एक गंभीर वैश्विक समस्या
आज तोताराम कुछ दार्शनिक मूड में था | न चाय की माँग और न किसी की टाँग खिंचाई |सीधा-सीधा प्रश्न किया- इस विश्व की सबसे गंभीर समस्या क्या है ?
हमने कहा- इस विश्व का होना ही समस्या है | विश्व न होता तो जीव नहीं होता, जीव नहीं होता तो पेट नहीं होता, पेट नहीं होता तो भूख नहीं होती, भूख नहीं होती तो झगड़े नहीं होते | तब न आतंकवाद होता, न बंदूकें, न चाहे जहां धांय-धांय | न सुकाल की प्रार्थना,न दुकाल का डर | सब आराम से कहीं ठंडी छाया में बैठे गाने सुनते, मोबाइल पर बतियाते, सेल्फी लेते, ट्वीट करते, नए-नए कुरते जाकेट पहनते और मौज़ करते |
कहने लगा- जो है उसे कोई बदल नहीं सकता | इस दुनिया और पेट को मिटाना किसी के वश का नहीं | जो है उसकी बात कर |लेकिन ये बड़ी बातें तेरे वश की नहीं सो मैं ही बताए देता हूँ- विश्व की सबसे बड़ी समस्या है आयात-निर्यात का असंतुलन |
हमने कहा- असंतुलन तो रहेगा | बस, पक्ष का फर्क है | यह संतुलन हमेशा अमरीका,फ़्रांस,चीन, जर्मनी आदि के पक्ष में रहेगा और हमारे जैसे देशों के विपक्ष में |
बोला- नहीं समझा | मैं उस संतुलन की बात कर रहा हूँ जो हर व्यक्ति में होता है | व्यक्ति जो पेट में लेता है वह आयात और जो बाहर निकालता है वह निर्यात | जितना खाओ, उतना निकालो तो संतुलन ठीक रहता है | कम-ज्यादा हुआ तो गड़बड़ |
हमने कहा- छोड़ तोताराम, क्या वीभत्स-रस ले बैठा |
बोला- क्यों ? यदि यह रस इतना बुरा होता तो महानायक अमिताभ बच्चन क्या 'पीकू' फिल्म में काम करते और क्या राष्ट्रपति जी के लिए उसका विशेष शो होता ? मंत्रियों को 'म्यूजिकल चेयर' के खेल से फुर्सत नहीं मिलती इसलिए कोई उनसे ऐसी वैश्विक समस्या पर ध्यान देने की आशा भी नहीं करता लेकिन राष्ट्रपति जी के पास समय भी है, संवेदनशीलता और निश्चिन्तता भी |
हमने कहा- लेकिन यह वैश्विक समस्या कैसे है ?
कहने लगा- ऐसे है कि जिसके पास खाने को नहीं वह सोचता है कि व्यर्थ में ही शौचालय क्यों बनवा लिया | जिसके पास खाने को है और शौचालय भी वह इसलिए परेशान है कि आयात-निर्यात का असंतुलन क्यों है ? कुछ संतुलन को अपने पक्ष में रखना चाहते हैं कि आयात ही होता रहे निर्यात न करें |कुछ बिना आयात किए केवल निर्यात ही करना चाहते हैं |
-तो फिर इस चक्कर से मुक्ति कैसे हो ?
-सीधा सा उपाय है जो फिल्म 'पीकू' के अंत में बताया गया है- अमिताभ बच्चन गाँव में जाता है, साइकल चलाता है, जो मर्ज़ी आए खाता है और समस्या हल हो जाती है |
हमने कहा- लेकिन अंत में बात हमारे वाली ही सही ठहरती है कि इसके बाद नायक जिंदा कहाँ रहता है |
मतलब कि इस दुनिया को छोड़े बिना छुटकारा नहीं | यह समस्या जीते-जी पीछा नहीं छोड़ने वाली |
आज तोताराम कुछ दार्शनिक मूड में था | न चाय की माँग और न किसी की टाँग खिंचाई |सीधा-सीधा प्रश्न किया- इस विश्व की सबसे गंभीर समस्या क्या है ?
हमने कहा- इस विश्व का होना ही समस्या है | विश्व न होता तो जीव नहीं होता, जीव नहीं होता तो पेट नहीं होता, पेट नहीं होता तो भूख नहीं होती, भूख नहीं होती तो झगड़े नहीं होते | तब न आतंकवाद होता, न बंदूकें, न चाहे जहां धांय-धांय | न सुकाल की प्रार्थना,न दुकाल का डर | सब आराम से कहीं ठंडी छाया में बैठे गाने सुनते, मोबाइल पर बतियाते, सेल्फी लेते, ट्वीट करते, नए-नए कुरते जाकेट पहनते और मौज़ करते |
कहने लगा- जो है उसे कोई बदल नहीं सकता | इस दुनिया और पेट को मिटाना किसी के वश का नहीं | जो है उसकी बात कर |लेकिन ये बड़ी बातें तेरे वश की नहीं सो मैं ही बताए देता हूँ- विश्व की सबसे बड़ी समस्या है आयात-निर्यात का असंतुलन |
हमने कहा- असंतुलन तो रहेगा | बस, पक्ष का फर्क है | यह संतुलन हमेशा अमरीका,फ़्रांस,चीन, जर्मनी आदि के पक्ष में रहेगा और हमारे जैसे देशों के विपक्ष में |
बोला- नहीं समझा | मैं उस संतुलन की बात कर रहा हूँ जो हर व्यक्ति में होता है | व्यक्ति जो पेट में लेता है वह आयात और जो बाहर निकालता है वह निर्यात | जितना खाओ, उतना निकालो तो संतुलन ठीक रहता है | कम-ज्यादा हुआ तो गड़बड़ |
हमने कहा- छोड़ तोताराम, क्या वीभत्स-रस ले बैठा |
बोला- क्यों ? यदि यह रस इतना बुरा होता तो महानायक अमिताभ बच्चन क्या 'पीकू' फिल्म में काम करते और क्या राष्ट्रपति जी के लिए उसका विशेष शो होता ? मंत्रियों को 'म्यूजिकल चेयर' के खेल से फुर्सत नहीं मिलती इसलिए कोई उनसे ऐसी वैश्विक समस्या पर ध्यान देने की आशा भी नहीं करता लेकिन राष्ट्रपति जी के पास समय भी है, संवेदनशीलता और निश्चिन्तता भी |
हमने कहा- लेकिन यह वैश्विक समस्या कैसे है ?
कहने लगा- ऐसे है कि जिसके पास खाने को नहीं वह सोचता है कि व्यर्थ में ही शौचालय क्यों बनवा लिया | जिसके पास खाने को है और शौचालय भी वह इसलिए परेशान है कि आयात-निर्यात का असंतुलन क्यों है ? कुछ संतुलन को अपने पक्ष में रखना चाहते हैं कि आयात ही होता रहे निर्यात न करें |कुछ बिना आयात किए केवल निर्यात ही करना चाहते हैं |
-तो फिर इस चक्कर से मुक्ति कैसे हो ?
-सीधा सा उपाय है जो फिल्म 'पीकू' के अंत में बताया गया है- अमिताभ बच्चन गाँव में जाता है, साइकल चलाता है, जो मर्ज़ी आए खाता है और समस्या हल हो जाती है |
हमने कहा- लेकिन अंत में बात हमारे वाली ही सही ठहरती है कि इसके बाद नायक जिंदा कहाँ रहता है |
मतलब कि इस दुनिया को छोड़े बिना छुटकारा नहीं | यह समस्या जीते-जी पीछा नहीं छोड़ने वाली |
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