Dec 8, 2020

कुत्ता-क्रीड़ा

कुत्ता-क्रीड़ा


भेड़िये का वंशज आज का कुत्ता मनुष्य का सबसे पुराना साथी है. पत्नी और दोस्त साथ छोड़ दें लेकिन कुत्ता साथ नहीं छोड़ता. युधिष्ठिर के साथ चले चारों भाई और द्रौपदी सब बिछड़ गए लेकिन कुत्ता अंत तक उनके साथ रहा. कहते हैं वह कुत्ता धर्मराज था. धर्म की ऐसी दुर्गति भारत जैसे धर्म-प्रधान देश में ही देखने को मिल सकती है. राजा के साथ रहने के लिए देवता को भी कुत्ता बन जाना पड़ता है. पता नहीं, हर समय राजा के साथ बने रहने वाले मंत्रियों की क्या दुर्दशा होती होगी. हमें तो राजा के निकट रहने का अवसर कभी नहीं मिला. तब इसे दुर्भाग्य मानते थे. अब लगता है, मरना तो मंत्री ही क्या, राजा को भी पड़ता है तो फिर इस 'कुत्तापन' से क्या फायदा. भगवान ने उस भारत भूमि में जन्म दिया है जहां जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते हैं तो फिर क्यों कुत्ता बनें. 

सुनते हैं अमरीका के सभी राष्ट्रपति प्रायः कुत्ता बिल्ली रखते ही हैं. बुश जूनियर की बिल्ली का नाम 'इण्डिया' था. कुछ देशभक्त भारतीयों ने इसे देश का अपमान समझकर एक-दो ने अपने शौचालय का नाम 'व्हाईट हाउस' रख लिया. हालांकि उस बिल्ली का नाम बेसबाल के प्रसिद्ध खिलाड़ी अल इन्डियो के नाम पर रखा गया था. लेकिन आस्था का धंधा करने वालों को इतना सोचने का समय कहाँ ? आस्था का धंधा सोच-विचार से नहीं होता. वह तो होश खोकर ही होता है. 

अमरीका में ट्रंप ही शायद ऐसे राष्ट्रपति हुए हैं जिन्होंने कुत्ते-बिल्ली नहीं पाले. प्रेमिकाएं पटाने से ही फुर्सत नहीं मिली. और फिर कुत्ते-बिल्ली रखने की ज़रूरत ही क्या है, जब वे अपने मातहतों और विरोधियों को कुत्तों की तरह डांटने का साहस रखते हैं.

इस मामले में अपने मोदी जी भी का काम भी साफ़ सुथरा है. न कुत्ते पालते और न ही बिल्लियाँ. कभी मन हुआ तो मोर को दाना दे दिया. जब किसी को पाल लिया जाता है तो बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है. दुनिया घूमना तो दूर, दो दिन के लिए भी कहीं जाओ तो किसी जिम्मेदार आदमी को काम सौंपना पड़ता है. होने कोट को तो अमरीका की तर्ज़ पर यहाँ भी कुत्तों के होस्टल शुरू हो गए हैं लेकिन हर किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता. वैसे भी देश सेवा करने वाले को ये झंझट नहीं पालने चाहियें.   

जब हम किसी को पाल लेते हैं तो चाहे वह कुत्ता ही क्यों न हो, केवल रोटी का टुकड़ा फेंक देने से ही काम नहीं चलता. उसकी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक सभी प्रकार की ज़रूरतों का ध्यान रखना पड़ता है. यदि साहित्यिक रुचि का हुआ तो उसके लिए हास्य कवि गोष्ठी तक का प्रबंध करना पड़ता है.

अमरीका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति बेडेन ठहरे गंभीर व्यक्ति. ट्रंप साहब की तरह मजाक-मसखरी करके तो समय बिता नहीं सकते. दूसरी पत्नी भी पहली के निधन के बाद रखनी पड़ी. उसी के साथ ईमानदारी से पिछले ३३ वर्षों से शांति से निभा रहे हैं. अब कुत्तों के साथ न खेलेंगे तो क्या किसी मॉडल से मन बहलाएँगे ?  

जैसे ही तोताराम आया हमने कहा- तोताराम, आदमी को अपनी उम्र के हिसाब से खेल और शौक पालने चाहियें. अब खा बैठे ना मोच. 

बोला- कौन ? 

हमने कहा- और कौन ? बेडेन साहब. 

ट्रंप की बात और है. वे तो वैसे भी युवा हैं. और १ अक्तूबर को कोरोना से संक्रमित होने के बाद एक प्रयोगात्मक एंटीबाडी दवा के मिश्रण से उपचार के बाद खुद को स्वस्थ घोषित कर दिया. अब कह रहे हैं कि मुझे सुपर मैन की तरह महसूस हो रहा है. अब मुझमें रोग प्रतिरोधक क्षमता है और मैं नीचे आकर किसी को भी चूम सकता हूँ. 

बोला- इसीलिए हमारे शास्त्रों में कहा गया है  

लायक ही सों कीजिए ब्याह बैर अरु प्रीत 
काटे  चाटे  श्वान  के  दुहूँ  भाँति  विपरीत  

अब शपथ ग्रहण क्या क्या मज़ा रह गया ? किसी के कंधे का सहारा लेकर लंगड़ाते हुए जाएंगे पोडियम पर. अगर खुदा न खास्ता 'मेजर' (कुत्ते का नाम) काट लेता तो चौदह इंजेक्शन लगते. 

पाल ही लिया है तो कोई बात नहीं. अब उसके साथ खेलना, भागना दौड़ना उचित नहीं है. अब उन्हें यह सब करने की क्या ज़रूरत है. सैंकड़ों बड़े-बड़े अधिकारी उपलब्ध होंगे. कुत्ते-बिल्लियों की सेवा करने के विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि मक्खी-मच्छर उड़ाने वाले कमांडो तक मिलेंगे. 

Biden dog

हमने कहा- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आजकल के राजा होते हैं और राजा के पास हर समय कोई न कोई दुम हिलाने वाला होना बहुत ज़रूरी है. इसीसे उसे अपने राजा होने का अहसास होता रहता है.  कुत्ता इज मस्ट. 

बोला- उसके लिए कुत्ते पालने की क्या ज़रूरत है. अपने मंत्रीमंडल में सभी व्यक्तित्त्वहीन मंत्री रखो जो हर समय कुत्ते से भी अधिक दुम हिलाएं. आप जो कहो उसे ही दोहराते रहें. हरदम हाँ में हाँ मिलाएं. 

हमने कहा- लेकिन ऐसे हाँ में हाँ मिलाने वाले कुत्तेनुमा मंत्री बड़े खतरनाक होते हैं. कहीं ज़रा सा भी लालच मिला तो ये सबसे पहले खिसकने वाले होते हैं. कुत्ता तो फिर भी मालिक के लिए जान लड़ा देगा. 











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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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