Dec 19, 2020

पीछे से ध्यान रखना


 पीछे से ध्यान रखना 


आज तोताराम ने आते ही कहा- मास्टर, मैं दिल्ली जाना चाहता हूँ. 

हमने कहा- दिल्ली क्या यहीं मंडी के कोने के पास जयपुर रोड़ पर है जो गया और  आया. दिल्ली बहुत दूर है. औलिया ने भी यही कहा था- 'हनूज दिल्ली दूर अस्त' , हालाँकि सन्दर्भ दूसरा था. फिर भी तेरे जैसे अतिसामान्य आदमी के लिए दिल्ली तो दिल्ली, जयपुर ही बहुत दूर है. राजधानियां चतुर और जुगाडू तथा सेवा का धंधा करने वालों के लिए होती हैं जहां सेंट्रली हीटेड कमरों से, दिल्ली बोर्डर पर अपनी फ़रियाद लेकर खुले में पड़े, बरगलाए गए खालिस्तानी तथाकथित किसानों के हित में ज़ारी तीन अध्यादेशों के भावार्थ समझाने के लिए बयान ज़ारी किये जाते हैं.

वैसे यदि ठण्ड से ही मरने का इरादा है तो अपने यहाँ भी रात को 'शीतमान' .५ डिग्री चल रहा है. यहीं रात को चौक में सो जा सवेरे बिना बंदूक के ही बाबा राम सिंह हुआ मिलेगा. 


 






बोला- आज मोदी जी ने अपने स्पष्टीकरण में बताया है कि यह किसान हितैषी कानून अटल जी के समय से ही पिछले २०-२२ वर्षों से विचाराधीन पड़ा हुआ था. किसी ने इसको लागू करने का कष्ट ही नहीं किया. कहीं कूड़े में पड़ा था. अब मोदी जी ने उसकी धूल झाड़-पोंछकर किसान हित में लागू किया है. यह कानून किसानों की ज़िन्दगी ही बदल देगा. सब किसानों की पौ-बारह हो जाएगी. हो जाएगी बल्ले-बल्ले. 

अब विरोधी दल परेशान हैं कि मोदी जी को इस बिल का श्रेय मिल जाएगा. इसलिए किसानों को बरगला कर इस बिल को लागू नहीं होने देना चाहते. लेकिन मोदी जी भी किसान हित के लिए प्रतिबद्ध हैं. कुछ भी हो जाए. पंचों का कहा सिर माथे, पर नाला यहीं गिरेगा. कानूनों में कोई बदलाव नहीं होगा. किसानों के हित का प्रण जो किया है. प्राण जाय पर वचन न जाई. 

हमने पूछा- ठीक है. मोदी जी किसानों का हित कर रहे हैं. कानून वापिस नहीं लेंगे. लेकिन तू वहाँ जाकर क्या करेगा ?

बोला- किसानों को समझाऊँगा. 

हमने कहा- रवि शंकर प्रसाद, राजनाथ सिंह, प्रकाश जावडेकर, नरेन्द्र सिंह तोमर जैसे मनीषी तक नहीं समझा सके तो तू ही क्या कर लेगा. मूरख हृदय न चेत जो गुरु मिले विरंचि सम. 

बोला- हो सकता है मुझ जैसे अनुभवी अध्यापक और गैरराजनीतिक व्यक्ति के समझाने से वे समझ जाएं. 

हमने कहा- तो फिर चला जा. साथ में कम्बल, टोपा, काढ़ा ले जाना. और देख वहाँ नहाने की कोई ज़रूरत नहीं है. मास्क लगाकर रखना. कैसा भी वी आई पी हो, दो गज की दूरी बनाकर रखना. आजकल कोरोना तबलीगियों से ज्यादा, दिल्ली से लेकर फ़्रांस के मेक्रों तक राष्ट्रवादी नेताओं को ही ज्यादा हो रहा है.

बोला- वह तो मैं सब पथ्य-परहेज रख लूंगा लेकिन तू मेरे पीछे से घर का ध्यान रखना.

हमने कहा- घर को क्या खतरा है. तेरे पास चार बर्तनों और गूदड़ों के अलावा और रखा ही क्या है ? और फिर अब तो देश में सुशासन चल रहा है.  

बोला- एक रजाई भी डेढ़-दो हजार की बनती है. जैसा सुशासन है वह तू भी जानता है. राज किसी का भी हो न तो बलात्कार कम होते हैं और न ही कोई चोर पकड़ा जाता है. मोदी जी की भतीजी के मोबाइल की बरामदगी या आज़म खान की भैंसों की बात और है.

सुना है, विश्व हिन्दू परिषद् के स्वयं सेवक १५ जनवरी २०२१ से १५ फरवरी २०२१ तक ११ करोड़ परिवारों के ५० करोड़ लोगों से चंदा इकट्ठा करने के लिए अढाई लाख गांवों में  जाएंगे. साथ ही गांवों के मंदिरों का सर्वेक्षण करेंगे, हर गाँव में जहां भी राम मंदिर नहीं है वहाँ राम मंदिर की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करेंगे. विकास को लाइन के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचना चाहिए. सबका साथ, सबका विकास. 

हमने कहा- तो चिंता की क्या बात है ? जो तेरी श्रद्धा हो, मैना से कह जाना, वह दे देगी. 

बोला- बात दो-पाँच रुपए की नहीं है. किसे पता, इन राम भक्तों के बहाने कोई चोर-उचक्का घर में घुसकर कुछ उठा ले जाए. किसी के माथे पर थोड़े ही लिखा है कि यह सच्चा राम भक्त है. भगवा पहनने वाले कई तथाकथित भगवान जेलों में नहीं पड़े हैं ? यह तक भी हो सकता है कि एक भक्त चंदा लेकर जाये और तभी दूसरा आए और कहे चन्दा दो, तो ? 

हमने कहा- कह देना, कल दे दिया मंदिर निर्माण के लिए.

बोला- और जब वह कहेगा कि कोई बात नहीं, उसे निर्माण के लिए दे दिया तो मुझे मंदिर की मरम्मत के लिए दे दो. आज नहीं तो कल मंदिर की मरम्मत भी तो करवानी ही पड़ेगी. बहुत मुश्किल है इनसे बचना. यदि तू मेरे पीछे से ध्यान रखने की गारंटी नहीं दे सकता तो मैं दिल्ली नहीं जाऊँगा. 

हमने कहा- यही ठीक रहेगा. निश्चिन्त रह मोदी जी कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेंगे. जब नोट बंदी से ही कुछ नुकसान नहीं हुआ तो यह भी निबट जाएगा. बात से नहीं तो लात से. 

मोदी है तो मुमकिन है. 

 


 

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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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