तोताराम का धर्मपरिवर्तन
रविवार का दिन | भगवान की कृपा से गली का कीचड़ सूख चुका है |आने-जाने वाले रुक सकते या हम उन्हें रोक सकते हैं |पिछले हफ्ते की बाढ़ जैसी स्थिति नहीं है | आज बैठक देर तक जम सकती है लेकिन तोताराम नदारद |
कोई दस बजे | तोताराम अपना शादी वाला सूट ठांँसे, टाई और सिर पर एक अजीब सा हैट लगाए नमूदार हुआ | हमने सालम ठोकी- सर, गुड मोर्निंग | कहाँ चले ? चर्च ?
तोताराम हमारे पास आ बैठा, बोला- तुझे कैसे पता चला कि मैं चर्च जा रहा हूँ ?
हमने कहा- रविवार को तोताराम, सूट पहने और कहाँ जा सकता है ? हमारे यहाँ तो लोग मंदिर जाते हैं तो कोई नंगे पाँव, तो कोई मात्र धोती में, लगता है कोई भिखारी ड्यूटी पर जा रहा है | ये तो ईसाई हैं जो भगवान के दरवाजे बड़े मज़े से जाते हैं जैसे कोई वीक एंड पर दोस्त से मिलने जा रहा हो | भगवान भी खुश हो जाते होंगे |
बोला- मैं चर्च वैसे ही उत्सुकतावश नहीं जा रहा हूँ | मैंने एक फादर से बात कर ली है | मुझे ईसाई बनना है |
हमने पूछा- चर्च कौनसा है और तू कौनसा ईसाई बनेगा ?
बोला- इसमें भी चक्कर है क्या ? मैं तो समझा था कि यह सब अपने हिन्दू धर्म में ही है |
हमने कहा- भैया, जब सारे धर्म ईश्वर को एक बताते हैं और सभी मनुष्यों को उसकी संतान लेकिन कभी मिलकर नहीं बैठेंगे |सब धर्मों में छत्तीस फाँकें हैं | अपने-अपने हिसाब से सब तलवारें खींचे रहेंगे |जैसा भी है अपना धर्म है | सब घरों में मिट्टी के चूल्हे हैं | स्वर्ग कहीं नहीं है | सबके अपने-अपने सुख-दुःख हैं |कब्र का हाल मुर्दा ही जानता है | अगर धर्म बदलने से संकट कट जाते तो जो पहले से उस धर्म में हैं क्या उन्हें कोई कष्ट नहीं है ? अपना-अपना भाग्य है | जहां जाए भूखा, वहीं पड़े सूखा |और फिर ईसाई ही क्यों मुसलमान, सिक्ख,जैन,पारसी क्यों नहीं ?
बोला- मुसलमान बनने पर पता नहीं कोई क्या फतवा दे दे | कल को कोई यह भी फतवा दे सकता है कि मास्टर के साथ चाय पीना कुफ्र है तो क्या कर लूंगा ?और यदि सिक्ख बन गया तो पता नहीं कोई कार सेवा का फरमान कर दे तो गुरूद्वारे में जूते साफ़ करते-करते कमर टूट जाएगी |जैन ,पारसी पैसे वाली कौमें हैं वे मेरे जैसे गरीब को क्यों मिलाएँगी क्यों ? बौद्ध बनने पर बाबा अम्बेडकर को क्या एक्स्ट्रा मिल गया ? ईसाई धर्म में ऐसा कुछ नहीं और फिर अखबार में नाम-परिवर्तन की सूचना देने का झंझट भी नहीं | कागजों में धर्म बदल जाएगा नाम वही रहेगा जैसे-अजित जोगी, अम्बिका सोनी, वाई.एस.आर.रेड्डी आदि | जब जहां जैसा फायदा हो पहुँच जाओ |
हमने कहा-लेकिन तू धर्म बदल ही क्यों रहा है ?
बोला- बनियों के पास धंधा है और रहेगा |किसी भी देश-धर्म के राजा का राज हो,इनसे तो सब को काम रहता है |क्षत्रियों के पास अब भी पुरानी तलवारें हैं |हालत तो हम ब्राह्मणों की खराब है | सब पार्टियों ने समझ लिया कि पतिपरायणा भारतीय पत्नी की तरह ब्राह्मण जाएगा कहाँ ? भले ही भूखा मारो या मनुवादी कहकर बदनाम करो |जब कि मनु ब्राह्मण नहीं था |ईसाई बनने पर कम से कम पोते-पोतियों को पढ़ने के लिए कर्ज़ा तो मिल जाएगा जो ब्राह्मण होने पर कम आय होने पर भी कभी नहीं मिला |
हमने कहा- और उससे पहले किसी 'महाराज' या 'योगी' ने सभी मुसलमानों और ईसाइयों के साथ तुझे भी पकिस्तान या वेटिकन भेज दिया तो ?
बोला- वह कभी नहीं होना | यह सब तो पाँच साल तक टिके रहने के लिए ध्यान बटाने की शाश्वत कूटनीति है |
रविवार का दिन | भगवान की कृपा से गली का कीचड़ सूख चुका है |आने-जाने वाले रुक सकते या हम उन्हें रोक सकते हैं |पिछले हफ्ते की बाढ़ जैसी स्थिति नहीं है | आज बैठक देर तक जम सकती है लेकिन तोताराम नदारद |
कोई दस बजे | तोताराम अपना शादी वाला सूट ठांँसे, टाई और सिर पर एक अजीब सा हैट लगाए नमूदार हुआ | हमने सालम ठोकी- सर, गुड मोर्निंग | कहाँ चले ? चर्च ?
तोताराम हमारे पास आ बैठा, बोला- तुझे कैसे पता चला कि मैं चर्च जा रहा हूँ ?
हमने कहा- रविवार को तोताराम, सूट पहने और कहाँ जा सकता है ? हमारे यहाँ तो लोग मंदिर जाते हैं तो कोई नंगे पाँव, तो कोई मात्र धोती में, लगता है कोई भिखारी ड्यूटी पर जा रहा है | ये तो ईसाई हैं जो भगवान के दरवाजे बड़े मज़े से जाते हैं जैसे कोई वीक एंड पर दोस्त से मिलने जा रहा हो | भगवान भी खुश हो जाते होंगे |
बोला- मैं चर्च वैसे ही उत्सुकतावश नहीं जा रहा हूँ | मैंने एक फादर से बात कर ली है | मुझे ईसाई बनना है |
हमने पूछा- चर्च कौनसा है और तू कौनसा ईसाई बनेगा ?
बोला- इसमें भी चक्कर है क्या ? मैं तो समझा था कि यह सब अपने हिन्दू धर्म में ही है |
हमने कहा- भैया, जब सारे धर्म ईश्वर को एक बताते हैं और सभी मनुष्यों को उसकी संतान लेकिन कभी मिलकर नहीं बैठेंगे |सब धर्मों में छत्तीस फाँकें हैं | अपने-अपने हिसाब से सब तलवारें खींचे रहेंगे |जैसा भी है अपना धर्म है | सब घरों में मिट्टी के चूल्हे हैं | स्वर्ग कहीं नहीं है | सबके अपने-अपने सुख-दुःख हैं |कब्र का हाल मुर्दा ही जानता है | अगर धर्म बदलने से संकट कट जाते तो जो पहले से उस धर्म में हैं क्या उन्हें कोई कष्ट नहीं है ? अपना-अपना भाग्य है | जहां जाए भूखा, वहीं पड़े सूखा |और फिर ईसाई ही क्यों मुसलमान, सिक्ख,जैन,पारसी क्यों नहीं ?
बोला- मुसलमान बनने पर पता नहीं कोई क्या फतवा दे दे | कल को कोई यह भी फतवा दे सकता है कि मास्टर के साथ चाय पीना कुफ्र है तो क्या कर लूंगा ?और यदि सिक्ख बन गया तो पता नहीं कोई कार सेवा का फरमान कर दे तो गुरूद्वारे में जूते साफ़ करते-करते कमर टूट जाएगी |जैन ,पारसी पैसे वाली कौमें हैं वे मेरे जैसे गरीब को क्यों मिलाएँगी क्यों ? बौद्ध बनने पर बाबा अम्बेडकर को क्या एक्स्ट्रा मिल गया ? ईसाई धर्म में ऐसा कुछ नहीं और फिर अखबार में नाम-परिवर्तन की सूचना देने का झंझट भी नहीं | कागजों में धर्म बदल जाएगा नाम वही रहेगा जैसे-अजित जोगी, अम्बिका सोनी, वाई.एस.आर.रेड्डी आदि | जब जहां जैसा फायदा हो पहुँच जाओ |
हमने कहा-लेकिन तू धर्म बदल ही क्यों रहा है ?
बोला- बनियों के पास धंधा है और रहेगा |किसी भी देश-धर्म के राजा का राज हो,इनसे तो सब को काम रहता है |क्षत्रियों के पास अब भी पुरानी तलवारें हैं |हालत तो हम ब्राह्मणों की खराब है | सब पार्टियों ने समझ लिया कि पतिपरायणा भारतीय पत्नी की तरह ब्राह्मण जाएगा कहाँ ? भले ही भूखा मारो या मनुवादी कहकर बदनाम करो |जब कि मनु ब्राह्मण नहीं था |ईसाई बनने पर कम से कम पोते-पोतियों को पढ़ने के लिए कर्ज़ा तो मिल जाएगा जो ब्राह्मण होने पर कम आय होने पर भी कभी नहीं मिला |
हमने कहा- और उससे पहले किसी 'महाराज' या 'योगी' ने सभी मुसलमानों और ईसाइयों के साथ तुझे भी पकिस्तान या वेटिकन भेज दिया तो ?
बोला- वह कभी नहीं होना | यह सब तो पाँच साल तक टिके रहने के लिए ध्यान बटाने की शाश्वत कूटनीति है |
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