Feb 24, 2022

हमारे राम-कृष्ण : तुम्हारे राम-कृष्ण


हमारे राम-कृष्ण : तुम्हारे राम-कृष्ण 


हालाँकि आजकल कुछ भी हो जाए लेकिन वह ब्रेकिंग न्यूज या सनसनी नहीं बनता. मोदी जी बनारस में अब तक उपेक्षित पड़े विश्वनाथ को लाइम लाइट में लाने के लिए 'काशी कोरिडोर' का उदघाटन करने जाएँ तो लोग कोई नोटिस नहीं लेते. चर्चा करते हैं तो बस, उनके छह बार वस्त्र बदलने की करते हैं. अरे, वस्त्र बदलना कोई बड़ी बात है ? भारत में जन्म लेने वाली प्रत्येक महान आत्मा ८४ लाख वस्त्र बदलकर आई है. लेकिन आज तोताराम ने नीतीश बाबू उर्फ़ सुशासन बाबू के समाज सुधार यात्रा पर सासाराम पहुंचने का समाचार ऐसे दिया जैसे अहल्या की अनंत प्रतीक्षा के बाद राम चरणधूलि देने पधारे हों. बोला- नीतीश जी ने बड़ा ऐलान कर दिया है.

हमने कहा- बिहार में अभी ऐलानों की क्या ज़रूरत है ? अब ऐलानों की ज़रूरत तो उत्तर प्रदेश में है. फिर भी बता तो सही क्या ऐलान कर दिया ?

बोला- कहा है, शराब पीकर बिहार आना है या लाकर पीनी है तो मत आइये यहाँ. 

हमने कहा- इसका क्या मतलब हुआ ? 

बोला- असली मतलब तो वे या भगवान् जानें लेकिन इससे तो यही ध्वनि निकलती है कि बिहार में आने वाले को यह नहीं सोचना चाहिए कि बिहार में शराबबंदी है इसलिए वहाँ शराब नहीं मिलेगी. यहाँ आने का कार्यक्रम हो तो यह क्या कि अपनी टंकी फुल करके चलो या अपना पव्वा जेब में रखकर ले जाओ. अरे, आओ. बिहार में सब कुछ उपलब्ध है. बिहार में 'का नहीं बा', बिहार में सब बा.' 

हमने कहा- शराब बंदी भी है और सब कुछ उपलब्ध भी है. क्या मतलब ?

बोला- वही मतलब है जो गुजरात में शराबबंदी का है. 'राम' कहो तो सप्लायर 'रम' पहुंचा देगा और 'कृष्ण' कहो तो 'व्हिस्की'. चवन्नी मतलब पव्वा और अठन्नी मतलब अद्धा. भाई, जब बिहार में काम की चीजें उपलब्ध है तो क्यों अपने साथ दूसरे राज्य की शराब लाकर यहाँ के धंधे और यहाँ की अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठाने पर तुले हैं.

अपने राम और कृष्ण को अपने उत्तरप्रदेश में रखो. हमारे यहाँ तो कम से कम हमारे राम-कृष्ण को अपना धंधा करने दो. उचित धंधा उचित तरह से चले बिना राम-कृष्ण का काम कैसे चलेगा. तभी तो सपा के भूतपूर्व और  भाजपा के वर्तमान नरेश अग्रवाल ने कहा था- 

व्हिस्की में विष्णु बसें, रम में बसते राम.

हमने कहा- यह तो बहुत गलत बात है. यदि नरेश चन्द्र अग्रवाल जैसे बिना पेंदे के संत यह कहें तो समझो और भी गलत, शुद्ध व्यापारी कैलकुलेशन.

बोला- नशा धर्म और राजनीति दोनों के लिए ज़रूरी है फिर चाहे वह इंग्लिश का हो या देसी ठर्रे का. समाजवादी हो या राष्ट्रवादी.

हमने कहा- जैसे अजामिल ने पुकारा तो अपने बेटे नारायण का नाम लेकिन यमदूत इतने मूर्ख निकले कि उसे विष्णु भक्त समझकर स्वर्ग ले गए. हो सकता है कि बिहार में कोई पियक्कड़ संकेतात्मक मेसेज करे ठेकेदार को और हाज़िर हो जाएँ कृष्ण या राम और पूछें कहो- भक्त क्या कष्ट है ?

 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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