राष्ट्रगान में संशोधन
भारत सुधारों और संशोधनों का देश है | संविधान के तहत और चाहे कुछ भी नहीं हुआ हो लेकिन उसमें संशोधन पर्याप्त संख्या में हो गए हैं | इसी प्रकार जो संसद में नहीं पहुँच पाए वे समाज सुधारक बन जाते हैं | इन्हीं लोगों के कारण समाज की यह हालत होगई है | अब तो सुधार इस गति से होने लग गया है कि किसी के रोके नहीं रुक रहा है |
समाज को सुधारने के चक्कर में किसी ने 'राष्ट्रगान' की किसी ने सुध ही नहीं ली | यह तो भला हो एक वकील साहब का जिन्होंने राष्ट्रगान में से 'सिंध' को हटाकर 'कश्मीर' को शामिल करने की याचिका उच्चतम नयायालय में प्रस्तुत की है जिस पर फैसला अभी सुरक्षित है | अभी 'अधिनायक' की जगह 'मंगलमय' की बात भी उठ रही है वैसे भविष्य के कानूनी दाँव पेचों को देखते हुए तो इस फैसले को सुरक्षित ही रखा जाना चाहिए | चीन अरुणाचल को अपने नक़्शे में दिखाता है, किसी दिन दावा भी ठोंक देगा | पर हम तो जो हमारे पास है उसे ही नहीं सँभाल पा रहे हैं तो किसी का हड़पने का तो प्रश्न ही नहीं है |
पर हमारी चिंता दूसरी है कि 'सिंध' की जगह 'कश्मीर' करने से लय बिगड़ जाएगी | चूँकि राष्ट्रगान की धुन एक अंग्रेज ने बनाई है अतः उसमें परिवर्तन करने का अधिकार हमें नहीं है | हम तो स्पेलिंग में भी परिवर्तन नहीं कर सकते | अमरीका की बात और है जिसने अमरिकन इंग्लिश बना ली | विशाल भारत की हिन्दुत्त्ववादी धारणा हो तो सिंध ही क्या म्यांमार, भूटान, पाकिस्तान, लंका, तक स्वयमेव ही भारत में शामिल हो जाएँगे पर अब तो वह एक ऐतिहासिक बात मात्र है |
सिंध को हटाने से हमें हड़प्पा और मोहनजोदडो से भी वंचित होना पड़ेगा | कश्मीर को जब शामिल कर रहे हैं तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्र आदि ने क्या गुनाह किया है ? वैसे तो भारत का चित्र घोटालों, दंगों, गुंडों, दल-बदलुओं, घुसपैठियों आदि के बिना पूरा नहीं होगा किन्तु उन सब को शामिल कर लेने पर राष्ट्रगान अखंड रामायण की तरह चौबीस घंटे का हो जाएगा | जब हम ५२ सेकिंड के लिए भी राष्ट्रगान में सावधान खड़े नहीं रह सकते तो फिर २४ घंटे की कौन कहे ?
राष्ट्रगान में 'बंग' मुख्य है क्योंकि रवि बाबू बंगाली थे | सारा गान 'बंग' की तुक पर ही है | इसलिए 'बंग' को प्रमुखता देते हुए हमने राष्ट्रगान में संशोधन किया है | इस बारे में उच्चतम न्यायालय, वकील साहब एवं सामान्य जनता भी अपने सुझाव भेजने के लिए स्वतंत्र है |संशोधित राष्ट्रगान कुछ इस प्रकार है-
जन,गण,मन अधिनायक जय हे,भारत भाग्य विधाता |
पंजाब,असम,गुजरात, द्रविड,यू.पी.,बिहार औ' बंग |
कर्नाटक, कश्मीर, आंध्रा, राज, उड़ीसा संग |
छतीसगढ़, उत्तराँचल, मणिपुर, त्रिपुरा, नगा अभंग |
गोवा,सिक्किम झारखण्ड, दिल्ली, मेघालय रंग |
पांडी, चंडी, अंडमान, हरियाण, मराठ, दबंग |
मध्यप्रदेश, हिमाचल, केरल, तामिल मस्त मलंग
सबकी अपनी अपनी ढपली, सबका अपना चंग |
ऐसा सागर जिससे लहरें तोड़ रही हैं नाता |
भारत भाग्य विधाता | जय हे, जय हे, जय हे .........
भारत सुधारों और संशोधनों का देश है | संविधान के तहत और चाहे कुछ भी नहीं हुआ हो लेकिन उसमें संशोधन पर्याप्त संख्या में हो गए हैं | इसी प्रकार जो संसद में नहीं पहुँच पाए वे समाज सुधारक बन जाते हैं | इन्हीं लोगों के कारण समाज की यह हालत होगई है | अब तो सुधार इस गति से होने लग गया है कि किसी के रोके नहीं रुक रहा है |
समाज को सुधारने के चक्कर में किसी ने 'राष्ट्रगान' की किसी ने सुध ही नहीं ली | यह तो भला हो एक वकील साहब का जिन्होंने राष्ट्रगान में से 'सिंध' को हटाकर 'कश्मीर' को शामिल करने की याचिका उच्चतम नयायालय में प्रस्तुत की है जिस पर फैसला अभी सुरक्षित है | अभी 'अधिनायक' की जगह 'मंगलमय' की बात भी उठ रही है वैसे भविष्य के कानूनी दाँव पेचों को देखते हुए तो इस फैसले को सुरक्षित ही रखा जाना चाहिए | चीन अरुणाचल को अपने नक़्शे में दिखाता है, किसी दिन दावा भी ठोंक देगा | पर हम तो जो हमारे पास है उसे ही नहीं सँभाल पा रहे हैं तो किसी का हड़पने का तो प्रश्न ही नहीं है |
पर हमारी चिंता दूसरी है कि 'सिंध' की जगह 'कश्मीर' करने से लय बिगड़ जाएगी | चूँकि राष्ट्रगान की धुन एक अंग्रेज ने बनाई है अतः उसमें परिवर्तन करने का अधिकार हमें नहीं है | हम तो स्पेलिंग में भी परिवर्तन नहीं कर सकते | अमरीका की बात और है जिसने अमरिकन इंग्लिश बना ली | विशाल भारत की हिन्दुत्त्ववादी धारणा हो तो सिंध ही क्या म्यांमार, भूटान, पाकिस्तान, लंका, तक स्वयमेव ही भारत में शामिल हो जाएँगे पर अब तो वह एक ऐतिहासिक बात मात्र है |
सिंध को हटाने से हमें हड़प्पा और मोहनजोदडो से भी वंचित होना पड़ेगा | कश्मीर को जब शामिल कर रहे हैं तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्र आदि ने क्या गुनाह किया है ? वैसे तो भारत का चित्र घोटालों, दंगों, गुंडों, दल-बदलुओं, घुसपैठियों आदि के बिना पूरा नहीं होगा किन्तु उन सब को शामिल कर लेने पर राष्ट्रगान अखंड रामायण की तरह चौबीस घंटे का हो जाएगा | जब हम ५२ सेकिंड के लिए भी राष्ट्रगान में सावधान खड़े नहीं रह सकते तो फिर २४ घंटे की कौन कहे ?
राष्ट्रगान में 'बंग' मुख्य है क्योंकि रवि बाबू बंगाली थे | सारा गान 'बंग' की तुक पर ही है | इसलिए 'बंग' को प्रमुखता देते हुए हमने राष्ट्रगान में संशोधन किया है | इस बारे में उच्चतम न्यायालय, वकील साहब एवं सामान्य जनता भी अपने सुझाव भेजने के लिए स्वतंत्र है |संशोधित राष्ट्रगान कुछ इस प्रकार है-
जन,गण,मन अधिनायक जय हे,भारत भाग्य विधाता |
पंजाब,असम,गुजरात, द्रविड,यू.पी.,बिहार औ' बंग |
कर्नाटक, कश्मीर, आंध्रा, राज, उड़ीसा संग |
छतीसगढ़, उत्तराँचल, मणिपुर, त्रिपुरा, नगा अभंग |
गोवा,सिक्किम झारखण्ड, दिल्ली, मेघालय रंग |
पांडी, चंडी, अंडमान, हरियाण, मराठ, दबंग |
मध्यप्रदेश, हिमाचल, केरल, तामिल मस्त मलंग
सबकी अपनी अपनी ढपली, सबका अपना चंग |
ऐसा सागर जिससे लहरें तोड़ रही हैं नाता |
भारत भाग्य विधाता | जय हे, जय हे, जय हे .........
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