Feb 4, 2022

तोरा मन दर्पण कहलाये


तोरा मन दर्पण कहलाये   


वैसे तो किसी को किसी भी जालसाजी के तहत कोई भी सम्मान दिया जा सकता है. कौन जानकारी करने जाता है ?और यदि कोई पकड़ा भी जाए तो बचने और कानूनी रूप से मुकरने के बहुत से रास्ते हैं. मोदी जी को भी तो कोई ऐसा ही फिलिप कोर्टल अवार्ड दिया ही गया था. कानपुर में भी कोई नकली डेली टेलेग्राफ़ पैदा हो गया था विकास के आंकड़े देने के लिए. 

फिर भी हम ठहरे मास्टर और वह भी हिंदी के. चिड़िया का दिल. कहाँ से ऐसी हिम्मत लायें ? सो नकली अवार्ड के नाम से ही पेट में ऐंठन होने लगी. स्वामी स्टेंस का महाप्रयाण दिखाई देने लगा. 

हमने कहा- तोताराम, कहीं तेरे इस तोता-मैना भारतरत्न सम्मान के चक्कर में ज़िन्दगी भर की कमाई गई प्रतिष्ठा और प्रामाणिकता का कचरा तो नहीं हो जाएगा ? 

बोला- जब हिन्दू महासभा के गोडसे-आप्टे भारत रत्न से लोकतंत्र और संविधान का कचरा नहीं हुआ, कालीचरण भारत रत्न और यती नर से सिंह होकर आनंद कर रहा है तो यदि कोई और भी कुछ ढंग का काम करेगा तो तेरी प्रमाणिकता को भी बचाने और बहाल करने के लिए सत्ता परोक्ष रूप से सहयोग अवश्य करेगी. हम चाहें तो इंदिरा और राजीव के हत्यारों को भी कोई सम्मान दे दें तो सरकार को कोई समस्या नहीं है.

हमने कहा- ऐसा करने से क्या दुनिया में भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की इमेज का क्या होगा ? 

बोला- आजकल मानवाधिकार का यही फैशन चल रहा है. अपने आप को दुनिया का सबसे धनवान लोकतंत्र कहने वाले अमरीका में भी तो यही सब हो रहा है ?

हमने जिज्ञासा की- तो क्या वहाँ भी लिंकन के हत्यारे जॉन विक्स बूथ, केनेडी के हत्यारे ली हार्वे ओसवाल्ड, मार्टिन लूथर किंग के हत्यारे जेम्स अर्ल रे और काले जोर्ज फ्लोयड के हत्यारे डेरिक चौविन को भी भारत रत्न जैसा कुछ सम्मान दिया जा रहा है ? 

बोला- आश्वासन तो दिया गया है. वहाँ भी तो देशभक्तों का एक चचा चौकीदार है डोनाल्ड ट्रंप.

हमने कहा- लेकिन अब वह तो राष्ट्रपति नहीं है.

बोला- तो क्या हुआ. अब भी बन्दा अमरीका को उसी तरह ग्रेट बनाने के पीछे पड़ा हुआ है जैसे अपने संत 'धर्म संसदों' के माध्यम से भारत को 'असहिष्णुता का विश्वगुरु' बनाने पर तुले हुए हैं.

हमने पूछा- गोडसे भक्तों और हिन्दू महासभा ग्वालियर के मुख्यालय का तो बाकायदा फोटो और समाचार आया है  लेकिन ट्रंप का तुझे कैसे पता ? 

बोला- आज का विश्वसनीय अखबार देख. जहां मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में हुई धर्म संसद में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने और मुसलमानों के कत्ले आम का सन्देश देने वाले नरसिंहानंद की रिहाई की मांग करने का समाचार छपा है उसके पास ही ट्रंप द्वारा कैपिटल हिल के दंगाइयों की रिहाई का वादा और उनकी जांच करने वाले दल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है. 

कल को वहाँ के हत्यारों और दंगाइयों को 'अमरीका रत्न' देते क्या देर लगेगी.   

हमने कहा- जैसे हमारे मोदी जी ने प्रज्ञा ठाकुर और धर्म संसद के दंगाइयों पर कोई एक्शन नहीं लिया.परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर को भी कुछ नहीं कहा.यह 'मौनं स्वीकृति लक्षणं' नहीं तो और क्या है ? 

बोला- लेकिन 'मन की बात' की तरह सच तो 'मन' ही होता है.  मन से क्षमा भी तो नहीं किया तो समझ ले क्षमा नहीं किय. 'तोरा मन दर्पण कहलाये'. 

हमने कहा- लेकिन एजेंडा तो बदस्तूर चालू है. बस, एजेंडा चलना चाहिए.महत्त्वपूर्ण व्यक्ति नहीं, एजेंडा महत्त्वपूर्ण होता है.

      



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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