Feb 2, 2022

मास्टर को थैंक्स कहना


मास्टर को थैंक्स कहना  


परसों रात से ही बारिश हो रही है, बारिश भी क्या. बस यह समझो कि किसी भिखारी का किसी महाकंजूस से पाला पड़ गया हो. न धेला दे, न ही साफ़ मना करे. ठीक तीन कृषि कानूनों में नरेन्द्र तोमर की भूमिका की तरह. पहले से कोरोना और विकास की मारी अर्थव्यवस्था की तरह गड्ढेदार सड़कें कीचड़ से परिपूर्ण हो गई हैं. कभी भी दुर्घटना का कमल खिल सकता है. जिस तरह चुनाव जीतने के बाद सेवक गण अपने चहेतों के साथ फार्म हाउसों में तरह तरह के आभासी विमर्शों में व्यस्त हो जाते हैं वैसे ही हम भी धूप निकलने तक के लिए रजाई में घुसे बैठे हैं. अब यह तोताराम पर निर्भर है कि वह इस मौसमी वैतरणी को पार करके आता है या नहीं. यह उसका निजी मामला है जैसे मंत्री अपनी सुरक्षा के लिए तो कमांडो रख लें और जनता के लिए बसों में अपनी जान-माल की रक्षा स्वयं करने की सूचना लिखवा दे.  

तभी हमारा मोबाइल बजा. रसोई में छूट गया था. पत्नी ने उठाया, और तत्काल बोली- पता नहीं किसका फोन है. कह रहा है- मास्टर को थैंक्स कहना, मैं जिंदा लौट पाया. 

हमें भी बड़ा आश्चर्य हुआ. कल किसी को किसी खतरनाक अभियान पर भी विदा नहीं किया. फिर कौन अपने जिंदा लौट पाने का समाचार दे रहा है. फिर भी चलो किसी की भी जान बच गई, अच्छी बात है. 

हमने पत्नी से फोन लेकर कान से लगाया. फिर वही एक वाक्य-  मास्टर को थैंक्स कहना, मैं ज़िन्दा लौट पाया.    'मास्टर' संबोधन तो तोताराम वाला ही है. फिर भी लग रहा था जैसे कोई अपनी आवाज़ को ज़बरदस्ती भारी बनाकर बोल रहा है. 

हमने कहा- अच्छा है, आप जिंदा लौट पाए. भगवान को धन्यवाद दें. वैसे हमने तो आपके सुरक्षित घर लौटने की कोई माकूल सुरक्षा व्यवस्था नहीं की.  

बोला- की कैसे नहीं. गली के कुत्तों को जब-तब रोटी डाल देता है और वे मेरे जैसे भले लोगों का गली में निकलना  हराम कर देते हैं. 

अब तक हम तोताराम की आवाज़ को साफ़ पहचान चुके थे. कहा- हुआ क्या ? हम तो समझ रहे थे कि तू कीचड़ और बरसात के मारे नहीं आया लेकिन मुफ्त की चाय के लिए तू न आये यह हो नहीं सकता. मन की बात, बिजली और फोन के बिल की तरह ठीक समय पर आ जाता है. 

बोला- होना क्या था. तेरे घर के सामने वाली नाली का पानी ओवर फ्लो होकर रोड़ के गड्ढों पर भरा हुआ था तो मैंने दो प्लाट छोड़कर पीछे वाला रास्ता ले लिए. वहाँ एक कुतिया ने बच्चे दे रखे हैं. उसने मुझे दौड़ा दिया. गिरते-गिरते बचा. 

हमने कहा- जब कोई किसी की जान के लिए खतरा बनेगा तो वह उसका प्रतिरोध  करेगा ही. अब जब सरकार ने तीन कृषि कानूनों के द्वारा किसानों की फसलों के समर्थन मूल्य को ही खतरे में डाल दिया तो वे प्रतिरोध नहीं करते तो क्या करते ? 

बोला- तेरी गली की कुतिया में किसान कहाँ से आगये ?  

हमने कहा- तेरे साथ हुई इस घटना की तुलना मोदी जी के साथ पंजाब में हुई और सनसनी के रूप में फैलाई जा रही घटना से की जा सकती है. पंजाब में रैली और कुछ लोकार्पण-फोकार्पण जैसा करने के लिए जा रहे मोदी जी के काफिले ने अचानक रास्ता बदल लिया. और लालकिले पर झंडा फहराने वाले सन्नी देओल के संग फोटो वाले स्वयंसेवकों ने किसी योजना के तहत सड़क से थोड़ा दूर घेराव जैसा नाटक कर दिया.

लोग कहते हैं कि कुछ तो खराब मौसम, कुछ किसानों द्वारा रैली में जाने वाली बसों को रोकने से रैली में भीड़ न के बराबर थी ऐसे में मोदी जी ने फ्लॉप रैली करने से बेहतर लौट जाना ही समझा. 

हो सकता है, तू भी कीचड़-बरसात के चक्कर में घर से निकला ही नहीं हो और कुतिया के बहाने हमसे ठरक ले रहा हो. भले ही इस घटना से भाजपा को चुनावी फायदा हो या नहीं लेकिन आ जा, चाय के साथ तिल का लड्डू भी मिलेगा. 

बोला- फिर भी तुझे मेरी सुरक्षा व्यवस्था में हुई आपराधिक लापरवाही के लिए माफ़ी तो मांगनी ही चाहिए.

हमने कहा- दोनों ही एडवांटेज तुझे ही नहीं मिल सकते. चाय के साथ तिल लड्डू या माफ़ी. च्वाइस इज योअर्स. 

 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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