Feb 21, 2022

सेवकों का सोनपुर मेला


सेवकों का सोनपुर मेला 


आज तोताराम ने आते ही कहा- सोनपुर चलने का मन है क्या ?

हमने कहा- न तो हमारे पास जनता के टेक्स के पैसे से फूँकने के लिए तेल है और न ही मोदी जी तरह सरकारी प्लेन. और न ही इस जाती ठण्ड में जुकाम और निमोनिया को निमंत्रण देने का साहस. हम कोई शाह साहब थोड़े हैं जो ज़रा सी छींक आते ही एम्स वाले कॉटेज वार्ड सजाकर बैठ जाएँ. पहले तो कोई भी डाक्टर दो-चार सौ रुपए कंसल्टेशन के धरवा लेगा और फिर दवाई वाला जेब काट लेगा सो अलग. यहीं ठीक हैं,आडवानी जी तरह बरामदा निर्देशक मंडल में. न कोई हालचाल पूछने वाला और न ही कोई डिस्टर्ब करने वाला. सोनपुर बिहार में है. अगर सोनपुर चलना भी होगा तो कार्तिक की पूनम को मेला लगता है तब चलेंगे.अभी तो बहुत दिन हैं. और फिर हमें कौन सोनपुर के पशु मेले में गाय-भैंस या गधे-घोड़े खरीदने हैं. हाँ, चुनाव के बाद जिन्हें हॉर्स ट्रेडिंग करनी है वे सोनपुर क्या, लखनऊ-दिल्ली कहीं भी कर लेंगे. वैसे भी जनसेवक घोड़े किसी सोनपुर की बजाय पांच सितारा होटल या रिसोर्ट में पाए जाते हैं.

बोला- मुझे भी पता है कि सोनपुर बिहार में है और वह मेला कार्तिक की पूनों को लगता है. लेकिन जहाँ जहाँ चुनाव  होता है वहाँ वहाँ बिना पूर्णिमा के ही पशु मेला भरने लगता है. आजकल उत्तर प्रदेश में सोनपुर का मेला चल रहा है. बिहार में तो मामला सुन्न है. हाँ, वहाँ की कैमूर वाली लोक गायिका लकड़ी नेहा राठौड़ ज़रूर धमाल मचाये हुए है.

हमने कहा- कलाकारों को राजनीति से दूर रहना चाहिए.

बोला-  वह राजनीति कहाँ कर रही है. वह तो लोक कवि और गायिका है. लोक के सुख-दुःख गा रही है. ठीक भी है सरकार का यश गान करने वाले चारण तो बहुत हैं लेकिन लोक के सुख-दुःख को वाणी तो लोक कलाकार ही देंगे ना. 

हमने कहा- लेकिन तू सोनपुर के पशु मेले से राजनीति को क्यों जोड़ रहा है ?

बोला- राजनीति भी एक सर्कस है. इसमें भी तरह तरह के तमाशे, रोमांच और अजूबे शामिल किये जाते हैं जैसे मेलों में पांच टांग की गाय, दो सिर वाला बच्चा आदि टिकट लेकर तम्बू में ले जाकर दिखाये जाते हैं वैसे ही यू पी के चुनावों को ध्यान में रखकर अजूबे जुटाए जा रहे हैं. 

हमने पूछा-कैसे ?

बोला- जैसे सपा ने सबसे लम्बे ८ फुट १ इंच के प्रतापगढ़ के धीरेन्द्र प्रताप सिंह को और इसी तरह भाजपा ने पहलवान खली को पार्टी में शामिल किया है. 

हमने कहा- पता नहीं, इससे पार्टियों को कौनसी वैचारिक दिशा और राजनीतिक व आर्थिक विशेषज्ञता प्राप्त होगी. 

बोला- मैंने तो पहले ही कह दिया कि ये सेवकों के सर्कस हैं जिनके लिए कहीं भी सोनपुर का मेला लग जाता है. 

हमने कहा- और क्या ? अपने सीकर में भी तो एक जैन साधु आये थे जिन्होंने अपने कार्यक्रम में भारत की सबसे ठिगनी महिला को बुलाया था, पता नहीं क्यों. इसी तरह मोदी जी ने ८०० किलो की गीता का उदघाटन किया था. इसी तरह सैंकड़ों मीटर लम्बे झंडे फहराकर कर पता नहीं कौनसा पुण्य और कौनसी प्रेरणा मिलती है ?राजनीति द्वारा फैलाए गए विखंडन और अर्थव्यवस्था द्वारा निर्मित असमानता को  'एकता की मूर्ति' और 'समानता की मूर्ति' कैसे कम करेंगी ?

कुछ वर्ष पहले तो जे एन यू के एक राष्ट्रवादी विद्वान ने अपने छात्रों को देश भक्ति की प्रेरणा दिलवाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में टेंक रखवाने की सिफारिश की थी. उनके अनुसार शायद नॅशनल कॉलेज, लाहौर में पढ़ते समय भगत सिंह को देश भक्ति की प्रेरणा वहाँ रखे किसी टैंक से ही मिली होगी.

बोला- फिर भी इन टोटकों और तमाशों से और कुछ नहीं तो मनोरंजन ही सही.

हमने कहा- तो फिर तोताराम तू भी इस चुनाव के मौसम में कहीं भी, किसी भी पार्टी में शामिल हो ही जा. मोदी जी की ५६ इंच की छाती के सामने मुकाबले में तेरी २८ इंच की छाती का चेलेंज और कुछ नहीं तो कुछ मनोरंजन तो कर ही देगा.   


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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