Feb 10, 2022

खोटे ग्रह जप दान


खोटे ग्रह जप दान 


आज आते ही तोताराम चुपचाप बैठ गया. कई देर हो गई. कमरे में मनहूसियत पसर गई. अंत में हमने ही मौन भंग किया, क्या बात है ? क्या दुश्मनों की तबीयत नासाज़ है ?

बोला- आजकल खुद की और दोस्तों की तबीयत नासाज़ है. दुश्मन तो चाहे देश के हों या मानवता के या समाज के, मज़े में हैं.

हमने पूछा- क्या बात है ? कोरोना से बच गया तो क्या अब ओमिक्रान का भय सता रहा है ?

बोला- इस उम्र में मौत का क्या भय. अब तो धन का भय ही सबसे चिंताजनक है. आज ही भविष्य पढ़ा है कि अगले दो महिनों में अनिष्ट की संभावना है. संकट मोचन का पाठ किया करें. शायद बचाव हो जाए. मतलब कि कोई बड़ा ही विकट निशाचरी संकट है जो हनुमान जी के भी वश का नहीं लगता.

हमने कहा- भविष्य तो हमारा भी कुछ ऐसे ही है, लिखता है- बहस और विवाद से बचें. चुप रहकर समय निकाल दें. 

बोला- मास्टर, इन बातों को एक साथ जोड़कर देखने से मुझे एक दुखद संयोग बनने और इस भविष्य के सच होने की संभावना लगती है.

हमने पूछा- कैसे ?

तो बोला- देख, अपने विश्वसनीय अखबार में पहले पेज पर ही खबर छपी है- अटल जी के जन्मदिन २५ दिसंबर २०२१ से दीनदयाल उपाध्याय के जन्म दिन ११ फरवरी २०२२ तक भाजपा राजस्थान में १ करोड़ लोगों से चंदा लेगी. भाजपा के स्वयंसेवक होते हैं. वे सेवा के लिए किसी से पूछते नहीं. अपने मन के अनुसार जब, जैसे,, जहाँ, जितनी सेवा उचित और आवश्यक होती है, कर देते हैं. ये बहुत उत्साही होते हैं और उत्साह में सबसे पहले आदमी कानून को हाथ में लेता है जैसे पंजाब में तथाकथित बेअदबी के खिलाफ लोगों ने तत्काल सज़ा-ए-मौत का फैसला सुना दिया और कार्यान्वित भी कर दिया. तेरा भविष्य भी ऐसा ही संकेत करता है.

हमने कहा- वैसे इसी समाचार में आगे प्रदेशाध्यक्ष का एक कथन भी छपा तो है- 'भाजपा सार्वजनिक जीवन में शुचिता, पारदर्शिता व ज़वाबदेही लाने के लिए कृतसंकल्प है'. इसका मतलब है कि शुचिता मतलब चंदा गलत काम के लिए नहीं है, पारदर्शिता मतलब कि कोई भी चंदे का हिसाब जान सकता है, ज़वाबदेही मतलब कि जिस काम के लिए चंदा लिया जा रहा है उसी के लिए खर्च किया जाएगा और जिस काम का संकल्प लिया है उसे पूरा करेंगे. 

बोला- वैसे अभी तक पीएम केयर्स का हिसाब तो नहीं दिया गया, राम मंदिर में भी कुछ ऐसा वैसा ही सुनने में आ रहा है. लेकिन जब दस आदमी देशभक्ति की ड्रेस में, तिलक लगाकर, 'करो या मरो' की मुद्रा में आयेंगे तो क्या करेंगे ?

हमने कहा- कह देना, हम तो सरकारी कर्मचारी रहे हैं, पेंशनभोगी हैं. न तो यह हमारे सर्विस रूल्स के हिसाब से उचित है कि राजनीति में भाग लें. और न ही हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी है.

बोला- वे कहेंगे क्या जनरल वी के सिंह सेना की नौकरी के बाद भाजपा में शामिल नहीं हुए ? राजनीति का असली मज़ा तो है ही रिटायर्मेंट के बाद. पहले डिफेन्स फंड में एक दिन का वेतन देते थे, अब एक दिन की पेंशन दे दो. 

हमने कहा- तो फिर डेढ़ महिने के लिए रोज किसी से बाहर से ताला लगवाकर चुपचाप अन्दर बैठे रहें. या घर के आगे बोर्ड लगा दें कि घर में सभी ओमीक्रोन से पीड़ित हैं.

बोला-जैसे नेता चुनाव में रैली करने से नहीं डरते वैसे ही स्वयंसेवक चंदा वसूली में किसी बाधा को नहीं मानते. यदि कहेंगे कि डिजिटली पार्टी के खाते में ट्रांसफर दो तब ?

हमने कहा- जब कोई भी उपाय नहीं है तो फिर दे देना चंदा. कवि ने भी तो कहा है-

बसे बुराई जासु तन ताही को सनमान

भलो भलो कहि छाँडिये खोटे ग्रह जप दान 

ऐसे में दे-दा कर जान और इज्ज़त दोनों बचाने में ही समझदारी है. जब दस सेवक स्वयं इकट्ठे होकर आयेंगे तो छीन कर भी तो ले जा सकते हैं.

बोला- तो कम से कम कितने में प्राण छूट जायेंगे ?

हमने कहा- ८०० करोड़ रुपए के प्लेन में बैठने वाले मोदी जी ने एक हजार रुपये दिए हैं. इस हिसाब से हम लिए तो पांच पैसे ही बहुत हैं. अढ़ाई तेरे, अढ़ाई हमारे.

बोला- लेकिन अब तो सरकार ने चवन्नी तक के सिक्के बंद कर दिए हैं. 

हमने कहा- लेकिन भाजपा की तो चवन्नी ही क्या, चमड़े का सिक्का चल रहा है. ले लेंगे, मुफ्त में सब चलता है. जब 'पीएम केयर' तक का हिसाब नहीं दिया तो यह तो पार्टी का चंदा है.  एकदम आतंरिक मामला.




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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