लेन देन में सावधानी
दो दिन पहले जब रेहड़ी वाले से दो किलो आम लिए तो हमारी जेब में पैसे नहीं थे | तोताराम से एक सौ रुपए उचंती लिए थे | आज जैसे ही आया तो हमने दस-दस के दस नोट उसे देते हुए कहा- ले भाई, परसों वाले तेरे एक सौ रुपए |
बोला- नहीं, देना है तो सौ का नोट दे | ये छोटे नोट लेना खतरे से खाली नहीं है | आज ही एक शोध का समाचार पढ़ा है कि छोटे नोटों के साथ चिपक कर कई तरह के बैक्टीरिया और कीटाणु आ जाते हैं |वैसे तो सौ का नोट भी आजकल कोई बड़ा नोट नहीं रहा गया है |फिर भी सावधानी ज़रूरी है |
हमने कहा- नशा,लम्पटता और राजनीति में गन्दा-साफ़ जैसा कुछ नहीं होता | देखा नहीं, वैसे भले ही नेता जात-पाँत, ऊँच-नीच की बात करते हों, विधर्मियों को धर्म बदलने या देश छोड़ने की बात करते हों लेकिन इनका वोट किसी को बुरा नहीं लगता | ऊपर-ऊपर बुराई करेंगे और अन्दर-अन्दर लुभाने की कोशिश करेंगे | किसी भी सुंदरी को देखकर धर्माधिकारियों और नेताओं की समान रूप से लार टपकने लग जाती है |कोई जाति-धर्म नहीं पूछता | नशे की तलब के समय कोई नहीं सोचता कि शराब कितनी गन्दगी से बनती है | एक ही बरतन में रिंद और वाइज़ चालू हो जाते हैं | तभी कहा है- मंदिर-मस्जिद बैर कराते, प्यार कराती मधुशाला |
वैसे ही लक्ष्मी के बारे में कहा गया है-
उत्तम विद्या लीजिए जदपि नीच पे होय |
पर्यो अपावन ठौर में कंचन तजे न कोय ||
बोला- ये सब छोटे लोगों की बात है | वे सीधे-सीधे ,छोटे-छोटे नोट लेते हैं या चवन्नी मात्र के लिए अपावन ठौर में उतर जाते हैं और तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं | नोटों के बारे में इस शोध में यह भी कहा गया है कि ऐसे नोट लेने से रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है | तभी बड़े बापुओं-संतों, नेताओं, बड़े अधिकारियों और बड़े सेठों को देख- कोई भी लक्ष्मी हो हाथ नहीं लगता | सब कहते हैं दान-पात्र में डाल दे, फलाँ व्यक्ति से मिल लो, अमुक जगह पहुंचा दो- कोई भी नोटों को हाथ नहीं लगाता | और छोटे नोटों को तो बिलकुल भी नहीं | अब दो हजार करोड़ की रिश्वत लेने-देने वाले क्या सारी उम्र नोट ही गिनते रहेंगे ? छोटे नोट गिनते रहे तो देश के विकास के लिए समय ही नहीं मिलेगा |मेरे ख्याल से तो अब एक-एक रुपए की बजाय एक-एक करोड़ के नोट छपने चाहिए | वैसे बड़े मामलों में न नोट चलते हैं और न आमने-सामने का लेन-देन | सीधे स्विस बैंक में जमा हो जाते हैं | कुछ उतावले लोग कैश में न लेकर, सुरा-सुंदरी के रूप में काइंड में लेकर स्टिंग ऑपरेशन का शिकार हो जाते हैं |कुछ मूर्ख हजार-दो हजार में ही फिसल जाते हैं |
साधारण लोगों में वैसे ही रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है और फिर ऊपर से छोटे-मोटे लोगों से छोटे,गंदे और फफूंद लगे नोट ले लेते है | बहुत कम ही ऐसे होते हैं जो इस समस्या का सामना सफलतापूर्वक कर पाते हैं अन्यथा तो अधिकतर को शीघ्र ही दस्त लगाने लग जाते हैं | सुरक्षित और सवाधानीपूर्वक लेन-देन करने वाले अरबों का लेन-देन कर लेते हैं लेकिन पता ही नहीं चलता | मल-मूत्र और बिसरे तक में कोई प्रमाण नहीं मिलता |
हमने पूछा- तो अब तुम्हारे दस-दस के इन दस नोटों का क्या करें ?
अपनी कमीज़ की ऊपर वाली जेब खोलते हुए बोला- हाथ नहीं लगाऊँगा, डाल दे इसमें |
No comments:
Post a Comment