Dec 7, 2020

तोताराम का नाम परिवर्तन

तोताराम का नाम परिवर्तन 

आज दिल्ली के किसान आन्दोलन की गरमाहट हमारे सीकर तक आ पहुंची. परिणामस्वरूप 'शीतमान' तीन डिग्री 'तापमान' की तरफ झुक गया. सुबह में ठिठुरन नहीं थी. तोताराम भी थोड़ा देर से आया. हम चाय पी चुके थे. 

वैसे सामान्य रूप से हमारा नाश्ते का समय नहीं हुआ. लेकिन बहू ने मूली के पराँठे बनाए; बोली- पिताजी, गरम-गरम ही खा लें. बाद में मज़ा नहीं आएगा. सो जैसे ही परांठे का एक कौर तोड़ा तो तोताराम ने व्यवधान डाल दिया, बोला-  मोदी जी को पंजाब के देशद्रोही किसान चैन नहीं लेने दे रहे हैं और तुझे सुबह-सुबह चटखारे सूझ रहे हैं. 

हमने कहा- यह कोई ३० हजार रुपए का हिमालय में होने वाला मोदी जी का प्रिय मशरूम थोड़े ही है. सबसे सस्ती सब्जी मूली के परांठे ही तो हैं.

हमने बहू को आवाज़ दी- बेटा, एक पराँठा सौभाग्य सिंह जी के लिए भी लाना.

तोताराम ने इधर-उधर झांकते हुए पूछा- क्या कोई मेहमान आया हुआ है ? 

हमने कहा- तेरे अलावा यहाँ आने की हिम्मत किसकी है ? यह सौभाग्य सिंह नाम तो हमने तेरा रख दिया है.

बोला- इससे क्या होगा ?

हमने कहा- हमें पता नहीं. यह तो योगी जी ही बता सकते हैं जिन्होंने फ़ैजाबाद का नाम अयोध्या और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज रख दिया है और अब जीत गए तो हैदराबाद के लोगों का भाग्य जगाने के लिए उसका नाम 'भाग्यनगर' रखने जा रहे हैं. हाँ, तेरे नाम में हमारा एक स्वार्थ ज़रूर है. 

बोला- मेरे नाम में तेरा क्या स्वार्थ हो सकता है ?

हमने कहा- पहले इस नई शताब्दी के शुरू में जब हम अपने प्रिय अखबार में कालम लिखा करते थे तो एक आलेख के एक सौ रुपए मिला करते थे. इसके बाद से जब हमने  तेरे साथ संवाद के रूप में आलेख लिखना शुरू किया तो एक ही झटके में  ५०% की कटौती कर दी गई. यह तेरे नाम का दुष्प्रभाव नहीं तो और क्या है ? अब तेरी जगह 'सौभाग्य सिंह' के साथ संवाद करते हुए आलेख लिख कर भेजते हैं. यदि पेमेंट में कुछ सुधार हुआ तो तेरा नाम 'सौभाग्य सिंह' स्थायी कर देंगे. 

बोला- तो फिर मेरा नाम मुकेश अम्बानी रख दे. क्या पता, तेरे नहीं तो मेरे दिन ही फिर जाएं.  और जहां तक आलेख की बात है तो पारिश्रमिक नाम से नहीं आलेख की गुणवत्ता के अनुसार मिलता है. 

हमने कहा- और तू भी अपने बारे में सुन ले. तेरा नाम मुकेश अम्बानी रखने पर भी मोदी जी तुझसे गले मिलने वाले नहीं हैं.  वे भी दाम वाले या दम वाले से मिलते हैं फिर चाहे वह 'शी जिन पिंग' हो या ट्रंप. 

बोला- कहीं इसमें 'शी' का तो कोई रोल नहीं है.

हमने कहा- चुप, मोदी जी को ऐसी बातें पसंद नहीं. ट्रंप की बात और है. 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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