परोपकारी पुश अप्स
सीकर का मौसम चुनावी नेताओं जैसा हो रहा है |सुबह किसी को ललकारना, तो दोपहर को कड़ी चेतावनी, तो शाम को हार्दिक प्रसन्नता | दो दिन से ठण्ड फिर बढ़ गई है |सुबह सोचा एक झपकी और ले लें |थोड़ी ही देर बाद बरामदे से कई स्वर एक साथ आने शुरू हो गए- एक, दो, तीन |
अनखाते हुए उठकर बरामदे में गए |देखा- एक दुबली-पतली साँवली आकृति लंगोट लगाए हुए दंड लगा रही है |स्कूल की छुट्टी थी इसलिए चारों तरफ मोहल्ले के बच्चे इकट्ठे हो रहे थे और हर दंड पर गिनती गिन रहे थे- एक, दो, तीन |
पास जाकर देखा तो तोताराम दंड लगा रहा था |हमें गुस्सा आ गया |कहा- यह क्या तमाशा है ? व्यायाम करना है तो हमारे बरामदे यह मजमा लगाने की क्या ज़रूरत है | अपने घर पर लगाता दंड |यदि ठण्ड से मर गया तो बिना बात हमें फँसाएगा |
बोला- हमारे जवान देश के लिए कश्मीर की ठण्ड में ड्यूटी देते हुए शहीद हो रहे हैं और तुझे ठण्ड से डर लग रहा है |यदि शहीदों की सहायता के लिए ठण्ड भी लग गई या दंड लगाकर शरीर थोड़ा अकड़ गया तो क्या फर्क पड़ जाएगा ? सचिन भी तो दिल्ली में पुलवामा शहीदों की सहायतार्थ आई डी बी आई मैराथन में पुश अप्स कर रहा है |
हमने कहा- सचिन भारत-रत्न है |सेलेब्रिटी है |बैंक का ब्रांड अम्बेसडर है |उसके पुश अप्स देखने के लिए हजारों लोग इकट्ठे हुए हैं |लाखों रुपए इकट्ठे हो गए |यहाँ ये बच्चे जो तेरा तमाशा देखकर हल्ला मचा रहे हैं, एक भी पैसा देने वाले नहीं हैं |
बोला- कोई बात नहीं |हम आज चाय नहीं पिएँगे |तू हमारे नाम से इस चाय के दस रुपए पुलवामा के शहीदों के नाम जमा करवा देना |
हमने कहा- हम धर्मादा कैश में नहीं करते |काइंड में करते हैं |
बोला- तो मेरे पास हिंदी दिवस के कुछ मोमेंटो पड़े हैं उनके बदले में कुछ पैसे फंड में दे दे |
हमने कहा- वे घटिया प्लास्टिक से बने हैं |उन्हें कोई कबाड़ी भी नहीं लेगा |
तभी तोताराम ने अपनी लुंगी निकाली और बोला- यह कोटा डोरिया की है |इसे नीलाम कर दे |श्रीदेवी की साड़ी की तरह एक लाख तीन हजार नहीं तो दस-बीस तो मिल ही जाएँगे |
हमने कहा- इस लुंगी की हालत को देखते हुए तो यह एस.के. स्कूल के पास लगी नेकी की दीवार पर भी रखी ही रहेगी | कोई उठाने वाला भी नहीं मिलेगा |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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