Jul 22, 2015

सेलेब्रिटी का संकट

  सेलेब्रिटी का संकट 

अभी रोज़र फेडरर और जोकोविच के फाइनल मैच के बाद सेलेब्रिटी की मानसिक स्थिति के बारे में अमिताभ बच्चन ने कहा- यह बहुत मुश्किल वक्त होता है जिसका सामना सेलेब्रिटी करता है | एक दिन अभूतपूर्व प्यार, सराहना और प्रशंसा और दूसरे ही दिन सब कुछ किसी और को चला जाता है |इस घटना क्रम को समझने के लिए बैल जैसी क्षमता, गैंडे जैसी खाल और शेर जैसी दहाड़ की ज़रूरत होती है |

अमिताभ एक सफल नायक रहे हैं और अब भी नायकों पर भारी पड़ते हैं |ज़रूर उनकी बात में कुछ सार तत्त्व तो होना ही चाहिए | थोथों को उड़ाकर सार-सार ग्रहण करने की क्षमता नहीं होती तो क्या अब तक बने रहते रजत-पट के चमकीले परदे पर ? लेकिन जब  कुछ पल्ले नहीं पड़ा तो तोताराम की शरण में जाना ही पड़ा |

पूछा तो बोला- देखो, जिस तरह से बैल सुबह से लेकर शाम तक निर्विरोध और शांत भाव से, इस बात की परवाह किए बिना कि तेल किसका और कितना निकल रहा है, कोल्हू के चारों और घूमता रहता है वैसे ही सफल व्यक्ति को लगातार काम करते रहना चाहिए | पहले-दूसरे नंबर  और सेलेब्रिटी-वेलेब्रिटी के चक्कर में पड़े बिना | फिर चाहे फिल्म 'कब्ज़' के थीम पर हो या 'मधुमेह' पर  | लोगों के कहने की परवाह नहीं करनी चाहिए |लोगों का क्या, लोगों काम है कहना | अपनी चमड़ी गेंडे की तरह मज़बूत रखो | जब मौका मिले तो बुज़ुर्ग कवि तरह अपनी कविता पेल दो फिर चाहे लोग अपने बाल नोंचते रहें | 

और कभी-कभी शेर की तरह दहाड़ भी देना चाहिए | क्या पता, आवाज़ का वोल्यूम ही काम दे जाए जैसे कि 'विरुद्ध' फिल्म में अमिताभ अचानक चिल्ला पड़ते हैं और हमलावर भाग जाते हैं |

हमने कहा-लेकिन सब तो महानायक की तरह नहीं ना होते | अब उनको तो उनके हिसाब से फ़िल्में मिल रही हैं | वे कहें कब्ज़ है तो कब्ज़ पर कहानी लिखी जाएगी जैसे 'पीकू' |  यदि उन्हें शुगर की तकलीफ है तो 'चीनी कम' तैयार है | अब तेरे मेरे लिए रोज चबूतरे पर चाय पीने पर क्या फिल्म बनेगी?

तोताराम बोला- ऐसी बात नहीं है | हम यहाँ जो चर्चा करते हैं वह सारे दुनिया-ज़हान का दुःख-सुख होता है | उसमें कोई दिखावा और राजनीति नहीं होती | वे किसी भी सेलेब्रिटी के ट्विटर से बढ़कर होते हैं |किसी फिल्म से कम नहीं होते |लेकिन किया क्या जाए-लीला करने का अधिकार तो भैया, सतयुग -कलयुग सबमें बड़ों को ही रहा है |गरीब की क्या कहानी |दो आरजू में और दो इंतज़ार में कट जाते हैं |कला या देश की सेवा करनेका मौका ही नहीं मिलता |

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