Jan 27, 2022

गुरुमंत्र


गुरुमंत्र         

तोताराम ने आते ही अपने स्मार्ट फोन को खोलकर हमारी आँखों में लगभग घुसा ही दिया. बोला- ध्यान से देख ले. 

हमने कहा- थोड़ा दूर तो कर, इतनी नज़दीक से कैसे देखेंगे ?

तोताराम ने जैसे ही फोन थोड़ा दूर किया तो देखा मोदी जी योगी जी के कंधे पर हाथ रखे चले आ रहे हैं.

हमने कहा- मोदी जी योगी जी को कुछ समझा रहे हैं. 

बोला- बड़े-बूढ़े समय-समय पर समझाते तो ज़िन्दगी भर ही रहते हैं.जैसे एक बार अटलजी का मोदी जी को समझाते हुए फोटो छपा था जिसमें मोदी जी सिर झुकाए चुपचाप सुन रहे थे. लगता था जैसे बोलती बंद हो गई. शायद अटलजी 'राजधर्म' के बारे में समझा रहे थे. अब कितना समझ में आया या कितना निभाया यह तो दुनिया जानती है. लेकिन यह तो गुरु मन्त्र दिया जा रहा है- 'धुआंधार मन्त्र' .

हमने कहा- यह मन्त्र तो पुराना हो चुका. उसीके अंतर्गत इधर मोदी जी दिल्ली में नई योजनाओं की धुआंधार घोषणाओं से देश की साँस फुलाए हुए हैं तो उधर योगी जी जब चाहे जिसका नाम बदलकर लोगों को भ्रमित किये हुए हैं. आदमी सुबह घर से निकलता है अलीगढ़ से और जब शाम को लौटता है 'हरिगढ़' हुआ मिलता है.  अब इस नए गुरुमंत्र में क्या रोमांचक होने वाला है, पता नहीं. वैसे मन्त्र इस तरह खुले में नहीं दिया जाता. मन्त्र तो गुप्त रखने पर ही सफल होता है. तुलसी कहते हैं-

जोग जुगुति तप मन्त्र प्रभाऊ
फलइ तबहिं जब करिअ दुराऊ 

बोला- योगी जी और मोदी जी दोनों की फुल टाइम सेवक हैं. दोनों को ही सेवा के अलावा कोई काम नहीं है. चाहें तो २४x७  सेवा कर सकते हैं. यह तो इनकी मेहरबानी है जो दिन में मात्र १८ घंटे ही सेवा करते हैं. और फिर दोनों को ही कुछ छुपाने की आदत नहीं है. फकीर हैं किससे क्या छुपाना ! योगी जी ने खुद की ट्वीट करके जगजाहिर कर दिया है. मन्त्र है-

हम निकल पड़े हैं प्रण करके 
अपना तन मन अर्पण करके 
जिद है एक सूर्य उगाना है
अम्बर से ऊंचा जाना है
एक भारत नया बनाना है 

हमने कहा-  लगता है, अँधेरा कुछ ज्यादा ही है जो इस पुराने सूरज से और अयोध्या में लाखों दीये जलाकर भी मिट नहीं रहा है. खैर, तो गुरु-चेला नया भारत बनाने के लिए, नया सूरज उगाने के लिए अम्बर से ऊंचा कब जा रहे हैं ?  

तोताराम ने अपने फोन पर एक और फोटो दिखाते हुए कहा- शुभ काम में देर किस बात की. देख ले मोदी जी और योगी जी दोनों जा तो रहे हैं.  

हमने कहा- इतनी जल्दी ! फिर फरवरी २०२२ में उत्तरप्रदेश और अप्रैल २०२४ में लोकसभा के चुनावों का क्या होगा ? 

बोला- बना तो फिरता है कवि की दुम और व्यंजना इतनी सी भी नहीं समझता. अरे, यह नया भारत, एक अलग सूरज, अम्बर से ऊंचा जाना चुनाव जीतने के अतिरिक्त और क्या होता है ?  

हमने कहा- हो सकता है जब सब कुछ नया और अपने हिसाब से बना रहे हैं तो 'कमल' भी किसी और तरह का बना लेंगे.

बोला- और क्या ? अब कमल ऐसा बनेगा जो सूरज के उगने से नहीं खिलेगा बल्कि  जिसके खिलने से सूरज उगेगा.  

हमने कहा- बुरा न माने तो हमें इस 'अम्बर से ऊंचा जाना है' से एक पौराणिक किस्सा याद आ रहा है. कहे तो सुना दें. 

बोला- सुना ही दे. यदि मुझे नहीं सुनाएगा तो किसी और अनाड़ी को सुनाएगा. उसे समझ नहीं आएगा. उसकी आस्था को चोट लग जाएगी और वह तेरा सिर फोड़ देगा.  

हमने कहा- एक बार सम्पाती और उसका भाई जटायु जिद करके सूरज की और उड़ चले. जब गर्मी बढ़ी तो जटायु तो उतर आया लेकिन सम्पाती अभिमान के मारे उड़ता ही गया. ऐसे में उसके पंख जल गए और वह धरती पर आ गिरा. इसका रास्ता भी ऋषियों ने निकाला. जब रामावतार में वानर-भालू सीता की खोज में लंका जा रहे थे तो उनके दर्शन से उसके पंख फिर से उग आये. ऐसा हुआ तो पता नहीं, कितना इंतज़ार करना पड़े. 

बोला- कोई परवाह नहीं. अब तो 'राम' अपने कब्ज़े में हैं. अगर केजरीवाल बार बार अयोध्या जाएगा तो योगी जी उस पर मंदिर को अपवित्र करने और रामभक्तों की आस्था के खिलवाड़ करने के आरोप में यूएपीए लगा देंगे. 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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