सबसे बड़ी गीता
जैसे कुछ मनहूस लोग दुःखी होने का मौका खोज ही लेते हैं वैसे तोताराम हमें बधाई देने का कोई न कोई अवसर निकाल ही लेता है |आते हो बोला- बधाई हो, भी साहब |
हमने पूछा- बधाई किस बात की ? पे कमीशन के एरियर की तो कोई संभावना है नहीं | और जब देश संकट में हो तो अपनी छोटी-छोटी तकलीफों का रोना लेकर बैठना शोभा भी नहीं देता |देखा नहीं, केजरीवाल जी ने भी अपना अनशन स्थगित कर दिया कि नहीं ?
बोला- वह तो होता भी तो प्रतीकात्मक होता |आजकल आंध्र वाले रामुलू की तरह कोई वास्तव में आमरण थोड़े ही करता है |वैसे भी ये सब अब मई २०१९ तक चलते ही रहेंगे |मैं तो दुनिया की सबसे बड़ी गीता के अनावरण की बधाई दे रहा था |
हमने कहा- इसमें क्या ख़ास बात है ? वैसे भी महाभारत दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य है ही |और जहाँ तक गीता की बात है तो उसमें ७०० श्लोक हैं |उनमें चौथे अध्याय का १२ वाँ श्लोक ही उस गीता का सार है- सिद्धिर्भवति कर्मजा- कर्म से ही सिद्धि होती है, व्यर्थ के नाटकों से या केवल कामना मात्र से सिद्धि नहीं होती |इसलिए इसे बड़े या छोटे आकार में लिखना-लिखाना कोई महत्त्व नहीं रखता |पैसे और पहुँच हो तो कोई भी कुछ भी करके गिनीज बुक में अपना नाम लिखवा सकता है | देखा नहीं, डबल श्री जी ने और कुछ नहीं तो हजारों लोगों को इकठ्ठा करके यमुना के किनारे नचाकर रिकर्ड बना दिया था कि नहीं ? चार सौ श्लोक तो बहुत होते हैं |तेरे पास पैसे हों तो तू कोई पहाड़ खरीदकर उस पर अपने हस्ताक्षर खुदवाकर सबसे वज़नी हस्ताक्षर का रिकर्ड बना सकता है |
बोला- हाँ मास्टर, यह बात तो है | अपने सीकर में चातुर्मास के दौरान अगस्त २०१७ में जैन संत तरुण सागर ने भी तो अपनी ५१ फुट ऊँची और ३१ क्विंटल वज़नी पुस्तक का विमोचन किया था |
हमने पूछा- क्या तूने उस पुस्तक को देखा था ?
बोला- मास्टर, एक बार मन तो किया लेकिन फिर डर के मारे रुक गया |जिस देश में जब-जहाँ चाहे पुल आदि गिर जाते हैं वहाँ एक पुस्तक की क्या बिसात |इसलिए रिस्क नहीं ली |क्या पता, मेरा जिस क्षण उसके पास जाना हो उसी क्षण उसे गिरना हो |
हमने कहा- फिर भी तोताराम, इस गीता में एक विचित्र संयोग तो ज़रूर है |इसका अनावरण मोदी जी ने किया |मोदी जी गुजरात से दिल्ली आए हैं |कृष्ण भी महाभारत के युद्ध में भाग लेने के लिए गुजरात से हस्तिनापुर आए थे और गीता का उपदेश दिया था |गीता की यह रिकार्डधारी प्रति भी पहले समुद्री मार्ग से गुजरात पहुँची फिर दिल्ली के इस्कोन मंदिर में आई |गीता को शंकराचार्य ने उपनिषद् रूपी गाय का दूध कहा है |मोदी की शैली में गीता, गुजरात और गाय का अनुप्रास भी मिल जाता है |
बोला- इसमें एक और विचित्र संयोग है | मोदी जी के राजनीतिक दर्शन में इटली का भी प्रमुख स्थान है और मज़े की बात यह है कि भारत के समस्त ज्ञान-विज्ञान के बावजूद गीता की इस सबसे बड़ी प्रति का निर्माण भी इटली में किया गया |
हमने कहा- लेकिन इसे पढ़ेगा कौन ? यहाँ तो किसी सामान्य आदमी की अर्थी को उठाने के लिए चार आदमी नहीं जुटते जबकि इस गीता का तो पन्ना पलटने भर को चार आदमी चाहियें |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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