Feb 1, 2022

आस्था की चम्पी ऽऽऽऽ


आस्था की चम्पी ऽऽऽऽ 


जैसे कोरोना के नए-नए वेरिएंट आ रहे हैं और दुनिया को डरा रहे हैं वैसे ही सेवक नए-नए वेश बनाकर, नए-नए  दल बनाकर जनता को मूर्ख बना रहे हैं, डरा रहे हैं. यही सोचते हुए हमने कहा- तोताराम, कूटनीति कहती है-

जोग जुगुति तप मंत्र प्रभाऊ। 

फलइ तबहिं जब करिअ दुराऊ॥ 

(योग, युक्ति, तप और मंत्रों का प्रभाव तभी फलीभूत होता है जब वे छिपाकर किए जाते हैं।)

ठीक है लेकिन जीवन में ऐसे व्यक्तियों से सामान्य जन को तनाव ही अधिक होता है. ऐसे व्यक्ति किसी से खुलकर नहीं मिलते. लोग भी उनसे शंकित होकर ही मिलते हैं. इसी सन्दर्भ में हमने देखा कि कुछ लोग कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं लेकिन उनमें लक्षण प्रकट नहीं होते. ऐसे लोग दूसरों में कोरोना अधिक फैलाते हैं. 

वास्तव में बड़ी दुष्ट बीमारी है. बहुत कुटिल है. कुछ पता ही नहीं चलता. कब किस रूप में नारायण मिल जाय. 

बोला- दुष्टों की तुलना नारायण से करके मेरी आस्था को चोट मत पहुंचा. भगवान ही किसी न किसी रूप में दुष्ट-दलन के लिए विधान बनाते हैं. तेरी इसी आशंका का इलाज़ मिल गया है. जापान के कुछ् शोधकर्ताओं ने शुतुरमुर्ग की एंटीबाडीज से एक ऐसा मास्क बनाया कि संक्रमित किन्तु बिना लक्षण वाले व्यक्ति की सांस से उसका मास्क चमकने लग जाएगा. 

हमने कहा-  वैसे हम तो कुछ लोगों की दाढ़ी और नाम से ही पहचान लेते हैं कि ये सुपर और साइलेंट स्प्रेडर हैं. लेकिन शेष दुनिया के लिए तो यह बहुत महंगा सौदा है. दुनिया में क्या इतने शुतुरमुर्ग हैं कि ऐसे करोड़ों मास्क उपलब्ध करवाए जा सकें ? 

बोला- इस दुनिया में शुतुरमुर्गों की क्या कमी है. मेरे ख्याल से तो दुनिया में शुतुरमुर्गों का ही बहुमत है.  अमरीका में आज भी कोरोना का टीका नहीं लगवाने वाले लोगों में ट्रंप की पार्टी के बहुमत वाले राज्यों के लोग ज्यादा हैं. जैसे लाइजोल के इंजेक्शन से कोरोना का इलाज सुझाने वाले उनके नेता वैसे ही उनके अनुयायी. हमारे देश में भी ताली-थाली से कोरोना का मुकाबला करने वाले नेता हैं कि नहीं ? भाभीजी पापड़ से इम्यूनिटी विकसित करने वाले वैज्ञानिक हैं या नहीं ? किसी काढ़े से कोरोना को भगाने वाले बाबा और उनके साथ मंच साझा करने वाले डॉक्टर मंत्री हैं कि नहीं ? ये सब शुतुरमुर्ग ही तो हैं.. शुतुरमुर्गियत एक पक्षी से संबंधित पदार्थ की बात ही नहीं है बल्कि एक इंसानी प्रवृत्ति भी है. किसी संकट के समय अतीत और आस्था की धूल में सिर छुपा लेना और क्या है ? 

हमने कहा- तोताराम, शुतुरमुर्गियत कोरोना के अप्रकट लक्षणों वाले मरीजों से बचने के लिए ही नहीं बल्कि और भी बहुत बीमरियों के इलाज के काम आती है.जब किसी भी समस्या का हल नहीं निकाल सको तो दे दो पिछली सरकारों को दोष या फिर किसी धर्म विशेष के सिर डाल दो आफत.

आ जा प्यारे पास हमारे, काहे घबराये

सभी दु.खों की एक दवा है

रेत में शीश घुसा ले. चम्पी ऽऽऽऽ 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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