैर, स्काउटों की गतिविधियाँ परिंडे बाँधते हुए फोटो छपवाने के अलावा कुछ रह नहीं गई हैं लेकिन आज़ादी के तत्काल बाद जब स्कूलों में स्काउटिंग शुरू हुई थी तब बच्चे परोपकार को बहुत गंभीरता से लेते थे. एक दिन स्काउट मास्टर ने बताया- रोज भलाई का एक काम किया करो. बच्चों को भलाई-बुराई का भी पता नहीं हुआ करता था. मास्टर ने बताया जैसे किसी बूढ़े, विकलांग को सड़क पार करवाना  आदि. 

दूसरे दिन एक बच्चा देर से स्कूल आया. मास्टर ने देर का कारण पूछा तो बच्चा बोला- सर, भलाई का काम कर रहा था. एक बूढ़े आदमी को सड़क पार करवा रहा था.
मास्टर ने कहा-लेकिन सड़क पर करवाने में इतनी देर थोड़े लगती है ! बच्चे ने कहा- लेकिन सर, वह बूढ़ा सड़क पार करना ही नहीं चाहता था. बड़ी मुश्किल से ज़बरदस्ती पार करवाई. 

तो ऐसा होता है सबसे बड़ा हितैषी.

बोला- सही पकड़े हैं. 

हमने कहा- गंभीर बातों को 'भाभीजी घर पर हैं' सीरियल की तरह मज़ाक में मत उड़ाया कर. अच्छा अब सबसे मूर्ख वर्ग की भी व्याख्या कर दे.

बोला- हिन्दू लड़कियां सबसे मूर्ख होती हैं. वे चाहे डाक्टर, इंजीयर, मंत्री, वैज्ञानिक, लेखक, कलाकार कुछ भी बन जाएं लेकिन उनमें कभी भी अपने लिए उचित वर चुनने की अक्ल नहीं आ सकती. वे चालाक मुस्लिम लड़कों के चक्कर में फंस जाती हैं जो  ज़बरदस्ती उनका धर्म परिवर्तन करवा कर अधिक से अधिक मुसलमान बच्चे पैदा करते हैं और राष्ट्र के जनसंख्या संतुलन को दुष्प्रभावित करते हैं. 

हमने कहा- तो क्या सिकंदर बख्त, एम.जे.अकबर, शाहनवाज़ हुसैन और मुख्तार अब्बास नक़वी के शादी करने वाली लड़कियां मूर्ख थीं ?

बोला- नहीं वे मूर्ख नहीं थीं क्योंकि उन्होंने देश भक्त मुसलमानों से शादी की थी या फिर अपने प्रभाव से उन्हें देशभक्त बना दिया. 

हमने कहा- अच्छा है, अब सरकार उनको संकट से बचाने के लिए 'लव जिहाद' विरोधी कानून ले आई है.  हाँ, अब यह भी बता दे कि पंजाब के किसान सबसे मूर्ख कैसे हैं ?

बोला- जो अपना भला-बुरा भी नहीं समझता वह मूर्ख नहीं तो और क्या है ? 

हमने कहा- यह तो वही बात हो गई कि एक मरीज को डाक्टर ने मृत बताकर मोर्चरी में ले जाने के लिए कह दिया. रास्ते में वह स्ट्रेचर पर उठ बैठा और पूछने लगा- मुझे कहाँ ले जा रहे हो ?

कर्मचारी ने कहा- मुर्दा घर.

-क्यों ?

-क्योंकि तुम मर गए हो.

-लेकिन मैं तो जिंदा हूँ.

कर्मचारी ने उसे ज़बरदस्ती लिटाते हुए कहा- डाक्टर वह है या तू ?

 तो किसानों को समझ लेना चाहिए कि प्रधान सेवक मोदी जी हैं, सेवा और हित करने की ज़िम्मेदारी उनकी है. अपना हित चुपचाप नहीं करवाएंगे तो ज़बरदस्ती करना पड़ेगा लेकिन किया ज़रूर जाएगा. 













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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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