आज भी हमने तोताराम को कोई मौका न देते हुए, सदन की कमान संभालते हुए कहा- बधाई हो तोताराम, आज चचा के वहाँ समता पर ममता वर्षण हो गया.
बोला- क्यों क्या हुआ ? क्या अमरीका में भी किसी रामानुजाचार्य की मूर्ति का लोकार्पण हुआ है ?
हमने कहा- जिस दुनिया को हम कट्टर और छोटे दिल की बताया करते थे उसने खुद को हमसे ज्यादा उदार और लोकतान्त्रिक सिद्ध कर दिया है. जिन मुसलमानों को हम कट्टर और देशद्रोही बताकर अपना चुनावी उल्लू सीधा कर रहे हैं उनके देशों में मंदिर बन रहे हैं. इस समय भारतेतर देशों में ३४ हिन्दू मंदिर निर्माणाधीन हैं जिन्हें सोमनाथ मंदिर के पारंपरिक वास्तुकार और शिल्पकार सोमपुरा सरनेम वाले लोग बना रहे हैं.
और यहाँ हम चर्चों और मस्जिदों की राजनीति कर रहे हैं. खुले में जमाज़ पढ़ने और बच्चियों को हिजाब के नाम पर घेर रहे हैं.बुल्ली सुल्ली कर रहे हैं. गाँधी अमरीका कभी नहीं गए लेकिन दुनिया के किसी भी देश से अधिक गाँधी की मूर्तियाँ अमरीका में हैं. वहाँ के दलित वंचित उन्हें अपने गुरु मार्टिन लूथर किंग का आदर्श मानते हैं. आज भी 'हाउ डी मोदी' के बावजूद अमरीकी भारत को बुद्ध, गाँधी और नेहरू का देश ही मानते हैं.
बोला- भारत सरकार की तरह महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे से भटकाने के लिए नेहरू-सुभाष और हिन्दू-मुस्लिम मत कर. बात तो समता की चल रही थी.
हमने कहा- चचा मतलब ट्रंप के भक्तों द्वारा केलिफोर्निया और मैनहट्टन में गाँधी की मूर्तियों से छेड़छाड़ करके अमरीका को फिर से ग्रेट बनाने का, समता-ममता का शुभारम्भ हो गया है.
बोला- कुछ भी हो, भारत अमरीका से तो बेहतर है. यहाँ गाँधी की कोई मूर्ति तो नहीं तोड़ी गई.
हमने कहा- वहाँ तो मूर्ति का मुंडन ही हुआ है हम तो महिमामंडन के बहाने ही मुंडी उतार लेते हैं.
बोला- क्या मतलब ?
हमने कहा-गाँधी ने अपने नाम पर कोई पंथ या स्मारक छोड़ने की बजाय खुद को 'अहिंसा' के नाम से याद करने की बात कही थी. गोडसे-आप्टे भारत रत्न सम्मान के नाम पर गाँधी को गाली देने वाले और मुसलमानों के कत्ले आम करने का मन्त्र देने वाले को महिमामंडित करके हम रोज गाँधी की हत्या करते हैं.
लोगों के मन में कितनी घृणा भरी हुई है !
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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